जानिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की यह तस्वीर क्यों बन गई जापान में ‘शक्ति का प्रतीक’

Nripendra

इतिहास में घटी कई घटनाएं आज भी रोंगटे खड़ी कर देती हैं. ख़ासकर, विश्व युद्ध के दौरान मची तबाही को आज भी दुनिया भुला नहीं पाई है. यह तो आपको पता ही होगा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर अमरीका द्वारा परमाणु बम गिराए गए थे. जानकारी के अनुसार हिरोशिमा में लगभग 1,40,000 और नागासाकी में क़रीब 74,000 लोग मारे गए थे. इस दौरान कई भयावह तस्वीरें सामने आईं, जबकि इनमें एक तस्वीर जापान में शक्ति का प्रतीक बन गई. इस लेख में हम आपको उसी ऐतिहासिक तस्वीर के विषय में बताने जा रहे हैं.  

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पीठ से भाई के शव को बांधे एक बच्चे की तस्वीर  

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आपको बता दें कि यह तस्वीर विश्व युद्ध के दौरान की है. इसमें एक 10 वर्षीय जापानी लड़का अपने छोटे भाई के शव को लिए खड़ा है. गौर से देखेंगे, तो पता चलेगा कि यह बच्चा अपने मुंह को कसकर खड़ा है. मन में यह सवाल आ सकता है कि आख़िर यह बालक ऐसे क्यों खड़ा है? हम बता दें कि यह अपने छोटे भाई के अंतिम संस्कार के लिए लाइन में खड़ा है.   

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कौन था वो फ़ोटोग्राफ़र?   

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इस ऐतिहासिक तस्वीर को खींचने वाले फ़ोटोग्राफ़र का नाम था Joe O’Donnell. माना जाता है कि उस दौरान उनकी उम्र 23 वर्ष की थी. डोनेल ने अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु हमले के बाद यहां की तस्वीरें ली थीं. Joe O’Donnell एक अमेरिकी फ़ोटोग्राफ़र थे, जिन्हें हमले के बाद हुए नुक़सान की जानकारी लेने के लिए अमेरिकी सेना द्वारा जापान भेजा गया था.   

डोनेल काफ़ी ज़्यादा दुखी हुए  

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माना जाता है कि डोनेल क़रीब सात महीने तक जापान में परमाणु हमले के नुक़सान से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करते रहे. उस दौरान उन्होंने यह ऐतिहासिक तस्वीर भी खींची. उन्होंने हमले में मरने वालों से लेकर घायल लोगों की जानकारी इकट्ठा की. साथ ही बेघर और अनाथ बच्चों का डाटा भी तैयार किया. कहा जाता है कि तबाही का ऐसा भयावह मंज़र देख डोनेल काफ़ी ज़्यादा दुखी हुए थे. वहीं, उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में अपने छोटे भाई के शव के लिए खड़े बच्चे की तस्वीर के बारे में भी बताया था.   

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तस्वीर के बारे में डोलेन के शब्द   

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इस तस्वीर के बारे में बताते हुए फ़ोटोग्राफ़र Joe O’Donnell ने कहा था कि मैंने तबाही के बीच एक 10 वर्षीय बच्चे को अपने भाई के शव को लिए खड़े देखा था. उन्होंने कहा कि उस दौरान हम जापान में बच्चों को पीठ पर खेलते देखते थे, लेकिन इस बच्चे की कहानी सबसे अलग थी. डोलेन ने कहा कि वो बच्चा बिना चप्पलों के था और उसके चेहरे पर आम बच्चों जैसा कोई भाव नहीं था. वहीं, पीठ पर बंधे उस मृत भाई का सिर नीचे की ओर झुका हुआ था. वो बच्चा ऐसा लग रहा था मानों गहरी नींद में हो.    

“ये बोझा नहीं मेरा भाई है”   

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फ़ोटोग्राफ़र डोलेन ने बताया कि उस लड़के के पास एक सैनिक आया और उसने उस लड़के से कहा, “तुमने जो बोझा अपनी पीठ पर ले रखा है उस मुझे दे दो.” इस पर उस लड़के ने जवाब में कहा, “ये बोझा नहीं मेरा भाई है.” इसके बाद उस बालक ने अपने मृत भाई को उस सैनिक के हवाले कर दिया. डालेन को इसके बाद ही पता चला था कि उसका भाई मर चुका है. फिर उस सैनिक ने शव को पकड़कर आगे पर रख दिया. देखते ही देखते आग की लपटों ने उसके मृत भाई को अपने में समा लिया.   

शक्ति का प्रतीक    

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डोलेन ने आगे कहा कि वो लड़का अपने आंसूओं को रोके हुए वहां बहुत देर तक खड़ा रहा. उसने दांतों से अपने निचले होंठ को दबा रखा था. इस वजह से होंठ से खून भी निकल आया था. आग की लपटें धीमी पड़ते ही वो लड़का बिना कुछ कहे वहां से चला गया. बता दें यह तस्वीर में जापान में शक्ति का प्रतीक मानी जाती है.    

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