हिंदुस्तान की मिट्टी के कण-कण से एक कहानी जुड़ी हुई है, जो पौराणिक होने के साथ-साथ ऐतिहासिक भी है. इस ऐतिहासिक कहानी को खुद के भीतर समेटे हुए है तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में बना मशहूर श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, जिसे श्रीरंगम मंदिर के रूप में भी पहचाना जाता है. श्रीरंगम मंदिर की कहानी जितनी ऐतिहासिक है, उतनी ही रोचक भी. भगवान रंगनाथ को दक्षिण भारत में भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. यह मंदिर भी भगवान विष्णु को समर्पित 108 मुख्य मंदिरों में से एक है. 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार वैदिक काल में इस इलाके में गौतम ऋषि का आश्रम गोदावरी नदी के तट पर ही था, जिसकी वजह से ये इलाका अन्य इलाकों की तुलना में ज़्यादा हरा-भरा और उपजाऊ भूमि वाला क्षेत्र था. अकाल के समय में भी गौतम ऋषि के आश्रम वाला क्षेत्र उसकी पीड़ा से दूर रहा करता था. अकाल के ही समय में एक दिन पानी की तलाश में कुछ ऋषि गौतम ऋषि के आश्रम के पास पहुंचे. गौमत ऋषि ने भी अतिथियों का दिल खोल कर सत्कार किया. गौतम ऋषि के आश्रम के आस-पास की उपजाऊ ज़मीन देख कर अतिथि ऋषियों के मन में लालच जाग गया. उन्होंने गौतम ऋषि पर गौ हत्या का आरोप लगा कर उनका आश्रम और भूमि हथिया ली.

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आश्रम चले जाने के क्षोभ में गौतम ऋषि ने श्रीरंगम जा कर भगवान विष्णु की आराधना की. गौतम ऋषि की आराधना से ख़ुश हो कर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और ये सारा क्षेत्र उनके नाम कर दिया. कहा जाता है कि इसके बाद गौतम ऋषि ने ब्रह्मा जी की प्राथना की और उनसे इस जगह भगवान विष्णु का मंदिर बनाने के लिए कहा. तभी से इस जगह को भगवान रंगनाथ के नाम से पहचाना जाने लगा.

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आस्था के अलावा ये मंदिर वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. दक्षिण भारतीय शैली से सुशोभित रंगनाथ मंदिर को UNESCO ने वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया हुआ है.

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500 साल पहले इस मंदिर को चट्टान से काट कर बनाया था. तब न बड़ी-बड़ी मशीनें और क्रेन हुआ करती थीं, न ही आज की टेक्नोलॉजी. मंदिर की दीवारें करीब 32,592 फ़ीट तक फैली हुई हैं. मंदिर में 17 बड़े गोपुरम, 39 पवेलियन, 50 श्राइन, 9 तालाबों के अलावा 1000 स्तंभ है. 

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इस स्तम्भों की ख़ासियत ये है कि 15-20 फ़ीट ऊंचे होने के बावजूद आज भी ये अपने अस्तित्व को संभाले खड़े हैं. इनमें से कुछ स्तम्भों पर भगवान की आकृतियां भी उकेरी गई हैं. ये सभी स्तम्भ एक सिरे में कुछ इस तरह लगाए गए हैं कि देखने में किसी बांस के जंगल की तरह लगते हैं.