इन्फॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी के इस दौर में आये दिन नये-नये प्रोडक्ट लॉन्च होते रहते हैं. कभी कोई नैनो कंप्यूटर, तो कभी कोई माइक्रो चिप से चलने वाला टीवी, चाहे 8 जीबी रैम वाला स्मार्टफ़ोन हो या फ़िर कोई वायरलेस हैडफ़ोन. टेक्नोलॉजी ने आज इंसान की लाइफ़ बेहद आसान बना दी है. फ़ोन के एक क्लिक पर घर बैठे आपको ये सारी चीज़ें आसानी से मिल जाती हैं. कंप्यूटर, सुपर कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, लैपटॉप-टैब और मोबाइल से तो आप सभी लोग वाकिफ़ ही होंगे. लेकिन अब मार्किट में धमाल मचाने आ रहा है दुनिया का सबसे छोटा कंप्यूटर. 

जी हां सबसे छोटा कंप्यूटर… 

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दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ़्टवेयर कंपनी IBM ने इसका खुलासा करते हुए कहा है कि 1X1mm का ये कंप्यूटर नमक के दाने से भी छोटा होगा. 1 मिलियन ट्रांजिस्टर वाले इस छोटे से कंप्यूटर को देखने के लिए माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करना पड़ेगा. टेक्नोलॉजी के इस छोटे से कण को बनाने में दस सेंट से भी कम की लागत आयी. इस डिवाइस को कंपनी ने 19 मार्च को शुरू हुए आईबीएम थिंक 2018 सम्मेलन में लॉन्च किया था.

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IBM का कहना है कि इस कंप्यूटर में करीब 10 लाख ट्रांजिस्टर हैं, जिनको सूक्ष्म दृष्टि से देखा जा सकता है. ये छोटा कम्प्यूटर डेटा पर निगरानी रखने, विश्लेषण करने, कम्युनिकेशन करने और यहां तक ​​कि कार्य करने में भी सक्षम है. साथ ही इसमें मेमोरी के लिए SRAM दी गयी है, जबकि पावर के लिए Photo-Voltaic Cell लगे होंगे. इसमें LED और Photo Detector लगे होने के कारण ये अपलिंक और डाउनलिंक कम्युनिकेशन के लिए भी सक्षम है.

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IBM का कहना है कि, ये डिवाइस हमारी रिसर्च 5 in 5 प्रोजेक्ट का हिस्सा है. जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि हमारी रिसर्च टीम Artificial Intelligence (AI), Block Chain, Encryption and Internet of Things पर आधारित काम कर रही है. ये सभी तकनीकें क्रिप्टो-एन्कर्स से जुड़ी होती हैं जो Block Chain टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यही क्रिप्टो-एन्कर्स छोटे कंप्यूटर या ऑप्टिकल कोड का रूप लेते हैं, जो प्रोडक्ट में एम्बेड किए जा सकते हैं. 

IBM का कहना है कि, ये क्रिप्टो-एंकर दुनिया भर में फैले नक़ली प्रोडक्ट्स को ख़त्म करने में मदद करेंगे. क्रिप्टो-एंकर को अत्यधिक सुरक्षित माना जा रहा है, जिसे कॉपी करना मुश्किल होगा. इस छोटे से कंप्यूटर को दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले प्रोडक्ट्स में एम्बेड किया जाएगा. ताकि Block Chain तकनीक का उपयोग करके ये किसी भी प्रोडक्ट के असली या नक़ली होने की पहचान को बता देंगे.

IBM अगले 18 महीनों के अंदर क्रिप्टो-एन्कर्स के पहले मॉडल को तैयार कर लेगा. जबकि अगले पांच सालों के भीतर ये प्रोडक्ट बाजार में भी उपलब्ध हो जाएगा.