विश्व इतिहास में कई क्रूर तानाशाहों का ज़िक्र मिलता है, जिसमें एक कुख़्यात नाम ‘सद्दाम हुसैन’ का भी है. यह तो आपको पता ही होगा कि सद्दाम हुसैन को 1982 में इराक में हुए ‘दुजैल नरसंहार’ मामले में फांसी दी गई थी. यह नरसंहार दुजेल नामक कस्बे में हुआ था, जहां 140 से ज़्यादा निर्दोष नागरियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. वहीं, इससे अलग सद्दाम के और भी कई पहलू हैं, जिनमें उसकी तस्वीर कुछ अलग ही नज़र आती है. इस लेख में हम सद्दाम हुसैन से जुड़ी कुछ ऐसी ही अनसुनी बातों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में शायद आपने पहले कहीं न सुना हो.
बड़ी-बड़ी इमारतें और मस्जिदें बनाने का शौक़
क़रीबी जानकार बताते हैं कि ‘सद्दाम हुसैन’ को बड़ी-बड़ी इमारतें और मस्जिदें बनाने का शौक़ था. इसके पीछे की वजह बताई जाती है तिकरित में बिताया गया उसका बचपन, जहां उसके परिवार को जूते तक ख़रीदने के पैसे नहीं हुआ करते थे. बताया जाता है कि उनके क़रीब 20 महल थे.
स्लिप डिस्क की बीमारी
‘सद्दाम हुसैन’ के बारे में कहा जाता है कि उसे स्लिप डिस्क की बीमारी थी. इस वजह से उसे डॉक्टर ने सुबह तड़के टहलने और तैराकी करने की सलाह दी थी. माना जाता है कि वो अपने महल में कुछ ही घंटे सोता था और जल्दी उठकर तैराकी किया करता था. यही वजह है कि उसके महलों में ख़ासतौर पर तैराकी के लिए स्विमिंग पूल की भरमार थी.
सताता था मौत का डर
बहुत कम लोग इस बात से परिचित होंगे कि वो एक डर के साथ जिता था और वो डर था कि कहीं उसे कोई ज़हर खिलाकर न मार दे. दरअसल, माना जाता है कि उसके शासन में कई दुश्मनों को ज़हर देकर मारा गया था, इसी वजह से उसे भी इस बात का डर लगा रहता था. वहीं, सुरक्षा के लिहाज़ से उसके बगद़ाद मौजूद महल में हफ़्ते में दो बार ताज़ा गोश्त पहुंचाया जाता था. साथ ही उसका भोजन पहले कोई और चखता था, यह जानने के लिए कि कहीं उसमें ज़हर तो नहीं.
छोड़ा सैनिक वर्दी पहनना
माना जाता है कि सद्दाम हुसैन हमेशा अच्छा दिखना चाहता था. यही वजह है कि उसने बाद में सैनिक वर्दी पहनना छोड़ सूट पहनना शुरू कर दिया था. वहीं, ऐसा माना जाता है कि ऐसा उसने इसलिए भी किया था क्योंकि तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान ने उससे कहा था कि सूट पहनने से एक नेता के रूप में उसकी छवी प्रभावी होगी.
लेते था पावर नैप
माना जाता है कि सद्दाम हुसैन दिन में कई बार पावर नैप लिया करता था. वो कई बार बैठक के दौरान दूसरे कमरे में झट से पावर नैप लेकर आ जाया करता था, ताकि वो ख़ुद को एक्टिव रख सकें.
डिसिप्लिन के लिए भी आक्रामक रवैया
कुछ तथ्य ऐसे भी मिलते हैं कि जो यह बताते हैं कि सद्दाम हुसैन डिसिप्लिन के लिए भी कभी-कभी आक्रामक रवैया अपनाता था. माना जाता है कि एक बार बैठक के दौरान उसके किसी मंत्री ने अपनी घड़ी में समय देख लिया था. जब बैठक ख़त्म हुई, तो उसने उस मंत्री से कहा था कि क्या आपको जल्दी थी? फिर सद्दाम ने उस मंत्री को डांटते हुए कहा था कि ऐसा करके आपने मेरा अपमान किया है. माना जाता है कि उस मंत्री को सज़ा के रूप में दो दिन तक बैठक वाले कमरे में क़ैद करवा दिया गया था. साथ ही उसे पद से भी हटा दिया गया था.
ख़ून से लिखवाई थी क़ुरान
माना जाता है कि सद्दाम द्वारा बनवाई गई मस्जिदों में से एक मस्जिद (Umm al-Qura Mosque) ऐसी है जहां सद्दाम के ख़ून से लिखी क़ुरान मौजूद है. जानकारों के अनुसार, इस काम के लिए तीन सालों तक सद्दाम ने अपना ख़ून दिया था. यह ख़ून लगभग 26 लीटर बताया जाता है, जिससे उसने क़ुरान लिखवाई थी. माना जाता है कि लोगों को दिखाने के लिए क़ुरान के सभी 605 पन्नों को शीशे के केस में रखा गया है.