डांसर-एक्टर शांतनु माहेश्वरी के बारे में आप जानते ही होंगे. चैनल वी के शो, ‘दिल दोस्ती डांस’ से छोटे पर्दे पर अपने करियर का आगाज़ किया था शांतनु ने. उनका करियर शुरू से ही शानदार रहा है, फिर चाहे बात उनके टीवी सीरियल्स की हो या फिर उनके डांस की. अब उन्होंने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है. इसे उन्होंने ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे के फे़सबुक पेज पर शेयर किया है.
मेरी मां का सपना था कि वो एक डांसर बने, लेकिन उनके मां-बाप ने उन्हें इस क्षेत्र में करियर बनाने से रोक दिया. वो एक छोटे शहर से हैं और उनका ये सपना अधूरा ही था. मुझे और मेरे भाई को इस बारे में उन्होंने पहले ही बता दिया था. जब मैं 7वीं क्लास में था, तब उन्होंने मुझे डांस स्कूल में भेजना शुरू कर दिया. मुझे डांस करना बिलकुल पसंद नहीं था.
पहले ही दिन मैंने डांस क्लास में जाने से ही मना कर दिया, मेरा बर्ताव देखकर वो मुझ पर गुस्से में चिल्लाई. हमारे परिवार की फ़ाइनेंशियल कंडीशन उस वक़्त ठीक नहीं थी. डांस क्लास की फ़ीस देने के लिए मेरी मां को होम ट्यूशन देने पड़ते थे. मैं हमेशा उन्हें ऐसा करने से रोकता था और कहता था कि मैं डांस नहीं सीखूंगा तो चलेगा लेकिन मेरी मां ने कभी इस बात की परवाह नहीं की.
उन्होंने मेरे अंदर छुपे टैलेंट को पहचान लिया था और मुझे कहा कि मैं डांस करना जारी रखूं. कुछ दिनों बाद मुझे एहसास हुआ कि डांस मुझे विचारशील बनाए रखता है. जब मैं 8 साल का था, तब तक बहुत से डांस शो में हिस्सा लेने लगा था. मुझे आज भी याद है कि हम कोलकाता में एक टैक्सी से नहीं, बस से ट्रैवल करते थे और वेन्यू तक पैदल जाते थे.
वो भारी बैग्स खु़द उठा कर मेरे साथ चलती थीं. उन्हें ऐसा करते देख मुझे बहुत बुरा लगता था, लेकिन मैं तब बहुत छोटा था. जैसे ही हमारा शो ख़त्म होता उसके साथ ही हमारा ग्लैमर भी ख़त्म हो जाता था. हम अपना सामन पैक करते और मीलों पैदल चलकर बस स्टॉप तक जाते. जब भी मेरे पास से कोई कार जाती, तो मैं उसे बड़ी ही हसरत भरी निगाहों से देखता था.
एक बार उन्होंने ये नोटिस कर लिया. तब उन्होंने मुझसे कहा- जब तुम बड़े हो जाओगे तब हमारे लिए एक कार ख़रीदना और फिर मैं उसमें बैठकर तुम्हारे शो में साथ जाऊंगी. उस दिन के बाद से डांस को मैंने सीरियसली लेना शुरू कर दिया, एक मकसद के साथ. मैंने बहुत हार्डवर्क किया और कई शो में हिस्सा लिया.
इन्हीं में एक शो में मुझे अपने पेरेंट्स के साथ डांस करना था. मैंने मां को स्टेज पर बुलाया और हमने एक साथ पहली बार स्टेज पर पफॉर्म किया था. वो अंदर ही अंदर बहुत ख़ुश थी. उनके साथ पफॉर्म करना मेरी ज़िंदगी का सबसे यादगार पल था, मैं उनकी मुस्कान को आज भी नहीं भूला हूं. उस दिन उनका सपना पूरा हो गया था.
मेरा काम भी इसके बाद लोगों में फ़ेमस होने लगा था. मुझे कई शो और विज्ञापन मिलने लगे थे. उस समय मैंने कुछ पैसे एक स्पेशल चीज़ के लिए बचाने शुरू कर दिए. उसके 4 साल बाद मैंने अपनी मां के लिए एक कार ख़रीदी.
हांलाकि वो सेकेंड हैंड थी, फिर भी मेरी मां उस कार में बैठकर मेरे साथ मेरे शो पर जाती थी. अब मेरा सपना भी पूरा हो गया है क्योंकि अब मेरी मां कुछ सांस्कृतिक समारोह में अकेले पफॉर्म करने जाती हैं. वो अपने डांस से लोगों को हैरान कर देती हैं. ये देखकर मुझे एहसास होता है कि मैंने भी अपनी लाइफ़ में कुछ कर दिखाया है.’