जानिए महाभारत के सबसे बड़े योद्धा ‘अर्जुन’ के पास ‘ब्रह्मास्त्र’ समेत कौन-कौन से अस्त्र थे

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Weapons of Arjuna, the warrior of Mahabharata: महाभारत के प्रमुख योद्धाओं में सबसे पहला नाम अर्जुन (Arjuna) का लिया जाता है. अर्जुन को महाभारत का हीरो भी कहा जाता है. अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर और द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे. उन्होंने अपनी धनुर्विद्या से आधी से अधिक ‘कौरव सेना’ को अकेले ही ख़त्म कर दिया था. अर्जुन के धनुष का नाम ‘गांडीव’ था. उन्हें अपने धनुष ‘गांडीव’ से बेहद प्रेम था. यहां तक की उन्होंने प्रतिज्ञा ले रखी थी कि, जो उनके धनुष गांडीव का निरादर करेगा और उसको अपशब्द कहेगा वो उसे ‘मृत्यु सैंया’ पर लेटा देंगे. महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन अपनी ‘प्रतिज्ञा’ के लिए भी प्रसिद्ध थे, वो जो भी प्रतिज्ञा लेते थे उसे पूरा करके ही रहते थे.

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आज हम आपको महाभारत के वीर योद्धा अर्जुन के उन महास्त्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके दम पर उन्होंने कौरवों की सेना का विनाश किया था-  

1- ब्रह्मास्त्र

ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) को सभी अस्त्रों का राजा माना जाता है. पुराणों में कहा गया है कि जब ‘ब्रह्मास्त्र’ चलता था तो भयानक तबाही मचती थी. वेदों में इस अस्त्र का इस्तेमाल तब करने को कहा गया है, जब कोई चारा न बचे. महाभारत के सबसे प्रमुख योद्धाओं में से एक अर्जुन के पास भी भगवान प्रजापति ब्रह्मा का ‘ब्रह्मास्त्र’ था. ये उनकी शक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण भी था. इसके अलावा अर्जुन के पास ब्रह्मा जी के ‘प्रजापति अस्त्र’ और ‘सर्वजयी ब्रह्मशिर अस्त्र’ भी थे. 

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2- पाशुपतास्त्र 

ये भगवान शिव का एक बेहद विलक्षण अस्त्र था. अर्जुन की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अपना ये अस्त्र दिया था. इसके बारे में कहा जाता है कि ये भगवान शिव का एक ऐसा अस्त्र था जो आंख, दिल और शब्दों से भी नियंत्रित हो सकता था. प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक़ अर्जुन ने इसी अस्त्र से ‘जयद्रथ’ का वध किया किया था. इसके अलावा उनके पास भगवान शिव का ‘रौद्रअस्त्र’ भी था. 

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3- वज्र अस्त्र

अर्जुन के पास भगवान इन्द्र के ‘वज्र अस्त्र’, ‘इन्द्र अस्त्र’, ‘महेंद्र अस्त्र’ और ‘शक्ति अस्त्र’ समेत कई अन्य अस्त्र भी थे. देवराज इन्द्र समेत अन्य देवताओं के पास जितने भी अस्त्र थे वो अर्जुन को भी हस्तान्तरित हुए थे.  

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4- यमदंड अस्त्र 

यमदंड अस्त्र का ज्ञान केवल अर्जुन को था जो अर्जुन को स्वंम यमराज से प्राप्त हुआ था. इस अस्त्र का प्रयोग भी केवल अति आवश्यक परिस्थिति में किया जाना संभव था.

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5- वरुडपास अस्त्र 

 वरुडपास अस्त्र महाभारत के ‘नागपास अस्त्र’ से मिलता जुलता अस्त्र था, परन्तु इसकी शक्ति नागपास से कई गुना थी. इस अस्त्र के इस्तेमाल से स्वंम देवताओं का बचना भी असंभव था. 

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6- आदित्य अस्त्र

अर्जुन के पास भगवान सूर्य नारायण का ‘आदित्य अस्त्र’ भी था. इसे ‘दिव्यास्त्र’ के नाम से भी जाना जाता है. ये एक ऐसा अस्त्र था जो मंत्रों से चलाता था, इसीलिए इसे दिव्यास्त्र कहा जाता था.  

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इनके अलावा अर्जुन के पास वरुण, वायु, यम, कुबेर आदि देवताओं के अस्त्र भी थे. उन्हें कामदेव और गंधर्वो के सभी दिव्यास्त्रों का ज्ञान भी था. इसके अलावा अर्जुन को राक्षसी और माया विद्यााओं का सम्पूर्ण ज्ञान भी था. 

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