पाकिस्तान का एकमात्र हॉन्टेड पैलेस, जुड़ी है एक भारतीय व्यापारी की ऐतिहासिक प्रेम कथा

Nripendra

इतिहास में कई अमर प्रेम कहानियां दर्ज हैं, जिन पर किताबें लिखी जा चुकी हैं और फ़िल्म तक बन चुकी हैं. वहीं, इतिहास की कुछ प्रेम कहानियां ऐसी भी हैं जिन पर इतिहासकारों ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया या कहें कि दिलचस्पी नहीं ली. इस लेख के ज़रिए हम जिस व्यक्ति की अमर प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, उसकी कहानी कुछ हद तक शाहजहां से मिलती-जुलती है. कहा जाता है कि इन्होंने अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए एक महल का निर्माण करवाया था. वहीं, माना जाता है कि अब ये महल प्रेतवाधित हो चुका है, जहां शैतानी आत्माओं ने डेरा डाल रखा है. आइये, इस लेख में जानते हैं ये पूरी कहानी.  

पाकिस्तान का मोहट्टा पैलेस

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ये तो सभी जानते हैं होंगे कि आज़ादी से पहले पाकिस्तान भारत का ही हिस्सा था. 1927 में एक सफल मारवाड़ी बिज़नेसमैन शिवरतन चंद्ररतन मोहट्टा ने पाकिस्तान के कराची शहर में एक शानदार पैलेस का निर्माण करवाया था. वर्तमान में ये पाकिस्तान के चुनिंदा पर्यटन स्थलों में गिना जाता है और जिसे देखने के लिए विश्व भर से सैलानियों का आगमन होता है. इस पैलेस से दो दिलचस्प कहानियां जुड़ी हैं एक शिवरतन की प्रेमकथा और दूसरा ये कि ये पैलेस आप प्रेतवाधित माना जाता है.  

एक ऐतिहासिक प्रेम कथा 

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इस पैलेस की लव स्टोरी कुछ ताजमहल से मिलती-जुलती है. ये तो आपको पता होगा कि शाहजहां ने अपने बेगम मुमताज़ महल की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था. लेकिन, यहां शिवरतन ने अपनी पत्नी की याद में नहीं बल्कि उसकी जान बचाने के लिए इस महल का निर्माण करवाया था.  

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गंभीर बीमारी से पीड़ित

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ऐसा कहा जाता है कि शिवरतन की पत्नी किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गई थीं. इसके लिए इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा था कि अपनी पत्नी को एक ऐसे स्थान पर रखो जहां उन्हें ताज़ी समंदर की हवा मिलती रहे. इनकी बीमारी का इलाज समंदर की ताजी हवा ही है. बस इस वजह से शिवरतन ने कराची के क्लिफटन में समंदर के पास इस महल का निर्माण करवाया था.

एक ख़ूबसूरत महल 

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शिवरतन ने इस महल को बनाने का ज़िम्मा एक भारतीय आर्किटेक्ट अहमद हुसैन आग़ा को दिया था, जो काम करने के लिए जयपुर से आए थे. इसे महल को मुग़ल शैली में बनवाया गया था और इसमें जोधपुर से लाए गुलाबी और गिज़री पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था.  

एक भुतहा महल 

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माना जाता है कि ये महल अब प्रेतवाधित हो चुका है. वहीं, इसे पाकिस्तान के चुनिंदा भुतहा स्थलों में भी गिना जाता है. इस महल के बारे में कहते हैं कि यहां के चौकीदारों ने महल के अंदर किसी आत्मा के होने का एहसास किया है. वहीं, सुबह उन्हें महल के अंदर की कई चीज़े अपनी असल जगहों से बदली हुई नज़र आती हैं. हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है इस पर कुछ सटीक नहीं कहा जा सकता है.

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