महाराष्ट्र के ऐतिहासिक शहर पुणे की गलियों में आपको हर कोने में भारत के इतिहास से जुड़ी कोई न कोई झलक देखने को मिल जाएगी. पुणे के यरवदा में स्थित ‘आगा ख़ान पैलेस’ भी अपने आगोश में ऐसा ही एक इतिहास को समेटे खड़ा है.
ये भी पढ़ें: इन 11 अनदेखी तस्वीरों के ज़रिए देखिये और जानिए सालों पहले पुणे शहर कैसा दिखता था
आगा ख़ान पैलेस का निर्माण 1892 में अकाल पड़ने के बाद हुआ था. इसका मकसद था स्थानीय लोगों को रोज़गार देना. इस पैलेस को बनने में क़रीब 5 साल का समय लगा. इसे क़रीब 1000 मज़दूरों ने बनाया था. 19 एकड़ में फैले इस पैलेस की लागत उस दौर में क़रीब 10,000 रुपये आई थी.
कौन थे आगा ख़ान?
सर सुल्तान मुहम्मद शाह आगा खान III खोजा इस्माइली मुसलमानों के 48वें इमाम थे. वो ‘ऑल इंडिया मुस्लिम लीग’ के संस्थापक भी थे और भारत में मुसलमानों के अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से काम करते थे.
इस जगह का महात्मा गांधी से क्या संबंध है?
आज़ादी की लड़ाई के दौरान आगा ख़ान पैलेस को जेल में तब्दील कर दिया गया था. अगस्त 1942 से मई 1944 तक महात्मा गांधी, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी, गांधी के सचिव महादेव देसाई और सरोजिनी नायडू यहां बंधक थे. इतना ही नहीं, कस्तूरबा गांधी और महादेव देसाई ने इस महल में दम तोड़ दिया था. इन दोनों की समाधि इसी महल में हैं. इनके बगल में महात्मा गांधी की भी कुछ चिता रखी हुई है.
आज इस जगह को महात्मा गांधी की याद में उनके स्मारक के रूप में बदल दिया गया है. गांधी द्वारा इस्तेमाल किए गए बर्तनों से लेकर उनके द्वारा लिखे गए खत सब आपको यहां देखने को मिलेंगे.
यदि आपको भी भारत के इतिहास या आज़ादी के दौर में रूचि है तो यहां ज़रुर जाइएगा.