हर इंसान बराबर है और किसी को यह हक़ नहीं कि वो किसी का अपमान करे. वहीं, कभी-कभी अपमान का असर डिप्रेशन तक पहुंच जाता है, तो कभी स्थिति उल्टी ही पड़ जाती है यानी अपमान करने वाला ही ख़ुद का अपमान कर बैठता है. आइये, आपको ऐसी ही सच्ची कहानी से रू-ब-रू कराते हैं, जब अपमान करने वाले को ही एक बड़ा झटका झेलना पड़ा.
आपने ‘Lamborghini’ का नाम तो सुना होगा, जी हां, जिसकी गिनती विश्व की चुनिंदा ‘Top Luxury Sports Cars Brands’ में की जाती है. जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ़ एक अपमान का बदला था ‘Lamborghini Sports Cars’ का निर्माण. आइये, सुनाते हैं आपको इसकी पूरी कहानी, लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं इस कार के संस्थापक के बारे में.
इटली का रहने वाला किसान का बेटा
‘Lamborghini’ कंपनी के संस्थापक का नाम था Ferruccio Lamborghini. इनका जन्म (28 April 1916) इटली के Renazzo नामक शहर में एक किसान परिवार में हुआ था. लेम्बोर्गिनी की सोच अपने पिता से बिल्कुल अलग थी, वो किसान नहीं, बल्कि वो कुछ अलग ही बनना चाहते थे. वो अपनी दिलचस्पी मशीनों में दिखाया करते थे. यही वजह थी कि उन्होंने आगे मैकेनिकल की पढ़ाई की.
मिली पहली नौकरी
लेम्बोर्गिनी को पहली नौकरी ‘Italian Royal Air Force’ में एक मैकेनिक के रूप में मिली. मशीनों में दिलचस्पी और कड़ी मेहनत के कारण वो जल्द ही वहां व्हीकल मेंटेनेंस यूनिट के सुपरवाइज़र बन गए. चूंकि वो भी एयर फ़ोर्स के एक जवान थे, इसलिए 1945 की लड़ाई के बाद अपनी हार से तिलमिलाए ब्रिटेन की सेना ने अन्य फौजियों के साथ लेम्बोर्गिनी को भी बंदी बना लिया था. वो तब छूटे जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था.
ट्रैक्टर मैन्युफ़ैक्चरिंग कंपनी
ब्रिटेन की कैद से छूटने के बाद Ferruccio Lamborghini ने अपना एक गैराज खोला. यह समय था 1947 का, जिस दौरान इटली कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में काफ़ी तरक्की कर रहा था. बस क्या था, लेम्बोर्गिनी ने अपना पहला ट्रैक्टर उतार दिया, जिसका नाम Carioca रखा गया. अपने समय के ट्रैक्टरों से अलग होने की वजह से यह ट्रैक्टर मॉडल काफ़ी लोकप्रिय हुआ. इसके बाद लेम्बोर्गिनी ने Lamborghini Trattori नाम की एक ट्रैक्टर मैन्युफ़ैक्चरिंग कंपनी खोल दी.
पकड़ी Ferrari की ग़लतियां
यह सवाल आपके ज़ेहन में भी आ सकता है कि जब ट्रैक्टर बनाने का बिज़नेस इतना सही चल रहा था, तो स्पोर्ट्स कार बनाने की ज़रूरत और सबसे अहम आइडिया कहां से आया? दरअसल, बात यह थी कि लेम्बोर्गिनी, स्पोर्ट्स कार के दीवाने थे. जब उनका ट्रैक्टर का बिज़नेस चल पड़ा, तो उन्होंने अपने लिए ‘Ferrari 250 GT Coupé’ ख़रीदी. यह बात 1958 की है. जैसा कि हमने बताया कि लेम्बोर्गिनी एक मैकेनिक थे, इसलिए उन्हें ‘Ferrari 250 GT Coupé’ में कुछ ख़ामियां नज़र आईं.
उन्होंने देखा यह Ferrari कुछ ज़्यादा ही शोर कर रही है और इसके अंदर कुछ मरम्मत की ज़रूरत है. उन्होंने ये बात Ferrari कंपनी को बताने की सोची, ताकि कंपनी Ferrari इस मॉडल में ज़रूरी सुधार कर सके. उन्होंने यह बात कंपनी को बताई, लेकिन Ferrari ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और घमंड में चूर होकर कहा कि ख़ामियां हमारी कार में नहीं, बल्कि इसे चलाने वाले में है. साथ ही ये भी कहा कि तुम्हारे लिये यही अच्छा होगा कि तुम अपना ट्रैक्टर बनाने का काम देखो.
उतार दी मार्केट में ‘Lamborghini Sports Cars’
लेम्बोर्गिनी को Ferrari की वो बात घर कर गई. अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने स्पोर्ट्स कार को मार्केट में उतारने का सोचा. पूरी प्लानिंग की गई और ख़ास डिज़ाइन तैयार किए गए, ताकि Ferrari को उसकी सही जगह दिखाई जा सके. लेम्बोर्गिनी ने 1963 में अपनी पहली स्पोर्ट्स कार 350GTV के नाम से निकाली. इस स्पोर्ट्स कार के मॉडल ने खूब नाम कमाया. इसके बाद लेम्बोर्गिनी ने स्पोर्ट्स कारों की कतार लगा दी. ऐसा कहा जाता है कि उनकी जिंदगी में एक समय ऐसी भी आया जब वो हफ्ते में हर दिन अलग-अलग कार से बाहर जाया करते थे.
तो दोस्तों, यह थी ‘Lamborghini Sports Cars’ बनने की कहानी. इस सच्ची कहानी को पढ़कर आप भी ज़रूर मोटिवेट हुए होंगे. हमें कमेंट में ज़रूर बताएं कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा.