Holi White Clothes : होली (Holi 2023) का त्यौहार ज़िंदगी में ख़ूबसूरत रंग, ख़ुशियां और उमंग लेकर आता है, जिसे हर साल भारत में लोग धूमधाम से मनाते हैं. बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर कोई इस दिन रंगों से सरोबार नज़र आता है. आपने ज़्यादातर लोगों और बड़े-बड़े सेलेब्स को होली पर सफ़ेद कपड़े पहने हुए देखा होगा. पर क्या आपने कभी इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश की है कि ऐसा होता क्यूं है?
आइए हम आपको बताते हैं कि होली पर सफ़ेद कपड़े पहनने के पीछे की असल वजह क्या है?
शांति का प्रतीक है सफ़ेद रंग
होली को आमतौर पर भाई-चारे का त्यौहार माना जाता है. साथ ही सफ़ेद रंग को पॉज़िटिविटी और शांति का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन सभी संबंधों के बीच की कड़वाहट मिटाकर इस त्यौहार का जश्न मनाते हैं. सफ़ेद कपड़े इस दिन शांति का संदेश देते हैं.
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सफ़ेद कपड़ों पर उभरकर आता है रंग
होली के अवसर पर सफ़ेद कपड़े पहनने का एक ये भी कारण है कि इस रंग पर बाकी रंग बहुत अच्छे से चढ़ते हैं. इसमें सबसे ज़्यादा नीला, बैंगनी, हरा, पीला, गुलाबी और नारंगी कलर दूसरे रंगों की तुलना में उभरकर आता है. इस वजह से होली पर सफ़ेद कपड़ों में फ़ोटोज़ भी बहुत अच्छी आती हैं.
ठंडक का कराता है एहसास
होली के साथ ही गर्मियां भी शुरू होने लगती हैं. ऐसे में सफ़ेद कपड़ा कूल कलर्स में आता है. इसे पहनकर गर्मी कम लगती है और ये ठंडक का एहसास कराता है. साथ ही इसे पहनने से व्यक्ति को कंफ़र्टेबल भी महसूस होता है.
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सच्चाई का प्रतीक माना जाता है सफ़ेद रंग
हिंदू धर्म के अनुसार, होली के एक दिन पहले होलिका को जलाने की प्रथा है. कहानियों के मुताबिक, कहा जाता है कि राजा हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था. लेकिन राजा को इस बात से आपत्ति थी. उसने अपने बेटे को कई बार भगवान विष्णु की आराधना करने से रोकने की भी कोशिश की, पर वो नहीं माना. ऐसे में एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी होलिका को बुलाकर प्रहलाद को मारने के लिए कहा. इसके बाद होलिका, प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर आग की शैय्या पर बैठ गई थी. इस दौरान भी प्रहलाद भगवान विष्णु को ही याद करते रहे. इससे प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका आग में जलकर मर गई. इस तरह अच्छाई की बुराई पर जीत हुई. इसी वजह से सफ़ेद रंग को सच्चाई का प्रतीक माना जाता है.