आख़िर क्या था ‘रेप ऑफ़ नानजिंग’? जिसकी वजह से बदनाम है द्वितीय विश्वयुद्ध

Maahi

हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमला ही नहीं, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध (World War IIकई अन्य दर्दनाक घटनाओं के लिए भी जाना जाता है. आज भी दुनिया के कई देश ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के कई गहरे निशान झेल रहे हैं. द्वितीय विश्व युद्ध की ऐसी ही एक दर्दनाक घटना ‘नानजिंग नरसंहार’ या ‘रेप ऑफ़ नानजिंग’ भी थी जिसकी वजह से हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले हुए थे.

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क्या था नानजिंग नरसंहार? 

‘नानजिंग नरसंहार’ या ‘नानकिंग रेप कांड’ जापानी सैनिकों की काली करतूत का गवाह है. ‘द्वितीय विश्व युद्ध‘ के दौरान जापान के 50 हज़ार सैनिकों ने महिलाओं, लड़कियों और छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार कर उन्हें बेरहमी से मार दिया था. इसीलिए ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ को ‘नानजिंग सामूहिक नरसंहार’ या ‘नानकिंग रेप कांड’ के तौर पर भी जाना जाता है.

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दरअसल, ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के दौरान जापान की सेना ने चीन की तत्कालीन राजधानी नानजिंग पर हमला कर उसे अपने अधिकार में ले लिया था. इसके बाद जापानी सैनिकों ने शहर भर में केवल 7 दिनों के अंदर ही 50 हज़ार महिलाओं  को गैंगरेप का शिकार बनाया. इस दौरान उन्होंने बुज़ुर्गऔर जवान महिलाओं से लेकर 10 साल से छोटी उम्र तक की बच्चियों को भी नहीं छोड़ा.

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जापानी सैनिकों ने चीन के नागरिकों पर जो अत्याचार किए उनकी कल्पना से ही डर लगता है. इस दौरान जापानी सैनिक हवास में इस कदर पागल हो गए थे कि उन्होंने न केवल हज़ारों लोगों की हत्याएं की, बल्कि महिलाओं व बच्चियों के साथ बलात्कार भी किया. युद्ध समाप्ति के बाद जापानी सैनिकों ने ख़ुद ये बात कबूल की थी. इस संबंध में चीन के आर्काइव प्रशासन ने भी जापानी सैनिकों की इस काली करतूत की जानकारी दी थी.

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जापानी सैनिक ज़िंदा काट देते थे लोगों को 

जापानी सैनिकों की बर्बरता का आलम ये था कि उन्होंने पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को ज़िंदा ही काटना शुरू कर दिया था. 1 सप्ताह के अंदर ही जापानी सैनिकों की ‍दरिंदगी इस कदर बढ़ गई थी कि ‘गठबंधन सेनाओं’ को इन जुल्मों को रोकाने के लिए मजबूरन परमाणु हमले का फ़ैसला करना पड़ा. आख़िरकार ‘गठबंधन सेना’ ने जापान के हिरोशिमा और 3 दिन बाद नागासाकी पर परमाणु बमों से हमला कर दिया.

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ये हमला इतना भयावह था कि जापान को हथियार डालने के लिए मजबूर होना पड़ा. अगर जापानी सैनिक चीनियों पर इतनी क्रूरता न बरतते तो शायद परमाणु हमले के विकल्प पर विचार ही नहीं होता, लेकिन जापानी सैनिकों के अमानवीय अत्याचारों ने ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था. जापानी सैनिकों का ये कहर केवल चीनी ही नहीं, बल्कि कोरियाई लोगों पर भी टूटा था.  

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बताया जाता है कि जापानी सैनिकों की इस दरिंदगी के कारण 3 लाख लोगों ने जान गंवाई थी. जबकि लाखों लोग घायल हो गए थे.  

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