इन 15 तस्वीरों में दर्ज हैं उन ऐतिहासिक इमारतों के निशान, जो 1857 की क्रान्ति की गवाह रहीं हैं

J P Gupta

1857 की क्रांति को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम(First War Of Independence) कहा जाता है. ब्रिटिश हुक़ूमत वाले भारत में लोगों पर बहुत अत्याचार किये गए थे. इन अत्याचारों से परेशान भारतीयों ने आज़ादी की लड़ाई में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था. इसकी शुरुआत मंगल पांडे ने अंग्रेज़ अफ़सरों पर हमला कर की थी. इसके बाद ये मेरठ, अवध, कानपुर, बरेली और दिल्ली तक जा पहुंचा.

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हालांकि, ये विद्रोह सफ़ल नहीं हुआ पर इसकी यादें आज भी हमारे साथ हैं उन इमारतों में जिन पर अंग्रेज़ों ने गोले और गोलियां बरसाकर विद्रोहियों को दबाने की भरसक कोशिश की थी. आइए इन इमारतों की तस्वीरों के ज़रिये आपको 1857 के विद्रोह से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें भी बता देते हैं. 

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1. विद्रोह के दौरान तबाह हुई दिल्ली की जंतर-मंतर वेधशाला. 

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2. तोप का गोला लगने से टूटा दिल्ली का कश्मीरी गेट. 

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3. दिल्ली में राजा हिंदू राव का घर जो प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. अब ये एक हॉस्पिटल बन गया है. 

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4. मेरठ की इस मस्जिद से बाग़ियों ने प्रार्थना कर विद्रोह की शुरुआत की थी. 

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5. दिल्ली का Flagstaff Tower जहां बाग़ियों से बचकर अंग्रेज़ छुपे थे. 

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6. 1857 के विद्रोह के दौरान गोलियों और तोप के गोलों से क्षतिग्रस्त हुआ दिल्ली का एक बैंक. 

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7. General Wheeler के घर के पास बना अस्पताल कानपुर. 

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8. सती चौरा घाट कानपुर जहां बहुत से अंग्रेज़ों को बाग़ियों ने मार दिया था. 

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9. बीबीगढ़ हाउस कानपुर जहां एक यूरोपियन महिला और उसके बच्चे की लाश मिली थी. 

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10. लखनऊ का सिंकदरा बाग़, यहां ब्रिटिश सैनिकों और विद्रोहियों में मुठभेड़ हुई थी. कई विद्रोही यहां मारे गए थे. 

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11. झांसी का क़िला जिसे विद्रोहियों ने अंग्रेज़ों से छीन उस पर कब्ज़ा कर लिया था. 

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12. लखनऊ की रेजीडेंसी जहां अंग्रेज़ों और भारतीयों के बीच संघर्ष हुआ था. 

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13. रेजीडेंसी की इमारतों पर 1857 की क्रांति के दौरान फ़ायर किए गए गोले और गोलियों के निशान आज भी हैं. 

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14. जब विद्रोहियों ने रेजीडेंसी पर हमला किया था तब लखनऊ में 1300 अंग्रेज़ रहते थे जिन्होंने Sir Henry Lawrence के यहां शरण ली थी. 

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15. 27 दिनों में अंग्रेज़ रेजीडेंसी के हिस्से को हथियाने में कामयाब हो गए थे, लेकिन ये संघर्ष 60 दिनों तक चला था.

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ये विद्रोह असफ़ल हुआ क्योंकि सभी राज्यों ने मिलकर अंग्रेज़ों का सामना नहीं किया. अगर सब एकजुट हो जाते तो शायद हमें 1857 में ही आज़ादी मिल जाती.

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