Mir Taqi Mir Shayaris: मीर तक़ी मीर 18वीं सदी के एक बेहतरीन शायर थे. इश्क़ के पल-छिन बदलते रंगों को शब्दों में उतार देने वाले मीर ने प्यार के कई मुक़ाम अपनी रचनाओं में दिखाए हैं. वो सच में ग़ालिब को टक्कर देते हैं. अगर आपने गुलज़ार का बनाया सीरियल ‘ग़ालिब’ देखा है तो याद होगा, जब एक फ़कीर ‘पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा…’ गज़ल गाते गुजरता है तो ग़ालिब हैरान होकर उससे पूछ बैठते हैं कि बाबा ये किसका कलाम है. फ़कीर बताता है, ‘मीर तकी मीर’ का, दिल्ली के शायर थे. (Best Shayari Of Mir Taqi Mir )
और ग़ालिब इसे सुनकर एक शेर कहते हैं –
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’
कहते हैं अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था
आज हम उसी महान शायर मीर तक़ी मीर के 15 बेहतरीन शेर आपके सामने पेश कर रहे हैं- Mir Taqi Mir Shayaris
आपको मीर तक़ी मीर का सबसे फ़ेवरेट शेर कौन सा लगता है?
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