भारतीय फ़िल्म जगत आज देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुका है. ऐसा माना जाता है कि हर साल अलग-अलग भाषाओं में लगभग 1600 फ़िल्में बनाई जाती हैं. कुछ फ़्लॉप होती हैं, तो कुछ आज की तारीख़ में हज़ार करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस करती हैं. भारत में फिल्मों को बनाने की शुरुआत 1910 में मूक फ़िल्म से हुई थी, वो ऐसा दौर था जब ब्लैक एंड व्हाइट होती थीं फ़िल्में, धीरे-धीरे तकनीक के उद्भाव से फिल्मों को रंगीन बनाया गया. और आज वो टाइम है जब बॉलीवुड की फ़िल्मों में आधे से ज़्यादा फ़िल्म में स्पेशल इफ़ेक्ट का ही कमाल होता है.
खैर आज हम आपको 1950 के दशक से लेकर 1975 तक की कुछ ऐसी क्लासिक फ़िल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एक बार ज़रूर देखनी चाहिए. इन फ़िल्मों में दमदार कहानी, ज़बरदस्त अभिनय, हास्य, सस्पेंस, ड्रामा सब कुछ तो है ही साथ ही इनमें आपको दिल को सुकून देने वाला संगीत भी सुनने को मिलेगा.
तो चलिए नज़र डालते हैं ऐसी कुछ चुनिंदा फ़िल्मों पर:
1. आनंद (1971)
1971 में आयी ये फ़िल्म एक ऐसे ज़िंदादिल इंसान के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे पता है कि वो दुनिया में कुछ दिनों का मेहमान है. मगर वो हमेशा मुस्कुराता रहता है और दूसरों के दुखों को दूर करता है. बहुत ही भावुक कर देने वाली इस कहानी के मुख्य पात्रों के रूप में सुपरस्टार राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, सुमिता सान्याल और रमेश देव जैसे मंझे हुए कलाकार नज़र आये थे. फ़िल्म का निर्देशन हृषिकेश मुखर्जी ने किया था.
2. जॉनी मेरा नाम (1970)
देव आनंद, हेमा मालिनी, प्राण और जीवन स्टारर इस फ़िल्म में एक पुलिस इंस्पेक्टर के दो बेटे मोनू (मोहन) और सोनू (सोहन) हैं. जो बचपन में बिछड़ जाते हैं. विजय आनन्द द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में देवानन्द और प्राण ने इन दो भाइयों का किरदार निभाया है. ये दोनों जवानी में कैसे मिलते हैं इसी की कहानी है ये फ़िल्म.
3. ग़ुमनाम (1965)
1965 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म गुमनाम उस ज़माने की सबसे बेस्ट सस्पेंस से भरी रोमांचक फ़िल्म है, जिसमें मनोज कुमार, नन्दा, प्राण, हेलन और महमूद सरीखे अभिनेताओं ने मुख्य भूमिका निभाई है.
4. चोरी चोरी (1956)
ये बिगड़ैल अमीर लड़की कहानी है, जो घर से भाग जाती है. और फिर उसकी मुलाक़ात एक पत्रकार से होती है, जो एक रोचक कहानी की तलाश में है. बस इनकी नोक-झोक से भरी ये फ़िल्म काफ़ी मनोरंजक है. अनंत ठाकुर के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में नर्गिस, राज कपूर, गोपे और मास्टर भगवान मुख्य किरदारों में थे.
5. रजनीगंधा (1974)
फ़िल्म की कहानी अपने समय से काफ़ी आगे की है, जिसमें दिल्ली की एक महिला को दूसरी बार प्रेम करते हुए दिखाया गया है! पहले प्रेम और दूसरे प्रेम के द्वन्द में फंसी महिला की इस कहानी में आखिर तक सस्पेंस बनान रहता है कि वो अपने पहले प्यार को चुनेगी या दूसरे प्यार को. फ़िल्म का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था और विद्या सिन्हा, अमोल पालेकर, दिनेश ठाकुर और रंजीता ठाकुर अहम भूमिकाओं में नज़र आये थे.
6. बूट पोलिश (1954)
फ़िल्म में किशोर भाई और बहन को उनके ही पिता द्वारा उसकी रखैल की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया जाता है. दोनों भाई-बहन अपने वहां से भाग जाते हैं और अपने जीविकोपार्जन के लिए एक कैंप का सहारा लेते हैं और वहां जूते पॉलिश करने का काम सीखते हैं, लेकिन भीख नहीं मांगते हैं. प्रकाश अरोड़ा द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में कुमारी नाज़, रतन कुमार, डेविड अब्राहम, चांद बुर्के ने मुख्य किरदार निभाए हैं.
7. उपकार (1967)
1967 में बनी फ़िल्म उपकार का निर्देशन मनोज कुमार ने किया है. इसी फ़िल्म से मनोज कुमार की भारत कुमार की छवि बनी थी. इस फ़िल्म को छ: फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.
8. बरसात (1949)
फ़िल्म बरसात 1949 में प्रदर्शित हुई थी. इस फ़िल्म को राज कपुर ने निर्देशित किया था है. फ़िल्म में राज कपुर और नर्गिस की प्रसिद्ध जोड़ी और प्रेम नाथ ने अभिनय किया है.
9. राम और श्याम (1967)
ये फ़िल्म दो जुड़वा भाइयों की कहानी है, जो बचपन में बिछड़ गए थे और जवानी में परिस्थितियोंवश दोनों एक दूसरे के घर पहुंच गए, उसके बाद जो हुआ वो काफी मनोरंजक है. फ़िल्म का निर्देशन चाणक्य ने किया और दिलीप कुमार, वहीदा रहमान और मुमताज़ ने इसमें काम किया है.
10. तीसरी मंज़िल (1966)
तीसरी मंज़िल सन् 1966 में प्रदर्शित व विजय आनन्द द्वारा निर्देशित एक मर्डर मिस्ट्री और म्यूज़िकल रोमांचक फ़िल्म है. इसमें शम्मी कपूर, आशा पारेख, प्रेमनाथ और प्रेम चोपड़ा मुख्य भूमिकाओं में हैं.
11. सौदागर (1973)
अमिताभ बच्चन, नूतन, पदमा खन्ना, मुराद, लीला मिश्रा द्वारा अभिनीत फ़िल्म सौदागर 1973 में रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म को उतनी सफ़लता नहीं मिली थी लेकिन इसे अकादमी अवॉर्ड्स के लिए भेजा गया था. मगर ये नॉमिनेट नहीं हुई.
12. नया दौर (1957)
ये फ़िल्म एक ऐसे नौजवान की कहानी है जो भारत में एक दूर-दराज के गांव में अपनी बूढ़ी मां और बहन के साथ रहता है और जीवनयापन के लिए घोड़ा गाडी चलता है. फ़िल्म का निर्देशन बी.आर. चोपड़ा ने किया था. और इसमें दिलीप कुमार, वैजंतिमाला, अजित जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था.
13. कोशिश (1972)
जया भादुड़ी और संजीव कुमार अभिनीत फ़िल्म कोशिश एक ऐसी फ़िल्म थी जिसके दोनों किरदार गूंगे और बहरे थे और दोनों को प्यार हो गया. दोनों एक दुसरे के सुख-दुःख के साथी बने.
14. वक़्त (1965)
चोपड़ा बंधुओं द्वारा निर्मित व निर्देशित फ़िल्म वक़्त में उस दौर के प्रमुख अभिनेता सुनील दत्त, राज कुमार, साधना, बलराज साहनी, शशि कपूर, शर्मिला टैगोर और रहमान मुख्य किरदारों में नज़र आये थे. फ़िल्म में ये दिखाया गया है कि वक़्त कब और कैसा मोड़ ले ले कोई नहीं जानता.
15. आंधी (1975)
संजीव कुमार और सुचित्रा सेन अभिनीत फ़िल्म आंधी एक ऐसी फ़िल्म है जिसकी कहानी एक अमीर बाप की बिगड़ैल लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे एक माध्यम वर्गीय लड़के से प्यार हो जाता है. दोनों शादी भी करते हैं. लेकिन उनकी ज़िन्दगी में फिर क्या उतार-चढ़ाव आते हैं.
16. दोस्ती (1964)
दोस्ती 1964 में बनी इस फ़िल्म के निर्देशक सत्येन बोस और निर्माता राजश्री प्रोडक्शन्स के ताराचंद बड़जात्या हैं. जैसा फ़िल्म का नाम है, यह फ़िल्म एक अपाहिज लड़के और एक अन्धे लड़के के बीच दोस्ती को दर्शाती है.
17. अमर प्रेम (1971)
राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर द्वारा अभिनीत ये फ़िल्म एक प्यार की एक अनोखी कहानी है.
18. चलती का नाम गाड़ी (1958)
1958 में रिलीज़ हुई फ़िल्म चलती का नाम गाड़ी में किशोर कुमार, अशोक कुमार और मधुबाला मुख्य किरदारों में हैं. फ़िल्म का निर्देशन सत्येन बोस ने किया है. ये एक हल्की-फुलकी कॉमेडी से भरपूर और मनोरंजक फ़िल्म है.
19. बंदिनी (1963)
1963 में बनी फ़िल्म बन्दिनी एक नारी प्रधान फ़िल्म है. इसके निर्माता और निर्देशक बिमल रॉय थे और इसके मुख्य कलाकार थे अशोक कुमार, धर्मेन्द्र और नूतन. ये एक ऐसी फ़िल्म है जिसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांव की साधारण महिलाओं का योगदान दिखाया गया था उस दौर में.
20. ज्वेल थीफ़ (1967)
ज्वेल थीफ़ एक जासूस थ्रिलर हिंदी फ़िल्म है जिसको विजय आनंद द्वारा निर्देशित किया गया था. फ़िल्म में देव आनंद, वैजयंतीमाला और अशोक कुमार प्रमुख भूमिकाएं में नज़र आये थे.
21. मिली (1975)
मिली एक बॉलीवुड रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म थी जिसका निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था. फ़िल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और अशोक कुमार प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आये थे.
22. दो आंखें बारह हाथ (1957)
वी शांताराम ने बनाई थी फ़िल्म दो आँखें बारह हाथ जो 1957 में प्रदर्शित हुई थी. इस फ़िल्म में गांधी जी के ‘हृदय परिवर्तन’ के दर्शन से प्रेरित होकर छह कैदियों के सुधार की कोशिश की जाती है. मुंबई में ये फ़िल्म लगातार पैंसठ हफ्ते चली थी.
23. नमक हराम (1973)
राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत फ़िल्म दो दोस्तों की अमर दोस्ती को दिखाती है. जिसमें एक दोस्त अमीर और दूसरा गरीब होता है, लेकिन दोनों की दोस्ती अटूट होती है.
24. शोले (1975)
बॉलीवुड की सबसे बड़ी हिट और क्लासिक फ़िल्म शोले का निर्माण गोपाल दास सिप्पी और निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था. फ़िल्म की कहानी जय और वीरू नामक दो अपराधियों पर केन्द्रित है, जिनको पूर्व पुलिस अफ़सर ठाकुर बलदेव सिंह कुख्यात डाकू गब्बर सिंह से बदला लेने के लिए अपने गांव लाता है. इसमें जया भादुड़ी और हेमा मालिनी ने भी मुख्य भूमिका निभाई है.
25. बावर्ची (1972)
बावर्ची 1972 में ऋषिकेश मुखर्जी निर्मित एक फैमिली ड्रामा लेकिन कॉमेडी फ़िल्म थी. फ़िल्म के मुख्य पात्र निभाये हैं राजेश खन्ना, जया भादुरी, असरानी, ए के हंगल और दुर्गा खोटे ने. ये बांगला फ़िल्म ‘गाल्पा होलेओ सात्यी’ (1966) से प्रेरित है.
26. देवदास (1955)
1955 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म देवदास शरत्चंद्र चटोपाध्यायके उपन्यास ‘देवदास’ पर आधारीत है. देवदास में दिलीप कुमार ने प्रमुख किरदार निभाया है. फ़िल्म को बहुत ज़्यादा सफ़लता मिली और ये बॉलीवुड में एक मिसाल बन गयी. दिलीप कुमार के साथ ही साथ पारो और चंद्रमुखी का किरदार निभाने वाली सुचित्रा सेन और वैजयंतीमाला के अभिनय को भी बहुत सराहया गया.
27. अभिमान (1973)
1973 में प्रदर्शित हुई इस फ़िल्म का हीरो सुबीर कुमार एक प्रसिद्ध गायक है. जब वो अपने गांव जाता है तो उसे उमा की आवाज़ और उससे प्यार हो जाता है. दोनों की शादी हो जाती है और शादी के बाद दोनों साथ गाना शुरू करते हैं, जिसके बाद शुरू होती है मेन कहानी. फ़िल्म के मुख्य कलाकार अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी हैं.
28. श्री 420 (1955)
श्री 420 (1955) बॉलीवुड फ़िल्म राज कपूर द्वारा निर्मित, राज कपूर और नर्गिस अभिनीत व राज कपूर के निर्देशन में बनी है. फ़िल्म में राज अपने सपनों को पूरक करने के लिए मुंबई आता है और फिर शुरू होती है उसके संघर्ष और जद्दोजहद की कहानी.
29. ज़ंजीर (1973)
प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म की से अमिताभ बच्चन की एंग्री यंगमैन की इमेज बनी थी.
30. संगम (1964)
राज कपूर, राजेंद्र कुमार, वैजयन्ती माला स्टारर फ़िल्म संगम तीन दोस्तों की कहानी थी. जिसमें राज कपूर और राजेंद्र कुमार दोनों ही एक लड़की से प्यार करते थे.
31. साहिब बीबी और गुलाम (1962)
साहिब बीबी और ग़ुलाम गुरु दत्त द्वारा निर्मित और अबरार अलवी द्वारा निर्देशित फ़िल्म है. जो बिमल मित्रा द्वारा लिखे गए एक बंगाली उपन्यास, शाहेब बीबी गोलाम पर आधारित है. फ़िल्म के मुख्य कलाकार गुरु दत्त, मीना कुमारी, रहमान, वहीदा रहमान और नज़ीर हुसैन थे.
32. आराधना (1969)
आराधना 1969 में बनी फ़िल्म है जिसके निर्माता एवं निर्देशक शक्ति सामंत थे. इस फ़िल्म को 1969 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार के साथ दो अन्य फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से नवाज़ा गया था. इसके मुख्य कलाकार थे राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर.
33. मेरा नाम जोकर (1970)
ये फ़िल्म एक जोकर की कहानी है,और जोकर के इस किरदार को राज कपूर ने निभाया है. कहानी में दिखाया गया है कि एक जोकर ख़ुद के ग़मों और दुःखों को भुला, सब को खूब हँसाता है.
34. मधुमती (1958)
पुनर्जन्म पर आधारित फ़िल्म मधुमती 1958 में बनी थी. इस फ़िल्म में वैजयन्ती माला ने तीन-तीन रोल निभाये थे. इस फ़िल्म के निर्माता और निर्देशक बिमल रॉय थे. फ़िल्म में मुख्य भूमिका दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला और जॉनी वॉकर ने निभाई है.
35. दो बीघा ज़मीन (1953)
बलराज साहनी, निरुपा रॉय, मीना कुमारी, जगदीप जैसे सरीखे कलाकारों से सजी ये फ़िल्म उस दौर की क्लासिक फ़िल्मों में से एक थी. ये फ़िल्म बिमल रॉय द्वारा निर्मित और निर्देशित थी.
36. कागज़ के फूल (1959)
वहीदा रहमान, जॉनी वॉकर और गुरुदत्त द्वारा अभिनीत ये फ़िल्म अपने ज़माने की बहुचर्चित और हिट फ़िल्म थी.
37. छोटी सी बात (1975)
विद्या सिन्हा, अमोल पालेकर, अशोक कुमार, असरानी अभिनीत फ़िल्म छोटी सी बात एक ऐसे शर्मीले लड़के की कहानी है, जो एक अकाउंटेंट है और फ़िल्म की हीरोइन प्रभा से प्रे के सपने देखता है. लेकिन क्या उसको उसका प्यार मिलता है, इसकी ही कहानी ये फ़िल्म.
38. पड़ोसन (1968)
सुनील दत्त, सायरा बानो, किशोर कुमार अभिनीत ये फ़िल्म 1968 में प्रदर्शित हुई थी. ये एक कॉमेडी फ़िल्म थी.
39. दीवार (1975)
1975 में बनी दीवार फ़िल्म यश चोपड़ा निर्मित थी और बॉलीवुड की सबसे सफ़लतम फिल्मों में से है, जिसने अमिताभ को “एंग्री यंग मैन” का ख़िताब दिलाया. जब ये फ़िल्म बनाई गई थी तब माना जा रहा था कि इसकी कहानी अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान के जीवन पर आधारित है.
40. मदर इंडिया (1957)
सुनील दत्त, नर्गिस और राजेंद्र कुमार अभिनीत ये फ़िल्म बॉलीवुड की पहली फ़िल्म थी जो ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई थी. फ़िल्म एक ऐसी मां की कहानी है, जो न्याय के लिए अपने बेटे को गोली मार देती है.
41. आवारा (1951)
राज कपूर के निर्देशन में बनी फ़िल्म आवारा अपने ज़माने की बेहतरीन फ़िल्मों में से एक थी. इसमें राज कपूर, नर्गिस, पृथ्वीराज कपूर मुख्य भूमिकाओं में नज़र आये थे.
42. गाइड (1965)
विजय आनंद के निर्देशन में बनी फ़िल्म गाइड भारत के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखक आर के नारायण के द गाइड नाम के उपन्यास पर आधारित है. इसमें देव आनंद और वहीदा रहमान लीड रोल में नज़र आये थे.
43. चुपके चुपके (1975)
ये फ़िल्म फ़ैमिली कॉमेडी ड्रामा फ़िल्म थी, जिसके निर्माता और निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी थे. फ़िल्म में ओम प्रकाश, जया बच्चन, धर्मेंद्र, शर्मीला टैगोर और अमिताभ बच्चन ने ज़बरदस्त अभिनय का प्रदर्शन किया था.
44. प्यासा (1957)
1957 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म प्यासा के निर्माता-निर्देशक गुरु दत्त साहब ही थे. साथ ही इस फ़िल्म में उन्होंने लीड रोल भी प्ले किया था. ये फ़िल्म विजय जो एक संघर्षरत कवि है की कहानी है. वो ऐसा कवि है स्वतंत्र भारत में अपने कार्य को प्रकाशित करना चाहता है. इसमें वहीदा रहमान मुख्य अभिनेत्री थीं.
45. मुग़ल-ए-आज़म (1960)
ये फ़िल्म अकबर के बेटे शहज़ादा सलीम और एक कनीज़ नादिरा की प्रेम कहानी पर आधारित थी. नादिरा को उसके नृत्य और सुंदरता से प्रभावित होकर अकबर ने अनारकली का ख़िताब दिया था. दो प्रेमियों और उनके प्यार के दुश्मनों के इर्द-गिर्द घूमती है फ़िल्म की कहानी. के. आसिफ़ के निर्देशन में बनी ये फ़िल्म उस वक़्त की सबसे महंगी फ़िल्मों में से एक थी. फ़िल्म में दिलीप कुमार, मधुबाला, पृथ्वीराज कपूर जैसे सरीख़े कलाकारों ने मुख्य किरदार निभाए थे.
46. हाथी मेरे साथी (1971)
1971 में रिलीज़ हुई फ़िल्म हाथी मेरे साथी में राजेश खन्ना और तनुजा ने लीड रोल्स प्ले किये थे. ये फ़िल्म अनाथ राजू और 4 हाथियों की दोस्ती पर आधारित थी. इस फ़िल्म को एमए थिरूमुगम ने डायरेक्ट किया था, जबकि स्टोरी-स्क्रीनप्ले सलीम-जावेद का था. ये फ़िल्म 1971 की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफ़िस हिट और क्रिटिक्ली सक्सेसफुल फ़िल्म थी.
तो अपने इनमें से कितनी मूवीज़ देखी हैं कमेंट बॉक्स में बताइयेगा.