हाल ही में आपने बेंगलुरू में हुई Ola कैब की घटना के बारे में पढ़ा होगा. जहां एक लड़की ने एयरपोर्ट के लिए रात को 2 बजे कैब बुक की और कैब ड्राइवर ने पैसेंजर को दूसरे रास्ते से ले जाकर न सिर्फ छेड़छाड़ की, बल्कि गैंगरेप की धमकी देते हुए उसे अपने कपड़े उतारने के लिए कहा, जिससे वो उसकी फोटोज़ खींच सके. शायद आपने ये ख़बर पढ़कर 5 मिनट तक सोचा होगा और फिर भूल गए होंगे, क्योंकि आखिर हमारे देश में ये कोई नई बात तो है नहीं. आए दिन इस तरह के केस सुनने को मिल जाते हैं और यहां हम सिर्फ़ कैब्स या टैक्सी की बात नहीं कर रहे, ऐसी ढ़ेरों घटनाएं हर रोज़ होती हैं.

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भारत में रेप केसेज़ दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं और नेता अपने बतुके बयानों से इन सीरियस बातों को बहुत कैजुअल बना रहे हैं. एक लड़की होने के नाते मैं समझ सकती हूं कि ये कितनी बड़ी बात है, लेकिन इस पर बयान देने वाले मेल और फिमेल दोनों है. जिन्होंने लड़कियों लिए कुछ अलिखित नियम बना रखें है, उन्हें फॉलो नहीं करने वाली लड़कियों को ‘असंस्कारी’ होने का टैग दे दिया जाता है. क्योंकि रेपिस्ट के बजाए हमारे देश में हमेशा रेप विक्टिम को ही गुनहगार माना जाता है.

समाज के ठेकेदारों के हिसाब से लड़कियां अगर ये 10 चीज़ें करें. तो वो खुद रेप को इनवाइट कर रही हैं:

1. छोटे कपड़े पहनना

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अब अगर लड़की छोटे कपड़े पहनकर घर से बाहर निकलेगी तो लोग तो घूरेंगे ही न, वो थोड़ी अपनी आंखें बंद कर लेंगे. इतनी शर्म तो लड़की में होनी चाहिए न कि वो ऐसे कपड़े पहने, जिसमें वो पूरी छिप जाए और घुट के मर जाए.

2. रात को बाहर जाना

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कोई लड़की शाम 5 बजे के बाद घर से बाहर कदम कैसे रख सकती है? लड़कियों के लिए रात को अकेले जाना सेफ़ नहीं है और अगर आपने पूछा क्यों? तो जवाब आएगा कि अगर इतनी रात को अकेली जाओगी, तो लड़के तो छेड़ेंगे ही न.

3. लड़कों से दोस्ती करना

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ये सुनना तो अब सोसाइटी में आम हो गया है कि ‘अरे, ज़रा अपनी बेटी पर भी ध्यान दीजिए, हर रोज़ किसी न किसी लड़के के साथ नज़र आती है’. कल को कुछ ऊंच-नीच हो गई तो फिर मत कहना कि हमने नहीं बताया था’. वो एक डायलॉग है न ‘एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते.’

4. ड्रिंक और स्मोक करना

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ड्रिंक और स्मोक, हे भगवान! लड़की होकर ऐसी हरकतें. जब ये सब करती हो, तब तो तुम्हें किसी चीज़ से गुरेज़ नहीं होगा. अगर लड़की के नशे में होने का कोई फ़ायदा उठाता है, तो ये लड़की की ही ग़लती है कि उसने ड्रिंक की.

5. गाली देना

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अगर लड़के गाली देते हैं, तो ये तो उनकी मर्दानगी है और अगर लड़की गाली दे तो? गाली देने वाली लड़की तो होती ही ‘उस टाइप’ की है. जिसे सबक सिखाने के लिए आप कुछ भी करेंगे. और हां, कुछ भी में, कुछ भी आ सकता है.

6. ब्राइट लिपस्टिक और लाउड मेकप

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लड़कियों की लिपस्टिक और मेकअप से ही उन्हें जज कर लिया जाता है कि अगर किसी ने लाउड मेकप लगाया है, तो वो लड़कों का अटेंशन पाना चाहती हैं, फिर अगर लड़का कुछ कर दे तो उसकी शिकायत क्यों करना, तुम्हीं ने तो लाउड मेकप कर उसे बहलाया था न!

7. पब्लिकली लड़के को Hug करना

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दिमाग़ पर थोड़ा ज़ोर देंगे तो शायद आपको कोलकाता की वो ख़बर याद आ जाए, जब लड़का-लड़की ने मेट्रो स्टेशन पर Hug किया था और समाज के ठेकेदारों ने मॉरल पुलिस बन कर उनकी पिटाई कर दी थी. अरे आप भारत में हैं जनाब, यहां आप पब्लिकली टॉयलेट कर सकते हैं, लेकिन Hug करने पर तो आपको सज़ा मिलेगी ही.

8. सेक्स को लेकर लड़कियों का जागरूक होना

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स्वरा भास्कर की फ़िल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ आपने भले ही देखी हो या नहीं, पर उसके Masturbation सीन के बारे में ज़रूर सुना होगा. इस पर लोगों का रिएक्शन देखकर आप समझ ही गए होंगे की लड़कियों को सेक्स के बारे में बात करना तो दूर, उसके बारे में सोचना भी मना है, वरना नतीजा तो आप जानते ही हैं.

9. डेटिंग ऐप्स पर एक्टिव होना

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अगर आप संस्कारी Matrimonial साइट्स पर हैं तो ठीक है, लेकिन अगर आप ग़लती से भी Tinder जैसी डेटिंग ऐप्स हैं, तो इसका मतलब है कि आप लड़कों को Invite कर रही हैं और किसी भी लड़के को ये हक मिल गया है कि वो आपके साथ कुछ भी करें.

10. छेड़छाड़ के खिलाफ़ आवाज़ उठाना

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अगर कोई लड़की सड़क पर जा रही है और कोई उससे छेड़छाड़ करता है, तो ये सिखाया जाता है कि उसे इग्नोर करके निकल जाओ. लेकिन अगर लड़की ने उसके खिलाफ आवाज़ उठा दी, तो लड़के का ईगो हर्ट हो गया और अब वो उसके साथ कुछ भी कर सकता है. क्योंकि समाज ने तो आपको पहले ही कहा था कि ऐसी हरकतों को इग्नोर करो.

11. बॉयफ्रेंड होना

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अगर किसी लड़की का बॉयफ्रेंड है, मतलब वो असंस्कारी है. उसके साथ रेप जैसी घटना होना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि वो तो पहले से ही ऐसी है.

बुनियादी शिक्षा की तरह ही ज़रूरी है समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और समझ. पर अफसोस, ये हमारे समाज में मिसिंग है. हम अपनी सामाजिक कुरीतियों को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, लेकिन अपने समाज को महिलाओं के लिए बेहतर नहीं बना सकते. सोचने की ज़रूरत है, इस देश में लड़कियों को जन्म लेना चाहिए या नहीं.