क्या सच में मध्य प्रदेश के इस प्राचीन मंदिर में मौजूद है विश्व का सबसे पुराना लिखित ‘Zero’?

Nripendra

Oldest Written Zero : भारत के मध्य में बसा मध्य प्रदेश राज्य अपनी वन संपदा के साथ-साथ प्राचीन क़िलों और मंदिरों के लिए भी जाना जाता है. यहां आपको वर्षों पुराने मंदिर देखने को मिलेंगे जिनमें पार्श्वनाथ मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर, ममलेश्वर मंदिर भोजेश्वर मंदिर आदि शामिल हैं. वहीं, इनमें एक और मंदिर शामिल है ‘चतुर्भुज मंदिर’, जो अपनी प्राचीनता के साथ-साथ एक और ख़ास चीज़ के लिए जाना जाता है और वो है यहां मौजूद सबसे पुराना लिखित शून्य यानी ज़ीरो. आइये, इस लेख में जानते हैं क्या है इस मंदिर में मौजूद विश्व के सबसे पुराने लिखित ज़ीरो की पूरी कहानी.  

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं लेख और जानते हैं Oldest Written Zero के बारे में. 

ग्वालियर का चतुर्भुज मंदिर 

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Oldest Written Zero : मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित चतुर्भुज मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. ये मंदिर आपको ग्वालियर फ़ोर्ट की पूर्वी दिशा में देखने को मिलेगा. मंदिर के अंदर आपको भगवान विष्णु की प्रतिमा दिखाई देगी. चतुर्भुज मंदिर के इतिहास की बात करें, तो इसका निर्माण साल 876 ई.पू में कराया था. वहीं, ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वैल्लभट्ट के पुत्र और गुर्जर-प्रतिहार वंश के नागरभट्ट के पोते अल्ला ने करवाया था. हालांकि, इस विषय सटीक जानकारी का अभाव है. 

विश्व का सबसे प्राचीन लिखित ज़ीरो

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Oldest Written Zero : ग्वालियर का चतुर्भुज मंदिर अपनी प्राचीनता से ज़्यादा यहां अंकित प्राचीन ज़ीरों के लिए विश्व भर में जाना जाता है. इस विशेषता की वजह से ही यहां दूर-दूर से इतिहासकार व सैलानी इस ख़ास मंदिर को देखने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि हम जिस नंबर को ज़ीरों के रूप में जानते हैं उसका सबसे प्राचीन लिखित रिकॉर्ड इस मंदिर में दर्ज है.  

मंदिर की इस ख़ास चीज़ के चलते देश-विदेश के गणित के विशेषज्ञों के लिए ये मंदिर एक अध्ययन का क्रेंद बन चुका है. अगर आप इस मंदिर के दर्शन करें, तो इसकी एक दीवार पर मौजूद 9वीं शताब्दी के शिलालेख पर दो बार ‘0’ लिखा नज़र आएगा. 
इस शिलालेख पर 270 X 167 हाथ ज़मीन दान में देने और साथ ही और पूजा के लिए रोज़ाना 50 मालाएं दान देने की बात अंकित है.
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पुराने लिखित ज़ीरों के कुछ और दावे  

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Adhemard Leclere नाम के एक फ्रांसीस आर्कोलॉजिस्ट ने 1891 में में कुछ ऐसी पांडुलिपियों की खोज की, जिसमें एक डॉट को ज़ीरों की तरह इस्तेमाल होते देखा गया. ये डॉट नॉर्थ ईस्ट कंबोडिया के क्रैटी क्षेत्र में मौजूद ‘Trapang Prei’ नामक आर्कियोलॉजिकल साइट के एक पत्थर की सतह पर उकेरे गए थे. खमेर सभ्यता से जुड़ी इस इस लिपि में लिखा है कि “घटते चंद्रमा के 5वें दिन चाका युग 605 वर्ष पर पहुंच गया है”. वहीं, ऐसा माना जाता है कि ये 687 ईस्वी और इसका संबंध अंगकोर वाट मंदिर (कंबोडिया) से हो सकता है. 

बख्शाली पांडुलिपि 

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Oldest Written Zero : प्राचीन लिखित शून्य बख्शाली पांडुलिपि में भी मिलते हैं, जिसकी खोज 1881 में पेशावर (पाकिस्तान) के पास बख्शाली गांव के खेत में की गई थी. वहीं, ये पांडुलिपी 1902 से अब Bodleian Library of Oxford में है. हालांकि, इस पांडुलिपी के सटीक समय का पता शोधकर्ता अभी तक नहीं लगा पाए हैं.  

वहीं, वर्ष 2013 में एक ब्रिटिश लेखक Alex Bellows ने ग्वालियर में मौजूद चतुर्भुज मंदिर का दौरा किया, जो कि Nirvana by Numbers पर शोध कर रहे थे. उन्होंने अपने लेख में लिखा था कि वो भारतीय थे जिन्होंने पहली बार शून्य को 1 से 9 संख्याओं की तरह महत्वपूर्ण माना. 

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