महमूद बेगड़ा: गुजरात का वो ख़तरनाक सुल्तान, जिसे जमकर खाने के बाद ज़हर पीने की आदत थी

Abhay Sinha

इतिहास में कई ऐसे राजा-महाराजा और बादशाह हुए हैं, जिनकी कहानियां आज भी लोगों को सुनाई जाती हैं. इनमें से कोई अपनी वीरता के क़िस्सों के लिए तो कोई अपने ख़ौफ़नाक शासन के लिए मशहूर रहा है. कुछ तो अपनी साम्प्रदायिक सोच और घिनौनी हरकतों के कारण भी इतिहास में जगह बनाने में क़ामयाब रहे. मगर आज हम जिस सुल्तान महमूद बेगड़ा के बारे में बताने जा रहे हैं, वो इन सबसे अलग है. ये सुल्तान अपने शासन के लिए कम और अपनी भारी-भरकम ख़ुराक और रोज़ाना ज़हर खाने के लिए ज़्यादा चर्चा में रहा है. 

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गुजरात पर 52 साल तक राज करने वाला सुल्तान महमूद बेगड़ा

महमूद शाह जिसे लोग महमूद बेगड़ा के नाम से जानते हैं. वो 13 वर्ष की उम्र में गुजरात सल्तनत की गद्दी पर बैठा और 52 वर्ष (1459-1511 ई.) तक सफलतापूर्वक राज्य करता रहा. गिरनार और चंपानेर के किलों को जीतने के कारण उसे ये ‘बेगड़ा’ की उपाधि मिली थी. हालांकि, वो अपने शासन के लिए नहीं, बल्कि खान-पान और लंबी-लंबी दाढ़ी-मूंछों के लिए ज़्यादा जाना जाता था. कहते हैं कि उसकी मूंछें इतनी लंबी थी कि वो उन्हें अपने सिर के पीछे बांधकर रखता था.

35 किलो खाना उसकी एक दिन की ख़ुराक थी

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महमूद बेगड़ा की ख़ुराक ज़बरदस्त थी. वो एक दिन में लगभग 35 किलो खाना खाता था. कहा जाता है कि इतना खाने के बाद भी सुल्तान को रात में भूख लग जाती थी. इसलिए उसके बिस्तर के दोनों ओर मांस से भरे समोसे रखे जाते थे, ताकि अगर उसकी नींद खुले तो वो उन्हें खा सके. 

इतालवी यात्री Ludovico di Varthema ने भी अपने पत्रों में सुल्तान की भारी-भरकत डायट का ज़िक्र किया है. मसलन, उसने बेगड़ा के नाश्ते के बारे में बताया है कि वो सुबह एक गिलास शहद और 150 से ज़्यादा केले खा जाता था. दोपहर में भरपेट खाने के बाद उसे मीठा खाने का शौक़ था. ऐसे में वो हर रोज़ साढ़े चार किलो से ज्यादा सिर्फ़ मिठाई ही खा जाता था.

महमूद बेगड़ा की डायट में ज़हर भी था शामिल

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महमूद बेड़गा के बारे में सबसे दिलचस्प बात ये भी है कि उसकी रोज़ाना की डायट में ज़हर भी शामिल था. इस बात का ज़िक्र उस वक़्त गुजरात दौरे पर आए पुर्तगाली यात्री Duarte Barbosa ने भी अपनी क़िताब में किया है. उसने बताया कि सुल्तान रोज़ खाने के साथ कुछ मात्रा में जहर भी लिया करता था.

कहा जाता है कि बचपन में कुछ लोगों ने सुल्तान को मारने की साज़िश रचकर उसे ज़हर दे दिया था. हालांकि, वो बच गया. तब से उनसे थोड़ी-थोड़ा मात्रा में ख़ुद ही ज़हर लेना शुरू कर दिया, ताकि उसके शरीर के ज़हर की आदत हो जाए. कहते हैं कि अगर मक्खी भी उसके हाथ पर बैठती थी, तो वो भी फूलकर मर जाती थी. यहां तक, अगर वो किसी महिला के साथ संबंध बनाता था, तो वो भी बेमौत मारी जाती थी. 

जितना शक्तिशाली था उतना ही साम्प्रदायिक

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सुल्तान महमूद बेगड़ा गुजरात सल्तनत के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक माना जाता है. उसने कुछ ही समय में जूनागढ़ और पावागढ़ जैसे क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर अपनी सीमाओं का विस्तार कर लिया. कहा जाता है कि दूसरे राजाओं को हराने के बाद वो उनसे जबरन इस्लाम धर्म स्वीकार कराता था. मना करने पर मौत के घाट उतार देता था. 

गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर को तोड़ने के लिए भी सुल्तान को ही ज़िम्मेदार माना जाता है. कहते हैं कि साल 1472 में बेगड़ा ने ही इस मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था, ताकि लोगों की आस्था हिंदू भगवान से कम हो जाए. बाद में पंद्रहवीं सदी में इस मंदिर का पुनर्निमाण किया गया. 

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