Kondapalli Toys History and Making in Hindi: भारत में खिलौनों का प्रयोग प्राचीन समय से होता आया. वहीं, सिन्धु घाटी सभ्यता के खंडहरों से भी खिलौने प्राप्त किए गए थे. हालांकि, आज मॉर्डन ज़माने में नए-नए फ़ैसी, इलेक्ट्रॉनिक व रोबोटिक खिलौने आ गए हैं, इसलिए प्राचीन समय में इस्तेमाल होने वाले खिलौने और उन्हें बनाने की कला विल्पुत होती जा रही है. हालांकि, चुनिंदा लोगों द्वारा ऐसी हस्तकला अब भी सुरक्षित है.
आइये, इस कड़ी में हम आपको कोंडापल्ली खिलौनों के बारे में बताते हैं, जिसका इतिहास (Ancient Handicrafts in India) 400 साल पुराना बताया जाता है.
100 परिवार ने संभाल रखी है ये प्राचीन हस्तकला
Kondapalli Toys History in Hindi: दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के विजयवाड़ा से क़रीब 23 किमी दूर कोंडापल्ली नाम का कस्बा है, जहां बनते हैं कोंडापल्ली खिलौने. खिलौने बनाने की ये दुर्लभ हस्तकला 400 साल पुरानी बताई जाती है, जिसे यहां के रहने वाले 100 परिवारों ने संभालकर रखा हुआ है. इस कस्बे की आबादी क़रीब 35 हज़ार है.
प्राचीन हस्तकला से बनने वाले ये खिलौने देश-विदेश में मशहूर हो रहे हैं. वहीं, इनका नाम कोंडापल्ली इस कस्बे के नाम की वजह से पड़ा है, क्योंकि ये यहीं बनाए जाते हैं.
मिला है जीआई टैग
Kondapalli Toys History and Making in Hindi: इन खिलौनों को भारत सरकार द्वारा जीआई (GI) टैग भी दिया गया है. ये टैग उन उत्पादों को दिया जाता है, जो ख़ास भौगोलिक पहचान रखते हैं.
ख़ास लकड़ी और गोंद का होता है इस्तेमाल
Kondapalli Toys History and Making in Hindi: ये लकड़ी के खिलौने हैं और इन्हें पारंपरिक तरीक़े से ही बनाया जाता है. इन ख़ास कोंडापल्ली खिलौनों को बनाने के लिए मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है. वहीं, ये ख़ास तेल्ला पोनिकी नाम के पेड़ की लकड़ी से बनाए जाते हैं.
Kondapalli Toys History and Making in Hindi: लकड़ी के अलग-अलग टुकड़ों को अच्छे से तराशने (How Kondapalli Toys Are Made in Hindi) के बाद इमली के बीज और लकड़ी के बुरादे से बनने वाले गोंद से चिपकाया जाता है. इस गोंद को ‘मक्कू’ कहा जाता है.
वहीं, इन खिलौनों को प्राकृतिक रंगों से ही रंगा जाता है. किसी भी तरह के सिथेंटिक रंगों का इस्तेमाल इन पर नहीं किया जाता है.
पौराणिक कथाओं से लिए जाते हैं चरित्र
Kondapalli Toys History and Making in Hindi: इन खिलौनों की एक और ख़ास बात ये है कि इनके चरित्र पौराणिक व दंत-कथाओं से लिए जाते हैं. साथ ही भगवान गणेश, दशावतार, हनुमान, माता लक्ष्मी व बालाजी आदि देवी-देवताओं की लकड़ी की कृतियां भी बनाई जाती हैं.
ये खिलौने आपको 20 रुपए से लेकर 15 हज़ार तक मिल जाएंगे. ये आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें कमेंट में बताना न भूलें और इसी तरह जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें हमसे.