क्या आपने कभी भगवान गणेश (Lord Ganesha) के स्त्री अवतार (Female Avatar Of Ganesha) के बारे में सुना है? आश्चर्य में पड़ गए न! जी हां, आप ही नहीं, ज़्यादातर लोगों के नहीं पता कि भगवान गणेश का स्त्री अवतार भी है और उससे जुड़ी एक बेहद रोचक कहानी भी.
Female Avatar Of Ganesha
तमिलनाडु कन्याकुमारी में थानुमलायन मंदिर है. 1300 साल पुराने इस मंदिर में एक पलथी मारे बैठी देवी की मूर्ति है, जिनके चार हाथ दिव्य आभूषणों और शस्त्रों से सजे हैं. ऊपरी बायें हाथ में कुल्हाड़ी और निचले बाएं हाथ में शंख. एक हाथ आशीष की मुद्रा में और एक हाथ में पुष्प है. मगर जब आप चेहरा देखते हैं, तो आपको ये भगवान गणेश लगेंगे. मगर असल में ये मूर्ति उनका स्त्री अवतार ‘विनायकी’ (Vinayaki) है. इन्हें विघ्नेश्वरी, गणेश्वरी या फिर गनेशी के नाम से भी जाना जाता है.
क्या है भगवान गणेश के स्त्री अवतार की कहानी
मगर सवाल ये है कि भगवान गणेश ने स्त्री अवतार क्यों लिया था? कहते हैं कि अंधक नाम का एक राक्षस, मां पार्वती को जबरन अपनी पत्नी बनाना चाहता था. उस वक़्त भगवान शिव ने उस पर हमला किया, मगर जैसे ही अंधक के ख़ून की बूंद ज़मीन पर गिरी तो हर जगह एक नई आसुरी शक्ति अंधका उत्पन्न हो गईं.
ऐसा बार-बार हुआा. अंधक का ख़ून ज़मीन पर गिरते ही अंधका की संख्या बढ़ती जाती. देवी पार्वती को तब समझ में आया कि हर प्राणी में उसकी अवस्था के विपरीत एक ताकत है. यानी कि हर पुरुष में पौरुष (बल) के अलावा एक स्त्री की शक्ति भी है, जो करुणा और क्रोध दोनों जगाती है. अंधक ने इसे ही सिद्ध किया है और इसका दुरुपयोग कर रहा है.
देवी पार्वती ने हर देवता की स्त्री शक्ति को पुकारा
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Female Avatar Of Ganesha
ऐसे वक़्त में भगवान गणेश अपने स्त्री अवतार के साथ युद्ध में उतरे. उन्होंने अपने सूंड़ से अंधक का सारा रक्त एक बार में खींच लिया और उसे ज़मीन पर गिरने ही नहीं दिया. इस तरह अंधक का अंत हुआ. भगवान गणेश का ये अवतार बताता है कि स्त्री की शक्ति भी प्रकृति में पुरुष की शक्ति के बराबर ही मान्य है. थानुमलायन मंदिर इसी सोच को अपने में समेटे है.