भारत की मैसूर रियासत के शासक रहे टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) का जन्म 1 दिसंबर 1751 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था. टीपू का पूरा नाम सुल्तान फ़तेह अली ख़ान शाहाब था. टीपू सुल्तान ने अपने शासन काल में अंग्रेज़ों की नाक में दम कर दिया था जिसकी वजह से अंग्रेज़ों को दक्षिण भारत से अपने हाथ खींचने पड़े थे. टीपू ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही अंग्रेज़ों को परास्त कर दिया था. टीपू सुल्तान को दुनिया का पहला ‘मिसाइल मैन’ माना जाता है. आज भी लंदन के मशहूर ‘साइंस म्यूजियम’ में उनके रॉकेट रखे हुए हैं. इन रॉकेटों को 18वीं सदी के अंत में अंग्रेज़ अपने साथ लेते गए थे.
ये भी पढ़ें- ज़िन्दगी के हर पल को बहादुरी और वीरता के साथ जिया था ‘मैसूर के शेर’ टीपू सुल्तान ने
चलिए जानते हैं कि आख़िर टीपू सुल्तान की उस तलवार की क्या ख़ासियत थी?
टीपू सुल्तान जितना बड़ा युद्धा था उतने ही मशहूर उसके हथियार भी थे. टीपू के हथियारों में पहला नाम उनकी तलवार का आता है. इसी तलवार के दम पर टीपू ने अंग्रेज़ों की अकल ठिकाने लगाई थी. बेशकीमती होने के साथ-साथ इस तलवार का भारतीय इतिहास में अहम भूमिका भी रही है.
क्या ख़ास बात थी इस तलवार की?
टीपू सुल्तान की इस बेशकीमती तलवार में सोना और रत्न जड़े हुए हैं. इसका वजन क़रीब 7 किलो है. 93 सेंटीमीटर लंबी ये तलवार बेहद दुर्लभ तलवार है जिसकी कांसे की मूठ पर बाघ का सिर बना हुआ है. इस तरह की बाघ के सिर वाले मूठ की तलवारें बेहद कम हैं और मूठ पर बाघ का निशान होने का मतलब ये समझा जाता है कि ये तलवार टीपू सुल्तान की निजी तलवारों में रही होंगी.
बता दें ‘मैसूर टाइगर’ के नाम से मशहूर टीपू सुल्तान की सन 1799 में श्रीरंगपट्ट्नम में युद्ध के दौरान मौत हो गई थी. इसके बाद ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के मेजर थॉमस हार्ट उनके हथियारों को अपने साथ ले आए थे. इन हथियारों में टीपू सुलतान की बेहद ख़ास तलवार भी थी. ये तलवार आज भी इंग्लैंड की महारानी के आधिकारिक निवास स्थल ‘विंडसर पैलेस में शाही शस्त्रागारों के भंडार में रखी हुई है.
ये भी पढ़ें- 220 साल बाद ब्रिटेन के एक आम से घर के तहखाने में मिली टीपू सुल्तान की आइकॉनिक तलवार और बन्दूक
18वीं सदी में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान से जुड़ी अब तक कुल 30 चीज़ें नीलाम की जा चुकी हैं. इनमें उनकी एक ख़ास तलवार भी है, जो लगभग 21 करोड़ रुपये में नीलाम हुई थी. इस तलवार की मूठ पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ है. वैसे भी ‘टाइगर ऑफ़ मैसूर’ कहे जाने वाले टीपू सुल्तान की अधिकतर चीज़ों में उनका प्रतीक बाघ अंकित मिलता है.
इस तलवार को बनाने के लिए ज्यादा कार्बन की मात्रा वाली बुट्ज नामक स्टील का इस्तेमाल किया जाता था. ये तलवार इतनी तेज़ थी कि अगर किसी ने लोहे का कवच भी पहना हो तो ये उसे भी चीर सकती थी. इस तलवार की मूठ पर कुरान की आयतें भी लिखी होती थीं जिसमें युद्ध फ़तेह के सन्देश अंकित थे.
बताया जाता है कि टीपू सुल्तान की ऐसी ही एक बेशक़ीमती तलवार ब्रिटेन के बर्कशायर के घर की छत पर 220 साल तक पड़ी रही, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इसे अपने कब्ज़े में ले लिया. भारत सरकार को जब इसके बारे में पता चला तो उसने इस तलवार को भारत वापस लाने के कई प्रयास किये, लेकिन सफ़लता नहीं मिली.
इंग्लैंड में कुछ साल पहले टीपू सुल्तान की बेशकीमती तलवार के साथ-साथ उनके 8 अन्य दुर्लभ हथियारों को भी नीलाम किया गया था. इस दौरान विजय माल्या ने 1.5 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाकर टीपू सुल्तान की इस बेशकीमती तलवार को खऱीद लिया था. नीलामी में शामिल हथियारों में टीपू की एक फ्लिंटलॉक गन भी थी.