बचपन में वो बांस के डंडे से प्रैक्टिस करती थीं वो, क्योंकि उनके परिवार के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. गांव से ट्रेनिंग सेंटर 60 किलोमीटर दूर था, मगर फिर भी बस से 2 घंटे का सफ़र तय कर ट्रेनिंग के लिए जाती थी. 2016 के रियो ओलंपिक में उनके नाम के आगे लिख दिया गया था Did Not Finish. मगर उन्होंने कभी अपने जज़्बे को कम नहीं होने दिया और इसी साल ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया.

बात हो रही है Weightlifter मीरा बाई चानू की, जिन्हें हाल हीं में राष्ट्रपति ने खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया है.

Indian Express

मीराबाई चानू मणीपुर के Nongpok Kakching गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता किसान हैं. वो बचपन में जंगल से लकड़ियां बीनने जाती थीं. एक बार चानू ने अपने पिता के साथ एशियन गेम्स में कुंजरानी देवी को वेटलिफ़्टिंग करते हुए टीवी पर देखा था. उस वक़्त वो मणिपुर की स्टार थीं. तभी से ही उन्होंने ठान लिया था कि वो भी वेटलिफ़्टर बनेंगी.

बांस के बार से करती थीं प्रैक्टिस

हौसले बुलंद थे, मगर परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थीं कि वो इस खेल के लिए बुनियादी चीज़ें भी मुहैया करा सकें. मगर चानू ने हार नहीं मानी और बिना किसी शिकायत के अपनी प्रैक्टिस जारी रखी. 2007 में जब उन्होंने तैयारियां शुरू कीं थीं, तब वो लोहे के बार से नहीं बल्कि लकड़ी के बार से प्रैक्टिस करती थीं.

Indian Express

तोड़ा था अपनी ही आइडल का नेशनल रिकॉर्ड

उनकी मेहनत रंग लाई और 12 साल की उम्र में अंडर-15 चैंपियनशिप और 17 साल की उम्र में जूनियर चैंपियन बनीं. 2017 में उन्होंने अपनी आइडल कुंजरानी के 12 साल पुराने नेशनल रिकॉर्ड को 192 किलोग्राम वज़न उठाकर तोड़ा था. 2014 में Glasgow में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था. इसके बाद वो लाइम लाइट में आ गईं. उनका सेलेक्शन 2016 में होने वाले रियो ओलंपिक के लिए हो गया था.

Hindustan Times

रियो अोलंपिक में किया था निराश

ओलंपिक के लिए उन्होंने काफ़ी मेहनत भी की थी, मगर प्रतियोगिता के दिन वो काफ़ी दबाव में आ गईं और तय किया गया वज़न नहीं उठा पाईं. इसके बाद उनके नाम के आगे लिख दिया गया Did Not Finish. इस बात से वो बहुत हताश हुईं, क्योंकि किसी भी खिलाड़ी के आगे ये लिखा जाना, उसे अंदर तक तोड़ देता है. चानू के साथ भी ऐसा ही हुआ वो डिप्रेशन में चली गईं.

jadeedmarkaz.com

कई महीनों तक उनका इलाज चला. इसके साथ ही प्रैक्टिस भी करती रहीं. उन्होंने ठान लिया था कि अपने नाम पर लगे इस दाग को मिटा कर रहेंगी और ऐसा ही हुआ. 2017 में चानू ने California में हुई World Weightlifting Championship में 48 किलोग्राम की कैटेगरी में गोल्ड जीता था. कर्णम मल्लेश्वरी के बाद ऐसा करने वाली वो दूसरी भारतीय वेटलिफ़्टर बनीं थीं.

खेल से एक दिन पहले नहीं खाया था खाना

वो यहीं नहीं रुकीं, 2018 में ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 196 किलो वज़न उठाया था. इसके लिए चानू ने एक दिन पहले खाना भी नहीं खाया ताकी वो अपनी कैटेगरी के वेट को बरकरार रख सकें. अपने बेहरतीन खेल के लिए उन्हें इसी साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है.

Indian Express

चानू को डांस करना पसंद है और वो सलमान खान की फ़ैन हैं. विदेशी दौरे पर हमेशा अपने साथ घर से चावल लेकर जाती हैं और उन्हें ही खाती हैं. मीरा बाई चानू हाल ही में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. कर्णम मल्लेश्वरी और एन. कुंजरानी देवी के बाद खेल रत्न पाने वाली तीसरी वेटलिफ़्टर हैं.

Indiatribune

उनका टार्गेट अब 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक है. आशा है वो इस बार देश के लिए मेडल ज़रूर जीतेंगी.