पिता और बच्चों के मज़बूत रिश्ते की डोर में बंधी हैं ये 10 बॉलीवुड फ़िल्में

Anurag

कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनका कोई अर्थ नहीं होता, उनको सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है. अगर आप उनके बारे में सोचते हैं तो आपको कोई चित्र नहीं दिखता बल्कि, उस शब्द के एहसास से मन के अन्दर भावनाओं का एक तूफ़ान उमड़ पड़ता है. ऐसा ही एक शब्द है ‘पापा’.

हम बचपन में कई बार उनकी सख़्ती की वजह से पापा से गुस्सा भी होते हैं, उन्हें ग़लत भी समझते हैं मगर जब भी कोई परेशानी सामने आये, तो ‘पापा’ सुनते ही दिल में ख़याल आता है कि सब ठीक हो जाएगा. इस शब्द के साथ ही सुरक्षा की भावना जुड़ी होती है.

बॉलीवुड में रिश्तों की नाज़ुक डोर से बंधी फ़िल्में एक समय का हिट फ़ॉर्मूला थीं. आज भी ऐसी फ़िल्में दर्शकों को इमोशनल कर देती हैं.

आज हम आपको बताएंगे ऐसी ही कुछ फ़िल्में जिनमें पिता और बच्चों के रिश्ते को ख़ूबसूरती से दिखाया गया है.

1. पीकू

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फ़िल्म पीकू की कहानी बाप-बेटी के रिश्ते को ख़ूबसूरती के साथ फ़िल्मी परदे पर दिखाती है. एक चिड़चिड़े, बूढ़े और बचकानी हरकतों वाले पिता (अमिताभ बच्चन) को उसकी बेटी (दीपिका पादुकोण) किस तरह संभालती है, इसी के इर्द-गिर्द इस फ़िल्म की कहानी रची गई है. कभी-कभी मॉडर्न बेटी बूढ़े पिता की हरकतों पर झल्लाती भी है, इसके बाद भी पिता की फ़िक्र के आगे बेटी को ऑफ़िसऔर दुनियादारी नहीं दिखती.

2. पटियाला हाउस

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इस फ़िल्म में लंदन के एक ऐसे पंजाबी परिवार की कहानी है, जिसके मुखिया बाबूजी( ऋषि कपूर) क़ायदे-क़ानून के बड़े पक्के हैं. परिवार के सब लोग उनसे डरते हैं इसलिए उनका हर आदेश मानते हैं. वहीं उनका 17 साल का लड़का परघट सिंह उर्फ़ गट्टू (अक्षय कुमार) उनकी इच्छा के ख़िलाफ़ क्रिकेट खेलता है. बाप तब ख़ुश होता है, जब बेटा इंग्लैंड की टीम में सेलेक्ट हो जाता है. फ़िल्म में एक पत्थर दिल बाप जब बेटे की जीत पर पिघलता है तो बाप- बेटे का रिश्ता दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता महसूस होता है.

3. पा

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2009 में आई फ़िल्म ‘पा’ में अमिताभ, अभिषेक और विद्या बालन हैं. इस फ़िल्म में आर. बाल्की ने पिता- पुत्र के रिश्ते को एक नए ढंग से परिभाषित किया है. फ़िल्म में 13 साल के ‘ऑरो’ के किरदार में अमिताभ बच्चन हैं और उनके पिता के किरदार में अभिषेक बच्चन. फ़िल्म में बच्चा ‘प्रोजेरिया’ नाम की बीमारी से ग्रसित है, जिस कारण उसकी उम्र सामान्य से कई गुना ज़्यादा मालूम पड़ती है. बाप-बेटे की अनोखी कहानी पर बनी ये फ़िल्म आपको अच्छी लगेगी.

4. मैं ऐसा ही हूं

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इस फ़िल्म में अजय देवगन ने एक ऐसे पिता का रोल निभाया, जो मानसिक रोगी हैं. वो अपनी बेटी की Custody के लिए काऩूनी लड़ाई लड़ते हैं और ये साबित करते हैं कि वो अपनी बेटी की ज़िम्मेदारी उठाने वाले एक ज़िम्मेदार पिता हैं. फ़िल्म में बाप-बेटी के मासूम रिश्ते पर एक गाना भी है ‘पापा मेरे पापा’ जो आपको भावुक कर देगा.

5. चाची 420

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ये फ़िल्म 1977 में आई थी. इसमें चाची का किरदार कमल हसन ने निभाया है. फ़िल्म में एक पिता अपनी बेटी का ध्यान रखने के लिए नौकरानी बन जाते हैं. बाप-बेटी के रिश्ते के साथ-साथ बेहतरीन कॉमेडी के लिए भी इस फ़िल्म को देखा जा सकता है.

6. रिश्ते

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2002 में आई इस फ़िल्म में अनिल कपूर हैं. इसमें दिखाया गया है कि एक आदमी कठिनाइयों से जूझकर किस तरह एक Single Father के तौर पर अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देता है.

7. डैडी

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1989 में आई ये फ़िल्म बाप-बेटी के रिश्ते की कहानी है. फ़िल्म में पूजा भट्ट और अनुपम खेर हैं और इसका निर्देशन, महेश भट्ट ने किया था. फ़िल्म में पूजा 17 साल की एक लड़की का किरदार निभाती हैं. फ़िल्म में जब सारा ज़माना पिता के ख़िलाफ़ होता है तब बेटी सिर्फ़ इस विश्वास पर उसके साथ खड़ी होती है कि उसका पिता इंसान बुरा हो सकता है मगर पिता बुरा नहीं हो सकता. इस फ़िल्म की एक ग़ज़ल ‘आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत न मांग’ आज भी मशहूर है.

8. वक़्त

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2005 में आई फ़िल्म ‘वक़्त’ में बाप-बेटे के अनोखे रिश्ते को अमिताभ और अक्षय की जोड़ी ने निभाया. फ़िल्म में दिखाया गया कि कैसे एक पिता जिसे कैंसर है, अपने बिगड़े हुए बेटे को घर से बाहर निकालकर उसे अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाता है.

9. अकेले हम अकेले तुम

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1995 में आई इस फ़िल्म में आमिर ख़ान और मनीषा कोइराला हैं. फ़िल्म में आमिर ने दिल को छू लेने वाले सिंगल पैरेंट का किरदार निभाया था, जो अपने बच्चे को पाने के लिए कोर्ट में केस लड़ता है और जीतता है.

10. पिता

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2002 में आई फ़िल्म ‘पिता’ में संजय दत्त मुख्य भूमिका में हैं. फ़िल्म में दिखाया गया है कि एक पिता, जिसकी 9 साल की मासूम बच्ची को बुरी तरह पीटकर उसका रेप किया जाता है, किस तरह अपनी बेटी के लिए भ्रष्ट व्यवस्था और धूर्त लोगों से लड़ता है. 

आम तौर पर पिता और बच्चों के रिश्ते पर बनी हर फ़िल्म में एक बात समान होती है कि पिता शुरुआत में भले नायक की भूमिका में हो या खलनायक की, मगर अंत में उसे अपने अपने बच्चों का भरोसा और प्यार दोनों ही मिल जाते हैं. हम दुआ करते हैं कि दुनिया भर के पिताओं को उनके बच्चों का प्यार और भरोसा मिल सके.  

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