Ram Navami 2022: रामनवमी के महत्व, शुभ मुहूर्त से लेकर पूजन विधि तक ये रही पूरी जानकारी

Sachin Adgaonkar

Ram Navami 2022: हर साल चैत्र नवरात्री के आखिरी दिन पड़ने वाली श्री राम नवमी को पूरे भारत में काफ़ी धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम के मंदिरों को दीपक, फूल और आम के पत्तों से सजाया जाता है. सनातन संस्कृति में राम नवमी को भगवान श्री राम (Lord Shree Ram) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और सनातन धर्म में श्री राम नवमी (Shree Ram Navami) पर्व का विशेष महत्व है.

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माना जाता है कि, इसी दिन अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहां भगवान श्री हरि विष्णु ने भगवान श्री राम के रूप में मानव अवतार लिया था. पृथ्वी पर ‘सत्य‘ और ‘सनातन धर्म‘ की रक्षा के लिए अवतार लेने वाले भगवान श्री राम के जन्मोत्सव से जुड़ा ये पावन पर्व इस साल 10 अप्रैल 2022 को है.

आइए जानते हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम नवमी का महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और क्यों मनाई जाती है श्री राम नवमी? 

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Ram Navami 2022 

राम नवमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त 

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श्री राम नवमी (Shree Ram Navami 2022) इस साल 10 अप्रैल 2022, रविवार को मनाई जाएगी. नवमी तिथि 10 अप्रैल को सुबह 1 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 11 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 15 मिनट पर ख़त्म होगी. प्रभु श्रीराम की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अप्रैल 2022 को सुबह 11 बजकर 10 मिनट से 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा.

श्री राम नवमी पूजा विधि 

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– श्री राम नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें.

– स्नान करने के बाद उगते हुए सूर्य देवता को जल अर्पण करें.
– भगवान श्री राम सूर्यवंशी हैं इसलिए उगते हुए सूर्य देवता को जल अर्पण करना हिंदू संस्कृति में शुभ माना जाता है.
– इसके बाद रोली से भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्तियों का तिलक करें.

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फिर भगवान श्री राम को चावल, फूल, आम के पत्ते, शंख और घंटी चढ़ाकर विधिवत पूजा करें. ‘जय श्री राम‘ के मंत्रों का जाप करें, रामायण और रामचरितमानस का भी पाठ करें. और आख़िर में आरती करें. इस दिन भगवान श्रीराम को झूला झुलाएं और किसी ग़रीब, भूखे व्यक्ति को या ब्राह्मण को बाजरा और गेहूं दान करना शुभ माना जाता है. 

रामनवमी 2022 (Ram Navami 2022) का महत्व 

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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को सृष्टि के पालनहार और श्री हरि विष्णु का 7वां अवतार माना जाता है. भगवान श्री राम जी ने अपने 14 सालों के वनवास के दौरान रावण का वध कर ‘धर्म‘ और ‘सत्य‘ की स्थापना की. मान्यता है कि, अगर कोई व्यक्ति दिन भर विधि-विधान से पूजा, उपवास और भगवान श्री राम के नाम का जाप करता है. और अपनी क्षमता के अनुसार, भोजन, धन, अन्न, वस्त्र, आदि ज़रुरी चीज़ों का दान करता है तो उनके न सिर्फ़ इस जन्म के बल्कि, पूर्व सभी जन्मों के पाप धूल जाते हैं और उन्हें ‘अक्षय पुण्य‘ की प्राप्ति होती है.  

श्री राम नवमी क्यों मनाया जाता है? 

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हिंदू धर्म के पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि भगवान विष्णु ने 7वें अवतार में भगवान श्री राम के रूप में त्रेता युग (Treta Yuga) में जन्म लिया था. भगवान श्री राम का जन्म रावण के अत्याचारों को ख़त्म करने और दुष्टों को नष्ट कर नए सत्य-धर्म की स्थापना के लिए हुआ था. इसलिए भगवान श्री राम जन्मोत्सव के रूप में श्री राम नवमी का पर्व पूरे विश्व में मनाया जाता है. 

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पौराणिक कथा के अनुसार, ये भी माना जाता है कि, चैत्र नवरात्रि के दौरान, भगवान श्री राम जी ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा की भी उपासना की थी, इसलिए चैत्र मास की नवरात्रि के समापन के बाद ही श्री राम नवमी का पर्व आता है. 

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