दुर्गा पूजा हमारी संस्कृति में रच-बस चुकी है. चाहे बात नवरात्रि के व्रत की हो या पूजा पंडाल में जा कर माता के दर्शन की, ये हमारी साझी अस्मिता से जुड़ा हुआ है.
ऐसे में भला फ़िल्मकार अपनी कहानियों में इस पूजा का ज़िक्र कैसे न करते! जब से भारत में सिनेमा का पदार्पण हुआ है तब से अलग-अलग फ़िल्मकार ने अपने-अपने समय में दुर्गा पूजा को अपनी कहानियों में पिरोया है.
आइये जानते हैं उन फ़िल्मों के बारे में जिनमें दुर्गा पूजा कहानी का अहम हिस्सा था:
1. कहानी
दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता में अपने गुमशुदा पति को ढूंढती एक गर्भवती महिला की कहानी कहती है ये फ़िल्म. फ़िल्म में कोलकाता और दुर्गा पूजा बहुत महत्वपूर्ण थीम है.
2. दमन
रवीना टंडन की मुख्य भूमिका वाली ये फ़िल्म शादी के बाद महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के बारे में है. देवी दुर्गा से प्रेरणा लेते हुए इस फ़िल्म की नायिका ‘दुर्गा’ भी विजय दशमी के दिन अपने लिए इंसाफ़ लेती है. स्त्री शक्ति को सामने रखती हुई ये फ़िल्म एक मज़बूत सामाजिक संदेश देती है.
3. देवदास
अंतरात्मा से एक हो चुके दो प्रेमियों की इस कहानी में दुर्गा पूजा को बहुत सलीके से दिखाया गया है. पूरी कहानी बंगाल के परिपेक्ष पर आधारित है और दोनों परिवार बंगाली परंपरा में रचे-बसे हैं. दुर्गा पूजा की थीम कहानी में एक अलग स्थान रखती है. शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित इस फ़िल्म को संजय लीला भंसाली ने निर्देशित किया है.
4.परिणीता
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित इस फ़िल्म में प्रेम और घृणा सबसे प्रमुखता से दिखाई देती है. साथ ही दिखाई देती है दुर्गा पूजा की भव्यता और उसके इर्द-गिर्द घूमती कहानी. दुर्गा पूजा से जुड़ी सभी चीज़ों का बहुत अच्छे से फ़िल्मांकन किया गया है इस फ़िल्म में.
5. पाथेर पांचाली
भारतीय सिनेमा को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाली और Cult-Classic की श्रेणी में गिने जानी वाली इस फ़िल्म की कहानी में भी दुर्गा पूजा का प्रमुख स्थान है. विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय द्वारा लिखित उपन्यास पर आधारित इस फ़िल्म को सत्यजीत रे ने निर्देशित किया है.
6. देवी पक्ष
राजा सेन द्वारा निर्देशित ये फ़िल्म हेमंती (रितुपर्णा सेनगुप्ता) की कहानी कहती है, जो यौन शोषण का शिकार होने के बाद उस अपराधी के खिलाफ़ उठ खड़ी होती है. देवी पक्ष में ही दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है.
7. अंतरमहल
फ़िल्म की कहानी एक उम्रदराज ज़मींदार (जैकी श्रॉफ), उसकी दो पत्नियों (रूपा गांगुली और सोहा अली खान) और एक कुम्हार (अभिषेक बच्चन) के जीवन को छूती है. कुम्हार को रानी विक्टोरिया के रूप में दुर्गा की मूर्ति बनाने का काम दिया जाता है.
कोरोना के इस दौर में इन फ़िल्मों को देखकर आप अपनी हसरतें पूरी कर सकते हैं.