मैथ्स में ‘Nobel Prize’ क्यों नहीं दिया जाता है? इसके पीछे की वजह है बेहद दिलचस्प

Maahi

नोबेल प्राइज़ (Nobel Prize) दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है. हर साल 6 कैटेगरी में नोबेल प्राइज़ (Nobel Prize) दिया जाता है. इसमें ‘साहित्य’, ‘फ़िज़िक्स’, ‘केमिस्ट्री’, ‘पीस’, ‘इकोनॉमिक्स’ के अलावा ‘फ़ीज़ियोलॉजी एंड मेडिसिन’ जैसे विषय शामिल होते हैं. अब सवाल उठता है कि अगर फ़िज़िक्स और केमिस्ट्री के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया जाता है, तो फिर ‘मैथेमेटिक्स’ में क्यों नहीं? आख़िर इसके पीछे की वजह क्या है? 

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चलिए आज हम आपको इसके पीछे की एक दिलचस्प कहानी भी बता देते हैं-

नोबेल प्राइज़ (Nobel Prize) स्वीडिश खोजकर्ता केमिस्ट, इंजीनियर और बिज़नेसमैन अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) के नाम पर दिया जाता है. अल्फ्रेड नोबेल ने अवॉर्ड्स की कैटेगरी में ‘साहित्य’, ‘फिजिक्स’, ‘केमिस्ट्री’, ‘पीस’, ‘इकोनॉमिक्स’ के अलावा ‘फ़ीज़ियोलॉजी एंड मेडिसिन’ को तो शामिल किया, लेकिन मैथेमेटिक्स को नहीं किया. यही सबसे बड़ा सवाल है.

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आख़िर मैथेमेटिक्स में क्यों नहीं दिया जाता नोबेल? 

इसके पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है. मैथेमेटिक्स को नोबेल प्राइज़ में शामिल नहीं किए जाने को लेकर एक मिथ है. कहा जाता है कि अल्फ्रेड नोबेल को गणित ज़रा भी पसंद नहीं थी और वो गणितज्ञों को भी नापसंद करते थे. क्योंकि एक मैथेमेटेशियन का उनकी पार्टनर के साथ सीक्रेट अफ़ेयर था. वैसे, अल्फ्रेड नोबेल ने कभी शादी नहीं की. 

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कहा जाता है कि अल्फ्रेड नोबेल ने इसीलिए मैथेमेटिक्स में ‘नोबेल प्राइज़’ का चलन शुरू नहीं किया क्योंकि उन्हें अंदेशा था कि ये प्राइज़ स्वीडिश मैथेमेटिशियन ‘गोस्टा मितग-लेफ़लर को मिल जाएगा. ‘गोस्टा मितग-लेफ़लर’ वही शख़्स था जिसका अल्फ्रेड नोबेल की पार्टनर सोफ़ी हेस के साथ सीक्रेट अफ़ेयर था. अल्फ्रेड नोबेल लंबे वक्त तक सोफ़ी हेस के साथ रिलेशनशिप में रहे.

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अल्फ्रेड नोबेल और गोस्टा मितग-लेफ़लर एक दूसरे को पहले से ही जानते थे. जब नोबेल को अपनी प्रेमिका सोफ़ी हेस और गोस्टा मितग-लेफ़लर के रिश्ते की बात पता चली तो वो इन दोनों से बेहद ख़फ़ा थे. इसके बाद नोबेल और गोस्टा का रिश्ता इस क़दर ख़राब हुआ कि नोबेल ने सिर्फ़ गोस्टा की वजह से मैथेमेटिक्स में ‘नोबेल प्राइज़’ नहीं रखा. हालांकि, इतिहासकार इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं. 

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अल्फ्रेड नोबेल को गणित में नहीं थी कोई रुचि  

इतिहासकारों का कहना है कि, नोबेल प्राइज़ किसी आविष्कारक या खोजकर्ता को देने के विचार के साथ शुरू हुई थी. ऐसा खोजकर्ता जिसकी खोज ने पूरी दुनिया को फायदा पहुंचाया हो. एक व्यवसायी और खोजकर्ता होने के नाते अल्फ्रेड नोबेल को लगता था कि मैथेमेटिक्स बहुत ज़्यादा थ्योरिटिकल है. वो इसके प्रैक्टिकल अप्लीकेशन में ज़्यादा नहीं घुसना चाहते थे. इसलिए उन्होंने गणित को एक किनारे रख दिया. 

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अल्फ्रेड नोबेल का अपना काम फ़िजिक्स और केमेस्ट्री के क्षेत्र में था. वो साहित्य और मेडिसिन में रूचि भी रखते थे. डायनामाइट की खोज की वजह से अल्फ्रेड नोबेल को ‘मर्चेंट ऑफ़ डेथ’ यानी ‘मौत का सौदागर’ भी कहा जाता था. कहा जाता है कि अपनी पब्लिक इमेज ठीक करने के लिए ही उन्होंने ‘शांति’ के क्षेत्र में नोबेल प्राइज़ देने का चलन शुरू किया. 

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बता दें कि गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मैथेमेटिशियन को ‘फ़ील्ड पुरस्कार’ दिया जाता है, जो ‘नोबेल पुरस्कार’ के समतुल्य ही माना जाता है. गणित के क्षेत्र में ‘फ़ील्ड पुरस्कार’ सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है. गणितज्ञों के लिए ये पुरस्कार किसे ‘नोबेल पुरस्कार’ से कम नहीं है.

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