3D Temple: तेलंगाना में बन रहा दुनिया का पहला ‘थ्री-डी प्रिंटेड’ मंदिर, जानिए इसकी ख़ासियत

Abhay Sinha

World’s First 3D Printed Temple: दुनिया का पहला ‘थ्री-डी प्रिंटेड’ हिंदू मंदिर तेलंगाना में बनाया जा रहा है. शहर की रियल एस्टेट कंपनी अप्सुजा इंफ्राटेक (Apsuja Infratech), सिद्दिपेट के बुरुगुपल्ली में 3,800 वर्ग फ़ीट क्षेत्र में इसका निर्माण कर रही है. वहीं, लगभग 30 फ़ीट इसकी ऊंचाई रहेगी. इस मंदिर का निर्माण सिद्दीपेट के बुरुगुपल्ली में एक चरविथा मीडोज़ समुदाय के गेटेड विल्ला में अंदर बनवाया जा रहा है. (3D Printed Hindu Temple In Telangana)

इस मंदिर के 3डी प्रिंटेड कंस्ट्रक्शन के लिए अप्सुजा इंफ्राटेक ने सिंपलीफोर्ज क्रिएशन्स के साथ करार किया है.

तैयार होंगे तीन गर्भगृह

इस मंदिर में अलग-अलग आकार के तीन गर्भगृह बनाए गए हैं, जो तीन भगवानों को समर्पित हैं.

अप्सुजा इंफ्राटेक के एमडी हरि कृष्ण जीदीपल्ली ने बताया कि पहला मोदका के आकार का है, जो भगवान गणेश को समर्पित किया गया है. वहीं, दूसरा गर्भगृह वर्गाकार आकार का बनाया गया है जो कि भगवान शिव के लिए समर्पित है. इसके अलावा, तीसरा एक कमल के फूल के आकार का बनाया गया है, जो कि माता पार्वती को समर्पित किया गया है.

3D Printed Hindu Temple In Telangana

इस मंदिर में मूर्तियों से लेकर पूरे इंफ़्रॉस्ट्रक्चर को थ्री-डी प्रिंटेड टेक्नोलॉजी की मदद से ही तैयार किया जाएगा.

क्या है 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी (What is 3D Printing Technology)

3D प्रिंटिंग एक कंप्यूटर निर्मित डिज़ाइन है जिसको लेयर टू लेयर, थ्री डायमेंशनल डिज़ाइन तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसे 3D प्रिंटर की मदद से तैयार किया जाता है. इसके साथ ही 3D प्रिंटिंग में इस्तेमाल होने वाले प्रिंटर Additive Manufacturing पर आधारित होते हैं. इस तकनीक के ज़रिए समय की भी बचत भी होती है और उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होती है. इसके अलावा निर्माण के दौरान पर्यावरण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों में भी कमी आती है.

मार्च में बना था भारत का पहला ‘प्रोटोटाइप’ पुल

बता दें, इसी साल मार्च में सिम्पलीफोर्ज क्रिएशंस ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), हैदराबाद के साथ मिलकर दो घंटे से भी कम समय में भारत का प्रथम ‘प्रोटोटाइप’ पुल निर्मित किया था. इस ब्रिज का कंसेप्ट और डिज़ाइन प्रोफ़ेसर केवीएल सुब्रमण्यम और आईआईटी हैदराबाद के सिविल इंजीनियरिंग ग्रुप के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है.

सिपलीफॉर्ज क्रिएशन्स के सीईओ ध्रुव गांधी ने बताया कि इस ब्रिज को भी इस मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किया गया है. ताकि मंदिर के अंदर पैदल यात्रियों के इस्तेमाल में आ सके. ये मंदिर के गार्डन एरिया में इस्तेमाल के लिए चालू किया गया है, जिस पर पैदल यात्री आ-जा सकते हैं.

साथ ही, उन्होंने बताया कि टीम अभी देवी पार्वती को समर्पित कमल के आकार के मंदिर पर काम कर रही है. शिवालय और मोदक का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. अब दूसरे चरण में कमल का ढांचा और गोपुरम का निर्माण कार्य जारी है.

ध्रुव गांधी ने कहा कि मोदक के आकार वाले गुम्मद को बनाना बहुत आसान नहीं था, इसके बावजूद टीम ने 10 दिन के समय में ये काम सिर्फ 6 घंटे में पूरा कर लिया था. जुलाई तक मंदिर बनने की संभावना है.

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