भगवान श्रीकृष्ण के एक नहीं, बल्कि अनेक नाम हैं. कोई उन्हे प्यार से बाल गोपाल कहता है, तो मुरलीधर कह कर आराधना करता है. कहते हैं कि नटखट कन्हा को कुछ चीज़ों से बेहद लगाव था. लड्डू गोपाल की इन्हीं प्रिय चीज़ों में मुरली और मोर पंख भी हैं. कहते हैं मोर पंख किताबों में रखने से विद्या मिलती है और अगर उन्हें दीवार पर लगायें, तो छिपकली भागती है. ये हमारी बात हुई, लेकिन कान्हा जी को इन दोनों चीज़ों ख़ास लगाव क्यों था?
क्या कारण था, जो श्रीकृष्ण हमेशा दोनों चीज़ें अपने साथ रखते थे. चलिये आज कान्हा की मुरली और मोर पंख से जुड़े इस रहस्य को भी जान लेते हैं.
श्री कृष्ण को मुरली और मोर पंख इतने प्रिय कैसे थे?
बांसुरी की तरह मनुष्य को भी अपने मन में कोई गांठ नहीं रखनी चाहिये. जितना ज़रूरत हो, उतना ही बोलना चाहिये. बांसुरी कहती है जब कहा जाये तभी बोलो और जब बोलो मीठा बोलो.
मुकुट में क्यों लगा रहता था मोर पंख?
भक्तों श्रीकृष्ण की बांसुरी और मोर पंख का राज जान लिया, चलिये अब सब मिल कर ज़ोर से कहते हैं कि ‘हाथी-घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की’.