यूपी के झांसी में बंगरा नामक पहाड़ी पर स्थित ‘झांसी का क़िला’ सन 1613 में ओरछा के बुन्देल राजा बीरसिंह जुदेव ने बनवाया था. बुंदेलों ने 25 सालों तक यहां राज किया. इसके बाद इस क़िले पर मुगलों, मराठाओं और अंग्रेज़ों का अधिकार रहा. सन 1729 में मराठा शासक नारुशंकर ने इस क़िले की बनावट में कई बदलाव किये जिसके ये क्षेत्र शंकरगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ. सन 1857 के ‘स्वतंत्रता संग्राम’ में ‘झांसी के क़िले’ को अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था.
400 साल से अधिक पुराने इस क़िले को सन 1938 में ‘केन्द्रीय संरक्षण’ में ले लिया गया था. क़रीब 15 एकड़ में फैले इस क़िले में 10 फाटक (दरवाज़े) हैं. इनमें खंडेराव गेट, दतिया दरवाज़ा, उन्नाव गेट, झरना गेट, लक्ष्मी गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, सैंयर गेट, चांद गेट शामिल हैं.
इस आलीशान क़िले के भीतर कड़क बिजली तोप (टैंक), रानी झांसी गार्डन, बारादरी, पंचमहल, शंकरगढ़, शिव मंदिर व गणेश मंदिर के अलावा गुलाम गॉस ख़ान, मोती बाई और ख़ुदा बख़्श की ‘मजार’ भी हैं, जो मराठा स्थापत्य कला के उदाहरण हैं.
सन 1858 में रानी लक्ष्मीबाई इसी क़िले में अंग्रेज़ों से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं. आज भी क़िले का कोना-कोना उनकी वीरता का गवाह है. अंग्रेज़ों ने इस क़िले पर कई बार आक्रमण किया. अंग्रेज़ों द्वारा इस क़िले पर 60-60 सेर वजनी तोपों के गोले भी बरसाए थे, लेकिन ये क़िला 400 सालों बाद भी आज पूरी शान के साथ खड़ा है.
चलिए आज इस क़िले की इन 100 साल से भी अधिक पुरानी 20 तस्वीरों के ज़रिए इसके इतिहास को भी जान लेते हैं-
1-
2-
3-
4-
5-
6-
7-
8-
9-
10-
11-
12-
13-
14-
15-
16-
17-
18-
19-
20-
कैसी लगी आपको इस ऐतिहासिक क़िले की ये 100 साल से भी अधिक पुरानी तस्वीरें?