Karmanghat Hanuman Temple: वो हनुमान मंदिर जिसे औरंगज़ेब भी तोड़ न सका, लौट गया था उल्टे पांव

Abhay Sinha

औरंगज़ेब (Aurangzeb) एक कट्टर मुगल शासक था. भारत में उसने कई मंदिर तोड़े. तेलंगाना के हैदराबाद (Hyderabad) में स्थित ‘करमनघाट हनुमान मंदिर’ (Karmanghat Hanuman Temple) भी वो तोड़ना चाहता था. हालांकि, ऐसा हो नहीं पाया. क्योंकि, मंदिर तोड़ने से पहले ही औरंगज़ेब के पसीने छूट गए. वो इस कदर डर गया कि वहां से वापस लौट गया.

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क्या है करमनघाट हनुमान मंदिर का इतिहास और क्यों औरंगज़ेब इस मंदिर को तोड़ न सका, आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे. (Ancient Hanuman Temple In Hyderabad)

करमनघाट हनुमान मंदिर का इतिहास (Karmanghat Hanuman Temple History)

इस मंदिर की स्थापना की एक बेहद दिलचस्प कहानी है. कहते हैं कि मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था. 1143 के आसपास काकतीय वंश के राजा प्रोला द्वितीय जंगल में शिकार के लिए गए हुए थे. राजा प्रोला वहां थक कर सो गए. उसी दौरान उन्हें घने जंगलों के बीच में भगवान राम का जाप सुनाई दिया. उन्हें हैरानी हुई कि इस जंगल में कौन है, जो भगवान राम का जाप कर रहा है.

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जब राजा वहां देखने पहुंचे तो उन्हें हनुमान जी की एक बैठी हुई प्रतिमा नज़र आई. इसी प्रतिमा के भीतर से भगवान राम के जाप की आवाज़ सुनाई दे रही थी. इसके बाद राजा अपनी राजधानी लौट आए और उन्होंने हनुमान जी के इस अद्भुत मंदिर की स्थापना की.

जब औरंगज़ेब तोड़ने पहुंचा मंदिर

औरंगज़ेब अपनी सेना लेकर इस मंदिर को तोड़ने पहुंचा था. मगर कहते हैं कि उसकी सेना करमनघाट हनुमान मंदिर के परिसर के भीतर प्रवेश भी न कर सकी. झुंझलाहट में ख़ुद मुगल शासक औरंगज़ेब मंदिर को तोड़ने आगे बढ़ा, लेकिन मंदिर के नज़दीक पहुंचते ही उसे एक गर्जना सुनाई दी और वो कांप उठा.

तेज़ आवाज़ में किसी ने कहा, ‘मंदिर तोड़ना है राजा, तो कर मन घाट’.

इसका मतलब था कि अगर मंदिर तोड़ना है तो अपने मन को मज़बूत कर. कहा जाता है कि औरंगज़ेब इस घटना के बाद चुपचाप मंदिर से चला गया. इसी के बाद इस मंदिर का नाम करमनघाट पड़ गया.

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बाकी हनुमान मंदिरों से अलग है करमनघाट की परंपरा

करमनघाट मंदिर द्राविड़ शैली में बना है. इस मंदिर में हनुमान जी के अलावा श्री राम, भगवान शिव, देवी सरस्वती, माता पार्वती, संतोषी माता, भगवान वेणुगोपाल और भगवान जगन्नाथ स्वामी की प्रतिमाएं हैं. मंदिर स्थानीय लोगों की कई प्रकार से मदद भी करता है. मसलन, मेडिकल कैंप, शैक्षिक कार्यक्रम, गरीबों को भोजन समेत अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं.

इस मंदिर की एक अन्य रोचक परंपरा है कि अन्य हनुमान मंदिरों में मंगलवार या शनिवार को हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन करमनघाट के हनुमान मंदिर में रविवार को विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा ध्यान मुद्रा में है, लेकिन उन्हें एक सैनिक के समान वेशभूषा पहनाई जाती है. इसके अलावा, यहां हनुमान जी की पूजा में नारियल का उपयोग किया जाता है.

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