जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के 102 साल: 15 फ़ोटोज़ में है आज़ादी की लड़ाई के सबसे बड़े नरसंहार की कहानी

J P Gupta

जलियांवाला बाग नरसंहार की 102वीं बरसी: जलियांवाला बाग़ याद है आपको? अमृतसर का वही बाग़, जो हज़ारों बेकसूर लोगों की हत्या का गवाह बना था. इस हत्याकांड को आज 102 साल हो गए. वो मंजर कितना भयानक था उसे शब्दों में तो बयां नहीं किया जा सकता, लेकिन उसकी कुछ तस्वीरें आज हम आपके लिए लेकर आए हैं. इन्हें देख आप ख़ुद ही अंदाज़ा लगा लीजिएगा.

1. जिस दिन ये नरसंहार हुआ उस दिन लोग जलियांवाला बाग़ में बैसाखी का त्यौहार मनाने पहुंचे थे.

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2. यहीं कुछ नेता अपने कुछ नेताओं की गिरफ़्तारी और रोलेक्ट एक्ट का विरोध कर रहे थे. इस संदर्भ में वो लोगों को संबोधित भी कर रहे थे.

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3. तभी जनरल डायर अपने सिपाहियों के साथ वहां आता है और निहत्थे मासूम भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाने का हुक्म दे देता है. 

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3. बाग़ से बाहर जाने का रास्ता भी अंग्रेज़ों ने ब्लॉक कर रखा था.  

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4. उस वक़्त बाग़ में करीब 15-20 हज़ार लोग मौजूद थे. 

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5. गोलियां तड़ातड़ चल रही थीं, लोग अपनी जान बचाने के लिये इधर-उधर भाग रहे थे. 

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6. कुछ लोगों ने दीवारें फांदने की कोशिश की, मगर वो नाकाम रहे. 

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7. पूरे बाग़ में सिर्फ़ रोने-चिल्लाने और गोलियों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं. 

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8. बाग़ में एक कुआं मौजूद था लोग उसमें जान बचाने के लिए कूदने लगे थे. 

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10. कुछ ही देर में कुआं खू़न बच्चों, महिलाओं, और बूढ़ों की लाशों से भर गया था.

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11. उस समय जलियांवाला बाग क़रीब 6-7 एकड़ में फैला हुआ था. 

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12. यहां पहुंचने का सिर्फ़ एक ही रास्ता था. तीन तरफ से ये इमारतों से घिरा हुआ था. 

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13. ये अंग्रेज़ों द्वारा आज़ादी के लिए लड़ रहे भारतीयों को दबाने के लिए किया गया सबसे बड़ा नरसंहार था.

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14. कुछ लोगों का मानना है कि इस हत्याकांड में लगभग 1000 लोग मारे गए थे. 

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15. इस हत्याकांड के विरोध में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपना नोबेल पुरस्कार वापस कर दिया था. 

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देश के लिए जान देने वाले इन शहीदों की याद में हमें आज एक मिनट का मौन ज़रूर रखना चाहिए. 

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