जेल में हुआ था राजीव गांधी का नामकरण, नाम के साथ जुड़ी है दिलचस्प कहानी

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भारत के सातवें प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे थे राजीव गांधी. इनका जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था. माना जाता है कि इनकी डिलीवरी उस समय की जानी मानी गायनोक्लोजिस्ट वीएन शिरोडकर ने कराई थी. उस दौरान इंदिरा गांधी अपनी छोटी बुआ के पास थीं. वहीं, इंदिरा गांधी के पति फ़िरोज़ गांधी और जवाहर लाल नेहरू जेल में थे, लेकिन राजीव के जन्म से कुछ दिन पहले फ़िरोज़ जेल से छुट गए थे. वहीं, आपको जानकर हैरानी होगी कि राजीव गांधी के नाम का चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था, लेकिन क्यों इनका नाम राजीव रखा गया, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है, जो हम आपको इस लेख में बताएंगे.   

नाती के जन्म की ख़बर कई दिनों बाद पहुंची

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जिस वक्त राजीव गांधी का जन्म हुआ पंडित जवाहर लाल नेहरू जेल में थे. सेंसरशिप के कारण नेहरू तक अपने नाती के जन्म की ख़बर कई दिनों बाद पहुंची. जब उन्हें पता चला, तो वो बहुत ही खुश हुए. उन्होंने जवाबी पत्र में लिखा था कि घर में किसी नए सदस्य का आगमन बचपन की याद दिलाता है और नई पैदाइश एक नई शुरुआत होती है. ये हमारा पुरर्जीवन तो है ही, साथ ही हमारी आशाओं का केंद्र भी है. कहते हैं कि जब पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने नाती को चेहरा पहली बार देखा, तो उन्होंने कहा कि इसका माथा तो बिल्कुल फ़िरोज़ की तरह दिखता है. 

नाम का चुनाव 

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कहते हैं फ़िरोज़ गांधी नामों की लिस्ट लेकर नेहरू के पास जेल में गए थे. उस लिस्ट में से नेहरू ने राजीव नाम का चुनाव किया, क्योंकि संस्कृत में राजीव का अर्थ होता है ‘कमल’. इसके अलावा, नेहरू की पत्नी का नाम कमला था, जिनका निधन राजीव के जन्म से आठ साल पहले हुआ था. राजीव का पूरा नाम राजीवरत्न गांधी था. 

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राजीव का एक और नाम 

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बहुत कम लोग जानते होंगे कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राजीव का एक पारसी नामस ‘बिरजीस’ भी रखा था, जिसका अर्थ होता है जुपिटर और बेशक़ीमती.

नेशनल हेराल्ड अख़बार में मैनेजिंग एडिटर

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जब राजीव गांधी 15 महीने के हुए तब फ़िरोज़ गांधी ने नेशनल हेराल्ड अख़बार में मैनेजिंग एडिटर के रूप में जुड़े. यह नेहरू द्वारा स्थापित किया गया था. वो इंदिरा और बेटे राजीव के साथ लखनऊ में रहने लगे. इंदिरा घर के काम के साथ-साथ राजीव गांधी की देखभाल में अपना ज़्यादा समय बिताती थीं. 

मशीनों से प्रेम

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राजीव बचपन से ही एक जिज्ञासु बालक थे. उन्हें मशीनों और गैजेट्स में ज़्यादा दिलचस्पी थी. कहते हैं कि जिज्ञासु प्रवृति उन्हें अपने पिता से मिली थी. राजीव के भाई संजय गांधी को भी मशीनों में काफ़ी दिलचस्पी थी.   

बेटों के लिए पिता की चाह  

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कहते हैं कि फ़िरोज़ गांधी चाहते थे कि उनके दोनों बेटे इंजीनियर बनें. फ़िरोज अपने बेटों के लिए खिलौने बनाते थे. साथ ही उन्हें इस ओर प्रेरित भी करते थे कि मैकेनिकल खिलौनों को कैसे अलग करके दोबारा से बनाया जाए. वहीं, इंदिरा गांधी भी बच्चों के लालन-पालन में कोई कमी नहीं रखती थीं. उनके साथ खेलती थीं और साथ ही फ़िल्में भी देखती थीं. दोनो ही माता-पिता बच्चों के लिए एक आदर्श अभिभावक थे. 

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