शिवाजी महाराज के शासनकाल के वो 10 घातक हथियार, जो दुश्मन की ज़िंदगी और हौसला दोनों कम कर देते थे

Abhay Sinha

17वीं सदी में जब भारत पर मुगलिया सल्तनत का परचम लहराता था. उस वक़्त छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज का झंडा बुलंद किया और देश के सबसे मज़बूत मराठा साम्राज्य की नींव रख दी. शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे. वो न तो कभी दुश्मनों के आगे झुके और न ही कभी गौरवशाली मराठा साम्राज्य की सीमाओं में विस्तार करना छोड़ा. उन्होंने अपने प्रशासन और सैन्य कौशल के दम पर अपने साम्राज्य का विस्तार दक्कन और मध्य भारत तक किया.

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शिवाजी ने इस काम के लिए अपनी बड़ी सेना के साथ ही घातक हथियारों का सहारा लिया. इनमें से कुछ हथियार तो ऐसे हैं, जिन्हें ख़ुद शिवाजी महाराज ने दुश्मनों का ख़ात्मा करने के लिए इस्तेमाल किया. शायद आपको उस बाघ नख के बारे में तो जानकारी होगी, जिससे शिवाजी ने अफ़ज़ल ख़ान को मौत के घाट उतारा था.

आज हम आपको कुछ ऐसे ही हथियारों के बारे में बताएंगे, जिनका इस्तेमाल शिवाजी महाराज के शासनकाल में मराठाओं ने किया था. 

1. तलवार

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एक भारतीय तलवार जो मध्यकाल में एक बेहतरीन हथियार मानी जाती थी. इसमें एक घुमावदार ब्लेड होता है और उसमें लकड़ी का एक हैंडल लगा होता था. हैंडल में ही उंगलियों के लिए गार्ड भी दिया रहता था. ये नुकीला और धारदार हथियार था, जो दुश्मन के सीने के आरपार हो जाता था. 

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2. फ़िरंगी

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ये बोलचाल का एक शब्द है, जिसका इस्तेमला विदेशियों के लिए किया जाता है. चूंकि इस तलवार का यूरोपीय डिज़ाइन था, इसलिए इसे ‘फिरंगी’ कहा जाता है. इसमें एक सीधा ब्लेड होता है जो एक तरफ से नुकीला होता है और दूसरी तरफ से छह इंच मोटा. इस यूरोपीय तलवार ने शिवाजी को ‘भवानी’ और ‘जगदम्बा’ तलवारों को भी बनाने के लिए प्रेरित किया था.

3. शमशीर

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ये हथियार ओरिजनली कहां का है, इस बारे में जानकारी नहीं है. लेकिन फारसी में इसका नाम शमशीर है. शमशीर की ख़ास बात ये थी कि ये फारसी और अरबी तलवार का मिश्रण थी. चूंकि, फारसी तलवार आमतौर पर सीधी और अरबी तलवार घुमादार होती है, इसमें दोनों ही विशेषताएं थीं. मराठाओं ने इसका इस्तेमाल दुश्मनों के ख़िलाफ़ किया था.

4. खंड

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इस तलवार के दोनों तरफ तेज़ धार होती थी. इसकी चौड़ाई हैंडल पर कम होती है, लेकिन लंबाई में बड़ी होती थी. मध्य और ऊपरी भाग में चौड़ा होने के कारण इस तलवार का इस्तेमाल दुश्मनों को दो टुकड़ों में काटने के लिए किया जाता था. इसमें कोई नुकीला सिरा नहीं होता था.

5. ख़ंजर

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इसका इस्तेमाल क़रीबी मुकाबले में होता था. ये दोधारी हथियार लंबाई में छोटा, घुमावदार और नुकीले सिरे वाला होता है. इसे रखने के लिए म्यान भी होती है. कहा जाता है कि इसका ओरिजन ओमान में हुआ, लेकिन इसका नाम अरबी है.

6. कटार

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इसे भी क़रीबी मुकाबले में इस्तेमाल किया जाता था. इसमें ‘H’ आकार के हैंडल वाला एक छोटा ब्लेड होता है. खंजर की तरह ये भी एक म्यान में ढका होता है. छोटा होने के कारण इसे आसानी से कमर में बांधा जा सकता था और ज़रूरत पड़ने पर तुंरत बाहर निकाल सकते थे.

7. गुप्ती

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ये एक छोटी, नुकीली, लेकिन असरदार तलवार है. इसके नुकीले सिरे से दुश्मन के पेट को आसानी से छेदा जा सकता है. ये लकड़ी के बने म्यान से ढका होता है जिससे ये अनुमान लगाना कठिन होता है कि कोई व्यक्ति शस्त्र ले जा रहा है या लाठी.

8. बिछवा

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ये एक भारतीय खंजर है जिसका एक सिरा घुमावदार है और दूसरा नुकीला. इसमें आसानी से पकड़ने और हमला करने के लिए एक छोटा लूप वाला मूठ लगा होता है.  

9. कुरहाड

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कुल्हाड़ी को मराठी कुरहाड बोलते थे. लोहे की बना ये हथियार बेहद घातक था. इसका इस्तेमाल दुश्मन की खोपड़ी खोलने के लिए किया जाता था.


10. बाघ नख

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बाघ नख का मतलब बाघ के नाखूनों से है. शिवाजी महाराज ने इसी हथियार से अफ़जल ख़ान को मारा था. इस हथियार की ख़ासियत ये थी कि इसे आसानी से छिपाया जा सकता था और ज़रूरत पड़ने पर अचानक से हमला कर सकते थे.  

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