ग्वालियर का क़िला (ग्वालियर दुर्ग) मध्य प्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है. ग्वालियर के ‘गोपाचल’ नामक पर्वत पर स्थित इस ऐतिहासिक क़िले को देखने हर साल दुनिया भर से लाखों पर्यटक यहां आते हैं. पिछले 1000 सालों से अधिक समय से ये क़िला ग्वालियर शहर की शान रहा है. 5वी सदी से लेकर 18वीं सदी तक इसे भारत के सबसे अभेद क़िलों में से एक माना जाता था.
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इतिहासकारों के अनुसार इस क़िले का निर्माण 5वी शताब्दी और 6वीं शताब्दी में राजा सूरजसेन ने की थी. इसके बाद 9वीं शताब्दी में राजा मान सिंह तोमर ने इसी क़िले में मौजूद ‘मान मंदिर महल’ का निर्माण करवाया. जबकि रानी मृगनयनी ने ‘गुजरी महल’ का निर्माण करवाया गया था. 15वीं शताब्दी में निर्मित ‘गुजरी महल’ राजा मानसिंह और रानी मृगनयनी के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है.
ये ऐतिहासिक क़िला कछवाहा राजपूत, परिहार, तोमर, मुगल, जाट, सिंधिया, मराठा और अंग्रेज़ों के शासनकाल का गवाह भी रहा है. वर्तमान समय में ये क़िला दुर्ग एक पुरातात्विक संग्रहालय के रूप में जाना जाता है. लाल बलुआ पत्थर से बने इस क़िले की ख़ास बात ये है कि ये शहर के हर कोने से दिखाई देता है.
इस क़िले में 6 महल ‘मान मंदिर महल’, ‘गुजरी महल’, ‘कर्ण महल’, ‘विक्रम महल’, ‘हाथी पोल’, ‘भीम सिंह राणा की छत्री’ मौजूद हैं. इसके अलावा ‘जैन मंदिर’, ‘तेली का मंदिर’, ‘सहस्त्रबाहु (सास-बहू) मंदिर’, ‘गरुड़ स्मारक’, ‘उरवाई’, ‘गोपाचल’, और ‘गुरुद्वारा डाटा बांदी छोर’ जैसे प्रमुख स्मारक भी मौजूद हैं.
चलिए आज ग्वालियर के इस ऐतिहासिक क़िले की 100 साल पुरानी तस्वीरों के ज़रिए इसके इतिहास को भी जान लेते हैं-
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ग्वालियर के क़िले की ये ऐतिहासिक तस्वीरें कैसी लगीं आपको?