समय के साथ-साथ मनोरंजन के साधनों में कई बड़े बदलाव आए. मोबाइल व अन्य गेमिंग गैजेट्स ने बच्चों व बड़ों को अपना आदी बना लिया है, वरना एक समय था जब चुटकुलों की किताबें, दूरदर्शन, व कॉमिक्स जैसी चीज़ें बच्चों के मनोरंजन के मुख्य साधन हुआ करते थीं. वहीं, कॉमिक्स की बात करें, तो उसमें ‘चाचा चौधरी और साबू’ नाम की कॉमिक्स बुक ने न सिर्फ़ बच्चों बल्कि बड़ों के दिल में भी जगह बनाई. वैसे क्या आप जानते हैं ‘चाचा चौधरी और साबू’ कॉमिक्स के मुख्य किरदार ‘चाचा चौधरी’ को बनाने वाले शख़्स कौन थे? अगर नहीं, तो हम इस लेख में उसी ख़ास शख़्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
प्राण कुमार शर्मा
उस ख़ास शख़्स का नाम है प्राण कुमार शर्मा, जिन्होंने ‘चाचा चौधरी’ के किरदार को सदा-सदा के लिए अमर कर दिया. प्राण कुमार शर्मा एक कार्टूनिस्ट थे, जिन्होंने ‘चाचा चौधरी’ के साथ-साथ बिल्लू, रमन, चन्नी चाची, पिंकी जैसे किरदारों को बनाया.
लाहौर में हुआ जन्म
प्राण कुमार शर्मा का जन्म 15 अगस्त 1938 में लौहोर के नज़दीक स्थित कसूर नामक कस्बे में हुआ. लेकिन, जब बंटवारा हुआ, तो उनका परिवार अपने मूल स्थान को छोड़ मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में बस गया. उन्होंने मुंबई के Sir J J School of Art से प्रशिक्षण लिया और आगे जाकर फ़ाइन आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की. इसके अलावा, उन्होंने राजनीति शास्त्र में एम ए भी किया था.
अख़बार के लिए किया काम
एक कार्टूनिस्ट के तौर पर प्राण कुमार शर्मा ने सबसे पहले दैनिक मिलाप नाम के दिल्ली के एक अख़बार के लिए काम किया. यहां वे एक कॉमिक कैरेक्टर ‘डब्बू’ के चित्र बनाया करते थे. वहीं, उन्होंने लोटपोट नाम की एक हिंदी पत्रिका के लिए ‘चाचा चौधरी’ का किरदार रचा, जिसे लोगों को बहुत ज़्यादा प्यार मिला.
चाचा चौधरी के साथ अन्य किरदार रचे
जिस वक़्त अंग्रेज़ी कॉमिक्स का बोलबाला था, प्राण कुमार शर्मा ने हिंदी कॉमिक्स कैरेक्टर बनाना शुरू किया. उनके द्वारा बनाए गए किरदार एक के बाद एक लोकप्रिय होते चले गए. उन्होंने चाचा चौधरी के अलावा, बिल्लू, पिंकी, रमन, श्रीमती जी जैसे किरदार रचे.
चाचा चौधरी के पीछे की कहानी
यह सवाल आपके दिमाग़ में आ सकता है कि आख़िर उन्होंने चाचा चौधरी का किरदार कैसे रचा? दरअसल, प्राण कुमार चाहते थे कि उनका किरदार अंग्रेज़ी कार्टून किरदारों जैसे बैट मैन व सुपरमैन से अलग हो. इसलिए, उन्होंने भारतीयों के बीच का ही एक साधारण कैरेक्टर चुना, जिसके बड़ी-बड़ी मूछे थीं, कद छोटा था और सिर पर बाल नहीं थे.
मिल चुके हैं कई सम्मान
अपने शानदार काम के चलते उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें 2001 में Indian Institute of Cartoonists से ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ मिला था. वहीं, Limca Book Record की तरफ़ से उन्हें 1995 के ‘पीपल ऑफ द ईयर’ में शामिल किया था. वहीं, उनके निधन के बाद 2015 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था. बता दें, उनका निधन 2014 में हार्ट अटैक की वजह से हुआ था.