क्या आप जानते हैं आज़ाद भारत का पहला पुलिस एनकाउंटर कब और कहां हुआ था?

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अगर आपने बॉलीवुड फ़िल्म ‘शूटआउट एट वडाला’ देखी हो तो उसमें मन्या सुर्वे का किरदार तो अच्छे से याद ही होगा. फ़िल्म के इस महत्वपूर्ण किरदार को जॉन अब्राहम ने निभाया था. ये फ़िल्म मुंबई की एक सच्ची घटना पर आधारित थी. इसके अलावा साल 1990 में रिलीज़ हुई अमिताभ बच्चन स्टारर ‘अग्निपथ’ और साल 2012 में ऋतिक रोशन स्टारर ‘अग्निपथ’ फ़िल्म में इन दोनों कलाकारों ने जिस विजय दीनानाथ चव्हाण का किरदार निभाया, वो भी मन्या सुर्वे पर ही केंद्रित था.

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चलिए अब मुद्दे की बात पर आते हैं… कहते हैं कि भारत में पहला पुलिस एनकाउंटर (Encounter) डॉन मन्या सुर्वे का ही हुआ था.  

कौन था मन्या सुर्वे ? 

मन्या सुर्वे का असली नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था. मुंबई के कीर्ति कॉलेज से बी.ए. करने के बाद उसने अपराध की दुनिया में क़दम रखा. इसके बाद उसने अपने कुछ पढ़े लिखे दोस्तों को भी अपनी गैंग में शामिल कर लिया और कुछ ही साल में बन गया मुंबई का सबसे ख़तरनाक डॉन. मन्या सुर्वे 70 और 80 के दशक में मुंबई का सबसे ख़तरनाक डॉन हुआ करता था. 

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अपराध की दुनिया में मन्या सुर्वे का पहला क़दम 

मन्या सुर्वे को सौतेला भाई भार्गव दादा अपराध की दुनिया में लाया था. अपने भाई भार्गव और उसके दोस्त पोधाकर के साथ मिलकर उसने सन 1969 में पहली बार मर्डर किया था. इस क़त्ल में मन्या की गिरफ़्तारी हुई, मुक़दमा चला और उसे उम्र क़ैद की सजा हुई. इस मामले में सजा मिलने के बाद उसे पुणे की ‘यरवदा जेल’ भेज दिया गया, लेकिन वो जेल में और भी ख़ूंख़ार हो गया. यरवदा जेल में उसका ऐसा आतंक था कि जेल प्रशासन ने परेशान होकर उसे ‘रत्नागिरी जेल’ भेज दिया. 

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पुलिस को चकमा देकर भाग निकला मन्या 

14 नवंबर 1979 को अस्पताल में भर्ती मन्या पुलिस को चकमा देकर से वहां से भाग निकला और मुंबई पहुंच गया. मुंबई आने के बाद उसने अपने गैंग को फिर से खड़ा किया, कई बड़े गैंगस्टर और उस दौर के कुख्यात रॉबर भी उसकी गैंग में शामिल हुए. इसके बाद इस गैंग ने चोरी-डकैती से लेकर कई तरह की वारदातों को अंजाम दिया. मन्या सुर्वे की दहशत बढ़ी, मुंबई में कानून व्यवस्था पर सवाल उठे और पुलिस की कार्यशैली पर उंगलियां उठने लगीं. 

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इसके बाद मन्या सुर्वे की तलाश शुरू हुई. पुलिस ने एक-एक करके उसके साथियों को गिरफ़्तार करना शुरू किया. पुलिस के साथ चली लंबी लुका-छुपी के बीच 11 जनवरी, 1982 को मुंबई के वडाला स्थित ‘आंबेडकर कॉलेज’ के पास एक ब्यूटी पार्लर में मन्या अपनी गर्लफ्रेंड को लेने आया था. पुलिस को इसकी भनक लग गई.   

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एनकाउंटर में ढेर हुआ मन्या 

सूचना मिलते ही मुंबई पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर इशाक बागवान की टीम मौके पर पहुंची. इस दौरान इशाक की टीम ने एनकाउंटर में मन्या सुर्वे को ढेर कर दिया. कहा जाता है कि ये आज़ाद भारत का पहला पुलिस एनकाउंटर था और इशाक बागवान एनकाउंटर करने वाले पहले पुलिस ऑफ़िसर. पुलिस सूत्रों की मानें तो, मन्या सुर्वे की गर्लफ्रेंड विद्या जोशी से ही पुलिस को उस तक पहुंचने का रास्ता मिला था.

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पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि सन 1982 में मन्या सुर्वे के मारे जाने के बाद 2004 तक मुंबई में 662 कथित अपराधी पुलिस की गोलियों का शिकार बने. मन्या सुर्वे को दाऊद इब्राहिम और उसके बड़े भाई शब्बीर इब्राहिम का जानी दुश्मन माना जाता था. मन्या की मौत के बाद दाऊद इब्राहिम और ताक़तवर बन गया.   

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