जनजातियां किसी भी देश की सबसे पुरानी निवासी होती हैं. ये हज़ारों सालोंं से अपनी संस्कृति को सहेजकर अगली पीढ़ी को विरासत के तौर पर सौंपती रही हैं. हां, ये ज़रूर है कि बदलते वक़्त ने इनके बहुत से तौर-तरीकों में बदलाव ला दिया है. मगर फिर भी, इनकी सदियों पुरानी परंपराओं की झलक इनके ख़ान-पान से लेकर पहनावे तक में देखी जा सकती है.
इस मामले में भारत वाक़ई बहुत धनी है. हमारे देश के कोने-कोने में आज भी आदिवासी समाज का बड़ा वर्ग रहता है. ऐसे में आज हम कुछ तस्वीरों के ज़रिए आपको भारतीय जनजातियों की रंगीन और समृद्ध विरासत से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं.
1. दिमासा जनजाति
दिमासा जनजाति भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सबसे व्यापक रूप से फैला आदिवासी समूह है. ये जनजाति मुख्य रूप से उत्तरी कोचर पहाड़ियों, कछार और असम के कार्बी आंगलोंग जिले में पाई जाती हैं. दिमसा जनजाति को ब्रह्मपुत्र घाटी का सबसे शुरुआती निवासी माना जाता है.
2. बैगा जनजाति
बैगा जनजाति मध्य प्रदेश, यूपी, छत्तीसगढ़ और झारखंड तक में फैली है. ये अपनी अनूठी संस्कृति के लिए एक अलग पहचान रखती है. इस जनजाति की महत्तवपूर्ण विशेषता ये है कि किसी परिजन की मौत के बाद ये अपना घर छोड़ देते हैं. फिर ये किसी दूसरी जगह भूमि तलाश कर दोबारा घर बनाते हैं.
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3. बिआटे जनजाति
बिआटे लोग मिज़ारम, असम और मेघालय राज्यों में पाए जाते हैं. ये उत्तर-पूर्व में सबसे पुरानी जीवित जनजातियों में से एक हैं.
4. ख़ासी
खासी जनजाति के अधिकांश लोग मेघालय में रहते हैं. इनका समाज मातृसत्तामक है. नाच-गाना खासी जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है.
5. बोडो जनजाति
बोडो एक जातीय और भाषाई समुदाय हैं, जो असम के शुरुआती निवासी हैं. ये असम में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह है और ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी के उत्तरी क्षेत्रों में केंद्रित है.
6. उरांव जनजाति
उरांव जनजाति मध्य और पूर्वी भारत के विभिन्न राज्यों में रहने वाली जनजाति है. ये अपने लोक गीतों, नृत्यों और कहानियों के साथ-साथ पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों के लिए पहचाने जाते हैं.
7. संगतम जनजाति
संगतम नागालैंड के त्युएनसांग और किफिर जिलों में रहने वाली एक नागा जनजाति है. ज़्यादातर संगतम ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है. हालांकि, इन्होंने अपनी परंपराएं नहीं बदली हैं.
8. भील
भारत का सबसे बड़ जनजातीय समुदाय में से एक भील जनजाति भी है. ये मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान तथा महाराष्ट्र में निवास करती हैं. कुछ भील लोग अपनी वंशावली की जड़ें एकलव्य से बताते हैं.
9. लिम्बु जनजाति
लिम्बू जनजाति पूर्वी नेपाल, बर्मा, भूटान से लेकर भारत में सिक्किम और नागालैंड तक में पाई जाती है.
10. जाट जनजाति
जाट कच्छ और सौराष्ट्र में ये जाट जनजाति फैली है. ये कच्छ के बन्नी क्षेत्र में पाए जाने वाले मालधारी देहाती खानाबदोशों के कई समुदायों में से एक हैं.
11. गद्दी जनजाति
गद्दी जनजाति मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश राज्य के धौलाधार श्रेणी के दोनों किनारों पर पाई जाती है. काफी संख्या में गद्दी जनजातियां मुख्य रूप से चंबा जिले के ब्रह्मौर क्षेत्र में, रावी नदी के ऊंचे क्षेत्रों में और बुधिल नदी की घाटियों में भी बसती हैं.
12. छाडवारा जनजाति
गुजरात के छाडवारा की एक नवविवाहित महिला अपनी पारंपरिक पोशाक का प्रदर्शन करती हुई.
13. चाखेसांग जनजाति
चाखेसांग भारत के नागालैंड में पाई जाने वाली एक नागा जनजाति है.
14. लद्दाखी जनजाति
जम्मू-कश्मीर की इस जनजाति ने आज भी अपनी सालों पुरानी परंपराओं को ज़िंदा रखा है.
15. चखेसंग जनजाति
16. ब्रोग्पा जनजाति
ब्रोग्पा लद्दाख में लेह से लगभग 163 किमी दक्षिण-पश्चिम में धा-हानू घाटी में रहने वाले द्रास लोगों का एक छोटा समुदाय है.
17. लिसु जनजाति
लिसू लोग एक तिब्बती-बर्मन जातीय समूह है जो अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में निवास करते हैं. भारत में लिसू लोगों को योबिन कहा जाता है.
18. बोंडा जनजाति
बोंडा जनजाति उड़ीसा के पश्चिमी प्रांतों में रहने वाली अनुसूचित जन-जाति है. ये जनजाति उड़ीसा के पश्चिमी प्रांतों के मलकानगिरी ज़िले के बीहड़ और पहाड़ी क्षेत्र में विशेष रूप से पायी जाती हैं.
19. गारो जनजाति
गारो मेघालय की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है और इसमें स्थानीय आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा शामिल है.
20. वांचो जनजाति
वांचो जनजाति अरुणाचल प्रदेश में पाई जाती है. यहां के पुरुष पहले हेड हंडर हुआ करते थे. जब कोई पुरुष अपने दुश्मन को ख़त्म कर देता था, तो सम्मान के तौर पर उसके चेहरे पर टैटू बनाया जाता था.
21. खोंड जनजाति
खोंड भारत की एक आदिवासी जनजाति है, जो ओडिशा और आंध्र प्रदेश में निवास करती है.
22. गडबा जनजाति
गडबा आंध्र प्रदेश में निवास करने वाली एक जनजाति है.
23. बंजारा जनजाति
बंजारा, जिन्हें लमनी भी कहा जाता है, आमतौर पर भारतीय राज्य राजस्थान, उत्तर-पश्चिम गुजरात और पश्चिमी मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र के खानाबदोश लोगों के रूप में पहचानी जाती है.