Kasar Devi Temple: रहस्यमयी है उत्तराखंड का ये पुराना मंदिर, स्वामी विवेकानंद भी गए थे यहां

J P Gupta

Kasar Devi Temple: देवभूमी उत्तराखंड वैसे तो पर्यटकों के बीच काफ़ी प्रसिद्ध है, लेकिन यहां की कसार देवी का मंदिर वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के बीच खासा लोकप्रिय है. इस मंदिर का एक ऐसा रहस्य है जो इसे दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. (Kasar Devi Mandir Story)

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क्या है इस मंदिर की ख़ासियत और कैसे यहां जाकर आप भी परम आनंद पा सकते हैं चलिए आपको विस्तार से बताते हैं…

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Kasar Devi Almora: कसार देवी मंदिर यूके यानी उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर दूर बसे कसार देवी गांव में है. समुद्र तल से 2,116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर से हवाबाग घाटी और अलमोर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. यहां हर साल हज़ारों पर्यटक दर्शन करने आते हैं. इसमें कसार देवी की प्रतिमा है जिन्हें मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है. 

कसार देवी मंदिर का इतिहास (History Of Kasar Devi Temple)

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ये मंदिर दूसरी शताब्दी में बनाया गया था. कहते हैं यहां माता कात्यायनी अवतरित हुई थीं. यहां अखंड ज्योति है जो वर्षों से प्रज्वलित है. मंदिर परिसर में एक हवन कुंड भी है जिसमें लकड़ियां जलती रहती हैं. कहा जाता है कि इसकी भभूत से लोगों की कुछ परेशानियां दूर हो जाती हैं. इतिहास की बात करें तो इस मंदिर में स्वामी विवेकानंद भी आ चुके हैं.

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स्वामी विवेकानंद से भी है नाता

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Kasar Devi Mandir Swami Vivekanand Connection: 1890 में जब स्वामी विवेकानंद जी यहां आए थे तो उन्होंने यहां ध्यान किया था. उनको ये जगह इतनी पसंद आई थी कि अपनी डायरी में इसका ज़िक्र भी किया था. 1930 में तिब्बती बौद्ध लामा अनागारिक गोविंदा यहां आए थे और कई दशकों तक यहां रहे. उसके बाद से कई बौद्ध संत यहां आ चुके हैं.

क्या ख़ासियत है इस मंदिर की

अल्मोड़ा पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये भारत की एक एकलौती ऐसी जगह है, जहां चुंबकीय शक्तियां मौजूद हैं. मंदिर के आस-पास ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां चुंबकीय शक्ति देखी गई है. मंदिर परिसर में शरीर को अपनी ओर खींचने वाली शक्तियां मौजूद हैं. ऐसा क्यों है इसका पता लगाने नासा के वैज्ञानिक भी आए थे, लेकिन उनको भी इसका रहस्य पता नहीं चला.

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मन की शांति पाने के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. मंदिर में हर साल एक मेले का भी आयोजन किया जाता है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर) को लगने वाले इस मेले को कसार मेला कहा जाता है. 

कैसे पहुंचें कसार देवी मंदिर (How To Reach Kasar Devi Temple)

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Kasar Devi Route: दिल्ली से इस मंदिर की दूर क़रीबी 350 किलोमीटर है. यहां सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जो देहरादून में है. वहां से मंदिर लगभग 124 किलोमीटर दूर है. यहां से बस और टैक्सी के ज़रिये मंदिर पहुंचा जा सकता है. ट्रेन से आना चाहते हैं तो आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा. वहां से ये मंदिर 88 किलोमीटर की दूरी पर है.

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