क़िस्सा: जब लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिये चंद्रशेखर आज़ाद ने ब्रिटिश अफ़सर को मारी थी गोली

Akanksha Tiwari

अंग्रेज़ों ने भारत में सिर्फ़ राज ही नहीं किया, बल्कि हिंदुस्तानियों की मानसिकता को भी अपने वश में करने की कोशिश की. उस दौरान देश में कुछ ऐसे क्रांतिकारियों का जन्म हुआ, जिन्होंने देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई. देश के लिये मर-मिटने की क़सम खाने वालों में एक चंद्रशेखर आज़ाद भी थे.

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जब धरती पर पैदा हुआ देश का सबसे निराला क्रांतिकारी 

23 जुलाई 1906 वो दिन था जब मध्यप्रदेश के क़रीब आदिवासी गांव भांवरा में पंडित चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म हुआ. उनकी मां चाहती थीं कि वो बड़े होकर संस्कृत के विद्वान बनें. बेटे को विद्वान बनाने के लिये उन्हें काशी विद्यापीठ भेज दिया गया. उसी समय देशभर में महात्‍मा गांधी के असहयोग आंदोलन की लौ जल रही थी. चंद्रशेखर आज़ाद भी महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर आंदोलन का हिस्सा बन गये. उस समय उनकी उम्र महज़ 15 साल थी. 

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लाहौर में अंग्रेज़ अफ़सर से लिया लाला लाजपत राय की मौत का बदला 

30 अक्टूबर 1928 को लाला लाजपतराय और कुछ युवा लाहौर की सड़कों पर साइमन का विरोध कर रहे थे. इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज शुरु की और लाजपतराय की छाती पर बेहरमी से लाठियां बरसाईं. लाठीचार्ज में वो बुरी तरह घायल हो गये, जिसके बाद 17 नवंबर को वो ज़िंदगी से जंग हार गये. इसके बाद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों ने मिल कर लाजपतराय की मौत का बदला लेने का फ़ैसला किया.  

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भारत के वीर लाजपतराय की मौत को एक महीना ही बीता था कि चंद्रशेख़र आज़ाद ने उनकी मौत का बदला भी ले लिया. 1928 में उन्होंने लाहौर में रह कर ब्रिटिश पुलिस अधिकारी एसपी सॉन्डर्स को गोली मार कर लाजपतराय की शहादत का बदला लिया.

मरते दम तक पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाई थी 

27 फरवरी 1931 वो दिन था जब पुलिस को पता चला कि वीर चंद्रशेखर आज़ाद अल्‍फ्रे़ड पार्क में हैं. इस दौरान उनके साथ सुखदेव भी थे. इधर पुलिस गोलीबारी करती रही, लेकिन फिर भी वो चंद्रशेखर आज़ाद को नहीं पकड़ पाई. पुलिस से बचने के लिये चंद्रशेखर आज़ाद पेड़ के पीछे छिप गये और बंदूक में मौजूद आखिरी गोली उन्होंने ख़ुद को मार ली. 

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भारत माता के वीर सपूत और हिंदुस्तान के शौर्य को शत्.. शत्… नमन!

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