Facts About Pokhran Atomic Nuclear Tests. साल 1998 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण साल था. इस साल भारत एक परमाणु सशक्त देश (Nuclear Superpower) से लैस देश बन गया. दुनियाभर के देशों ने भारत का लोहा माना और भारत की उन्नति की तारीफ़ की. इस मिशन की सबसे ख़ास बात ये थी कि ये मिशन सिक्रेट मिशन था. अमेरिका की जासूसी ऐजेंसी, CIA (Central Intelligence Agency) के नाक के नीचे, कम संसाधनों में भारत ने असंभव को संभव कर दिखाया.
चलिये, आज पोखकरन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य पर नज़र डालते हैं-
1. UN Security Council के देशों के अलावा टेस्ट करने वाला पहला देश
United Nations Security Council में 5 Permanent देश हैं- चीन, फ़्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स. इन सब के अलावा न्यूक्लियर टेस्ट करने वाला भारत पहला देश है.
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11 मई, 1998 को भारत ने शक्ति-1 (Shakti 1) Nuclear Missile की सफ़लतापूर्वक टेस्टिंग की. इस सिक्रेट ऑपरेशन का नाम था ‘मिशन शक्ति’. 13 मई को भारत ने 2 और न्यूक्लियर टेस्ट किये और न्यूक्लियर पावर नेशन (Nuclear Power Nation) बन गया. न्यूक्लियर डिवाइस का नाम शक्ति 1 से शक्ति 5 और टेस्ट में इस्तेमाल किये गये Poles का नाम White House, Taj Mahal और Kumbhakaran रखा गया था.
3. दूसरा न्यूक्लियर टेस्ट था
मई 1974 में पहला न्यूक्लियर टेस्ट, पोखरन 1 किया गया था. इस मिशन का नाम था ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा (Operation Smiling Buddha). CIA के जासूसों ने टेस्टिंग की ख़बर का पता लगा लिया था इसलिये टेस्टिंग रोकनी पड़ी.
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4. वैज्ञानिक करते थे रात में काम
हमारे देश के वैज्ञानिकों के पास मिशन की तैयारी के लिये सिर्फ़ 1.5 साल का वक़्त था. इस मिशन को सिक्रेट रखना सबसे ज़्यादा ज़रूरी थी क्योंकि CIA की नज़र हम पर थी. रात में सैटलाइट से तस्वीरें खिंचने में परेशानी होती इसलिये वैज्ञानिकों ने रात में काम किया.
5. सैनिक के भेष में वैज्ञानिक साइट पर पहुंचते थे
उस समय के Foreign Secretary K. Raghunath ने अमेरिका को बताया था कि भारत न्यूक्लियर हथियार की टेस्टिंग नहीं कर रहा और इसके कुछ महीने बाद ही भारत ने टेस्टिंग की. मिशन को सिक्रेट बनाये रखने के लिये वैज्ञानिकों ने सेना अधिकारियों का भेष बनाया और सभी को अलग-अलग नाम भी दिये गये. अब्दुल कलाम का नाम मेजर जनरल पृथ्वी राज था और वहीं राजागोपाला चिदंबरम (तत्कालीन Atomic Energy Chief) का नाम नटराज.
6. 5 न्यूक्लियर बम टेस्ट किये गये
पोखरन-2 मिशन में कुल 5 न्यूक्लियर मिसाइल की टेस्टिंग की. पहला बम Fusion Bomb था और बाकी चार Fission Bomb. ये टेस्टिंग Fission Device और Low Yield Thermonuclear Device के ज़रिये की गई.
7. 27 अप्रैल को होने वाली थी टेस्टिंग लेकिन टालनी पड़ी
पहले टेस्टिंग की तारीख़ 27 अप्रैल को रखी गई थी लेकिन इस दिन डॉ.आर.चिदंबरम की बेटी की शादी थी. डॉ. चिदंबरम की अनुपस्थिति से दूसरों को शक़ हो सकता था इसलिये तारीख़ आगे बढ़ाई गई.
8. टेस्टिंग के दिन चल रही थी तेज़ हवायें
टेस्टिंग के दिन तेज़ हवायें चल रही थीं और इससे टेस्टिंग में बाधा आ रही थी. जिस क्षेत्र में लोग रहते थे उस तरफ़ ही हवायें चल रही थीं. ऐसे में आम लोगों तक Radiation फैलने का ख़तरा था. 12 बजते-बजते हवा की रफ़्तार कम हुई और टेस्टिंग की गई.
9. नेशनल टेक्नोलॉजी डे
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई ने 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे घोषित किया था.
10. रक्षा मंत्री को भी नहीं थी जानकारी
ये मिशन इतना महत्वपूर्णा था कि इस मिशन की जानकारी देश के रक्षा मंत्री, जॉर्ज फ़र्नानडीस को भी नहीं दी गई थी. प्रधानमंत्री वाजपाई, कलाम और डॉ. चिदंबरम के बीच ही मिशन पर चर्चा हुई.
वैज्ञानिकों ने हमें वो कीर्ति दिलाई जिसका हम लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे, वक़्त आ गया है कि हम उनकी कहानियां कहें, पढ़े और सुने.
Sources- The Speaking Tree, Quora