जानिए उस गांधीवादी के बारे में जिसने बनाया था भारत का तिरंगा, अफ़सोस ग़रीबी में हुई थी मौत

Nripendra

हर भारतीय की शान है तिरंगा. इसे लहराते देख हर भारतीय भावुक हो उठता है और स्वतंत्रता का अनुभव करता है. इसके साथ ही तिरंगा भारत के सभी धर्मों को एक करने का काम करता है. लेकिन, क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया कि आख़िर भारतीय तिरंगे को बनाने वाला शख़्स कौन था? आइये, हम आपको इस लेख के ज़रिए बताते हैं उस ख़ास शख़्स के बारे में जिसने भारतीय तिरंगे को डिज़ाइन किया था. साथ में बताते हैं उनसे जुड़े कई अनसुने क़िस्से जिनके बारे में शायद आपको पता न हो.    

पिंगली वेंकैया  

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भारतीय तिरंगे को बनाने वाले ख़ास शख़्स का नाम था पिंगली वेंकैया. पिंगली वेंकैया आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे. उनका जन्म 2 अगस्त 1876 में हुआ था. माना जाता है कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मछलीपत्तनम में प्राप्त की. इसके बाद वो Senior Cambridge परीक्षा के लिए कोलंबो चले गए थे. इसके बाद उन्होंने कुछ जगह नौकरी की और बाद में उर्दू और जापानी भाषा की पढ़ाई करने के लिए लाहौर चले गए थे.

ब्रिटिश भारतीय सेना     

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आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मात्र 19 साल की उम्र में पिंगली वेंकैया ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे. उन्होंने एंग्लो बोअर युद्ध में भी हिस्सा लिया था. कहते हैं कि उसी दौरान वेंकैया की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी.    

तिरंगे का निर्माण   

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भारतीय तिरंगे का डिज़ाइन पिंगली वेंकैया ने ही किया था. कहते हैं कि राष्ट्र ध्वज का प्रारंभिक स्वरूप तैयार करने से पहले उन्होंने 30 देशों के राष्ट्र ध्वजों पर अध्ययन किया था. वे 1916 से लेकर 1921 तक इस पर लगातार शोध करते रहे. वहीं, उन्होंने 1916 में भारतीय झंडे पर एक किताब भी लिखी थी.   

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रंगों का रखा ख़ास ध्यान  

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वेंकैया ने तिरंगे के रंगों का ख़ास ध्यान रखा था. उस दौरान तिरंगे में लाल रंग रखा गया था, जो हिंदुओं का प्रतीक था. वहीं, हरे रंग को मुस्लिमों व सफ़ेद रंग को बाकी धर्मों के प्रतीक के रूप में रखा गया था. वेंकैया के तिरंगे के डिज़ाइन को महात्मा गांधी ने 1921 में कांग्रेस के विजयवाड़ा अधिवेशन में मंज़ूरी दी थी.   

तिरंगे में किए गए संशोधन    

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बाद में वेंकैया के द्वारा बनाए गए तिरंगे के डिज़ाइन में कुछ संशोधन किए गए. जैसे लाल रंग की जगह केसरिया रंग को जगह दी गई. वहीं, 22 जुलाई 1947 में हुई संविधान सभा में इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. बाद में तिरंगे में संशोधन कर चरखे की जगह अशोक चक्र को जगह दी गई. कहा जाता है कि चरखे को हटाने की वजह से गांधी काफ़ी नाराज़ हो गए थे. बता दें कि वर्तमान में तिरंगे के रंगों के प्रतीक अलग-अलग हैं. केसरिया – समृद्धि, हरा – प्रगति और वहीं, सफ़ेद शांति का प्रतीक है.   

ग़रीबी में हुआ निधन   

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कहते हैं कि पिंगली वेंकैया का निधन काफ़ी ग़रीबी में हुआ था. जिस वक़्त उनका निधन हुआ वो छोटी-सी झोपड़ी में रह रहे थे. 2009 में मौजूदा सरकार ने पिंगली वेंकैया की याद में एक डाक टिकट जारी किया था. इसी के बाद अधिकतर लोगों को पता चला था कि भारतीय तिरंगे के निर्माता पिंगली वेंकैया ही थे. हालांकि, आज भी देश की एक बड़ी आबादी पिंगली वेंकैया के बारे में नहीं जानती है.  

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