First Colored Film of Indian Cinema: भारतीय सिनेमा इतिहास को 108 साल हो चुके हैं. 21वीं सदी में तकनीक की वजह से सिनेमा पूरी तरह से बदल चुका है. बॉलीवुड हर साल दुनिया में सबसे अधिक फ़िल्म बनाने के लिए जाना जाता है. इस मामले में बॉलीवुड ने हॉलीवुड को भी पछाड़ दिया है.
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3 मई 1913 को भारतीय सिनेमा की पहली मूक (साइलेंट) फ़ीचर फ़िल्म राजा हरिश्चन्द्र (Raja Harishchandra) रिलीज हुई थी. ये भारत की पहली फ़ीचर फ़िल्म थी. इसके 18 साल बाद 14 मार्च 1931 को भारतीय सिनेमा की पहली बोलती (साउंड) फ़िल्म आलम आरा (Alam Ara) रिलीज़ हुई थी. ये दोनों ही ब्लैक एंड व्हाइट फ़िल्में थीं. 6 साल बाद 8 जनवरी, 1937 को भारतीय सिनेमा की पहली ‘कलर’ फ़िल्म (First Colored Film of Indian Cinema) किसान कन्या (Kisan Kanya) रिलीज़ हुई. ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर सुपरहिट साबित हुई थी.
चलिए आज इन 11 तस्वीरों के ज़रिए आप भारत की पहली कलर फ़िल्म के बनने की कहानी भी जान लीजिये-
1- ये फ़िल्म 8 जनवरी, 1937 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली भारतीय सिनेमा की पहली ‘कलर’ फ़िल्म थी.
2- ये फ़िल्म किसानों की दशा पर आधारित थी. इसमें ज़मींदारों द्वारा किसानों पर होने वाले अत्याचार को बख़ूबी से दिखाया गया था.
3- ग़रीबी, शोषणव भुखमरी को पेश करती इस फ़िल्म ने कर्ज में डूबे किसान की आत्महत्या से जुड़े मुद्दों को बख़ूबी उठाया था.
4- इस फ़िल्म को अर्देशर ईरानी ने प्रोड्यूस किया था, जबकि इसका निर्देशन मोती बी. गिडवानी ने किया था.
5- इस फ़िल्म में ग़ुलाम मोहम्मद, पद्मादेवी, ज़िल्लो, निस्सार, सैयद अहमद और घनी घनी मुख्य भूमिकाओं में नज़र आये थे.
7- किसान कन्या (Kisan Kanya) फ़िल्म की कहानी और डायलॉग मशहूर राइटर ‘सहादत हसन मंटो’ ने लिखे थे.
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7- मंटो की कहानियों को समाज का एक वर्ग अश्लील व फूहड़ मानता था. उनकी इस छवि के कारण कई लोगों ने फ़िल्म का विरोध भी किया था.
8- इस फ़िल्म का संगीत राम गोपाल पाण्डेय ने दिया था. इसके सभी गानों को Gramophone पर रिलीज़ किया गया था.
9- इस फ़िल्म में कुल 10 गाने थे, जिन्हें फ़िल्म के कलाकार पद्मादेवी, ज़िल्लो, निस्सार, गुलशन सूफ़ी और शाह अली ने गाये थे.
10- 2 घंटे 17 मिनट लंबी इस फ़िल्म को कलरफ़ुल बनाने के लिए Cine Color Process तकनीक का इस्तेमाल किया गया था.
11- फ़िल्म के एक सीन में घाघरा-चोली पहने अभिनेत्री के पेट का कुछ हिस्सा दिखाई देता है. इस सीन को लेकर ‘सेंसर बोर्ड’ में विवाद भी हुआ था.
इंडियन सिनेमा से जुड़ी हमारी ये कोशिश आपको कैसी लगी?
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