आख़िर Bacardi के लोगो में ‘चमगादड़’ क्यों है? आइए जानते हैं इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

Abhay Sinha

पूरी दुनिया में बकार्डी (Bacardi) पीने वाले बड़ी संख्या में हैं. भारत में भी इस रम के शौक़ीनों की कोई कमी नहीं है. अब इस ब्रांड को आए क़रीब 160 सालों का अरसा गुज़र चुका है. इसके बावजूद इसकी डिमांड हर साल बढ़ती ही जा रही है. बकार्डी की एक चीज़ जो इसके इतिहास को बेहद दिलचस्प बना देती है. वो है बोतल पर बना इसका लोगो (Logo).

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अग़र आपने भी कभी बकार्डी पी है या फिर इसे देखा हो, तो गौर किया होगा कि इसकी बोतल पर एक उड़ता हुआ चमगादड़ (BAT) बना रहता है. क्या आपने कभी सोचा है कि आख़िर इस लोगो का मतलब क्या है और ये क्यों इसकी हर बोतल पर बना रहता है? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे.

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क्या है इस रम का इतिहास?

बकार्डी की स्थापना वर्ष 1862 में Facundo Bacardi द्वारा की गई थी. उन्होंने क्यूबा में अपनी पहली डिस्टिलरी स्थापित किया था. लेकिन यहां एक बड़ी दिलचस्प घटना घटी. डिस्टिलरी में कुछ बिन बुलाए मेहमान आ गए थे. ये मेहमान थे चमगादड़.

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Facundo Bacardi की पत्नी Amalia Bacardi की नज़र जब छत पर गई तो उन्होंने देखा कि ढेर सारे चमगादड़ वहां बैठे हुए हैं. ये चमगादड़ शायद शीरे की सुगंध पाकर यहां पहुंच गए थे. हालांकि, उन्होंने चमगादड़ों को डिस्टिलरी की छत से भगाने के बजाय उन्हें अपनी बकार्डी का लोगो बनाने का तय किया. हालांकि, ये मत समझिएगा कि बस उन्होंने छत पर चमगादड़ देखकर उसे अपने ब्रांड का लोगो बना दिया. इसके पीछे एक लॉजिक भी था.

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चमगादड़ को लोगो बनाने के पीछे वजह?

ये फ़ैसला यूं ही नहीं लिया गया था. दरअसल, इसके पीछे कई कारण थे. चमगादड़ को रम उद्योग का स्वाभाविक दोस्त कहा जाता है, क्योंकि वे गन्ने की फसलों को परागण करते हैं और उन कीटों का शिकार करते हैं जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. दूसरा, लैटिन कल्चर में चमगादड़ों को अच्छे भविष्य का संकेत माना जाता है. यही वजह थी कि उन्होंने इसे अपना लोगो बनाने का फ़ैसला किया.

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Facundo Bacardi और उनकी पत्नी का ये फ़ैसला सही भी साबित हुआ. दरअसल, उस ज़माने में क्यूबा के लोग बहुत ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे. ऐसे में उनके लिए बकार्डी शब्द कुछ ख़ास महत्व नहीं था. हालांकि, बोतल पर बने चमगादड़ के लोगो ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित किया. इससे उन्हें इस ब्रांड को याद रखने में भी आसानी हो गई. उस समय जब लोग बकार्डी चाहते थे, तो वो दुकान पर जाकर बस चमगादड़ वाली रम बोल दिया करते थे. 

अपने 160 साल के सफ़र में बकार्डी के लोगो की डिज़ाइन में छोटे-मोटे बदलाव हुए, लेकिन उसकी मुख्य पहचान चमगादड़ आज भी उस पर बना हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, आज बकार्डी की सालभर में 20 करोड़ से ज़्यादा बोतलें बिकती हैं. आज इस लोगों को हर शख़्स बखूबी पहचानता है.

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