वो 5 ताक़तवर मुग़ल महिलाएं, जिन्होंने मुग़ल साम्राज्य में अपनी अलग और ख़ास जगह बनाई

Nripendra

भारतीय इतिहास के पन्ने मुग़लों के बिना अधूरे हैं. एक बड़ा कालखंड मुगल बादशाहों से भरा पड़ा है. भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखने वाला बाबर था, जिसके बाद सत्ता हुमायूं के हाथ आई और फिर क्रमवार सत्ता का स्थानांतरण चलता रहा. मुग़ल बादशाहों ने अपने साम्राज्य के विस्तार का काम किया. लेकिन, ऐसा नहीं है कि साम्राज्य के विस्तार और नीति निर्माण में सिर्फ़ मुग़ल पुरुषों का ही योगदान था. मुग़ल महिलाओं ने भी साम्राज्य के लिए नीति निर्माण में कई बड़े योगदान दिए. आइये, इस ख़ास लेख के ज़रिए जानते हैं उन 5 ताक़तवर मुग़ल महिलाओं के बारे में जिन्होंने मुग़ल साम्राज्य में अपनी अलग और ख़ास जगह बनाई.

1. दिलरास बानो बेग़म 

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यह नाम इतिहास में दर्ज है, पर इसके बारे में ज़्यादा लोगों को पता नहीं. दिलरास बानों बेग़म मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की पहली बेग़म थी. दिलरास सफ़वी राजवंश की शहज़ादी थीं. इनका जन्म 1662 में हुआ था. वहीं, कहा जाता है कि इनकी मृत्यु संक्रमण के कारण हुई थी. बता दें कि यह औरंगज़ेब की सबसे ख़ास बेग़म थी.   

2. जहांआरा बेगम  

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जहांआरा बेगम मुग़ल सम्राट शाहजहां और मुमताज महल की सबसे बड़ी बेटी और औरंगज़ेब की बड़ी बहन थीं. इनका जन्म 2 अप्रैल 1614 में हुआ था. कहते हैं कि इन्होंने ने ही चांदनी चौक की रूपरेखा तैयार की थी. वहीं कहा जाता है कि अपनी मां मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद जहांआरा ने उन्हें साम्राज्य की पहली महिला घोषित करवा दिया था. 

इसके अलावा, जहांआरा को शाहजहां की सबसे प्यारी बेटी भी कहा जाता है. वहीं, जहांआरा को उस वक़्त की सबसे शक्तिशाली महिला भी माना गया है.

3. मरियम उज़-ज़मानी   

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मरियम उज़-ज़मानी जयपुर की आमेर रियासत के राजा भारमल की पुत्री थीं, जिनका विवाह अकबर के साथ हुआ था. मरियम अकबर से शादी के बाद मल्लिका-ऐ-हिन्दुस्तान बनीं. इन्हें जोधाबाई, हीरा कुंवारी व हरखा बाई के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि मरियम उज़-ज़मानी, अकबर की तीन सबसे ख़ास मल्लिकाओं में से एक थीं. इनके बेटे का नाम सलीम था, जो आगे चलकर जहांगीर के नाम से जाने गए.  

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4. नूरजहां   

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नूरजहां को मेहरून्निसा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि नूरजहां बहुत ही ख़ूबसूरत थीं और इनकी ख़ूबसूरती से मुग्ध होकर जहांगीर ने इनसे 1611 ईस्वी में इनसे विवाह कर लिया. 1613 ईस्वी में नूरजहां को बादशाह बेग़म बनाया गया. कहा जाता है कि नूरजहां ख़ूबसूरत होने के साथ-साथ तेज़ दिमाग़ वाली भी थीं.

वहीं, उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका निशाना बड़ा तेज़ था और उन्होंने 1619 ईस्वी एक ही गोली से शेर को मार गिराया था. वहीं, एक वक़्त ऐसा भी आया कि उनके कंधों पर शासन का भार भी आया. वे दरबार भी करने लगीं और सिक्कों पर उनका नाम भी उकेरा जाने लगा.    

5. गुलबदन बानो बेग़म  

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गुलबदन बानो बेग़म, मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के बेटी थीं. माना जाता है कि इनका जन्म काबुल में 1523 में हुआ था. हालांकि, पिता की मृत्यु के बाद गुलबदन बानो बेग़म का बचपन हुमायूं की देखरेख में ही गुज़रा. कहते हैं कि उन्हें पढ़ाई का काफ़ी शौक़ था और वो फ़ारसी और तुर्की में कविताएं भी लिखती थीं. 

ऐसा कहा जाता है कि बादशाह अकबर ने अपनी बुआ गुलबदन बानो बेग़म से अपने पिता हुमायूं की जीवनी लिखने के लिए गुज़ारिश की थी. 
उन्होंने बादशाह अकबर के सुझाव पर हुमायूं नामा लिखा. इसमें उन्होंने न सिर्फ़ मुग़ल साम्राज्य की शासन व्यवस्था के बारे में लिखा बल्कि दैनिक जीवन का भी वर्णन अच्छी तरह किया. उन्होंने मुग़ल जनानखाने का भी चित्रण हुमायूं नामे में किया.
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