क़िस्सा: जब एक फ़िल्म के लिए ख़ुद ही अनिल कपूर ने काट डाली थी अपनी जान से प्यारी मूछें

J P Gupta

फ़िल्म इंडस्ट्री में ऐसे कुछ ही गिने-चुने एक्टर हैं, जिनकी मूछें हैं. इन्हीं में एक हैं अनिल कपूर, जिनको उनकी मूछों के बिना शायद ही आपने कभी देखा हो. लेकिन एक बार कुछ ऐसा हुआ था कि अनिल कपूर ने अपनी जान से प्यारी मूछों को ख़ुद ही उड़ा दिया था. वो क्यों भला? चलिए आज इस राज़ से भी पर्दा उठा देते हैं.

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इससे पहले कि हम डायरेक्ट इस कहानी पर आएं अनिल कपूर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जान लेते हैं. अनिल कपूर के पापा सुरेंद्र कपूर एक फ़िल्म प्रोड्यूसर थे. भाई बोनी कपूर भी फ़िल्मी दुनिया में सक्रीय थे. मगर फिर भी उन्हें अपना पहला ब्रेक पाने के लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ा था. 1970 में अनिल कपूर ने फ़िल्म ‘तू पायल मैं गीत’ में शशि कपूर के बचपन का रोल निभाया था. मगर ये फ़िल्म कभी रिलीज़ ही नहीं हुई. यानी उनकी पहली फ़िल्म रिलीज़ ही नहीं हो पाई.

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इसके बाद उन्होंने कई फ़िल्मों में छोटे मोटे रोल किए, जिनमें एक साउथ इंडियन फ़िल्म भी थी. ख़ैर, फिर वो दिन आया जब उन्हें बतौर हीरो पहली फ़िल्म मिली. ये फ़िल्म थी ‘वो सात दिन.’ इस फ़िल्म से उन्हें इंडस्ट्री में पहचाना जाने लगा था. इस मूवी में भी उनकी मूछें थीं. अनिल कपूर को अपनी मूछों से बहुत प्यार था. 

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पर एक फ़िल्म के लिए उन्होंने अपनी मूछों की कुर्बानी दे दी थी. ये फ़िल्म थी ‘लम्हे’, जिसे यश चोपड़ा ने डायरेक्ट किया था. 1991 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म में अनिल कपूर बिना मूछों के नज़र आए थे. यश चोपड़ा जब इस फ़िल्म के लिए एक्टर्स की तलाश कर रहे थे तब अनिल का नाम उनके जेहन में था ही नहीं. यश इस स्टोरी के लिए अमिताभ और रेखा को लेना चाहते थे. यश की इस फ़िल्म की कहानी अनिल कपूर ने सुनी थी और उन्हें ये पसंद आ गई.

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इसके बाद वो उनसे मिले और कहा कि वो ये फ़िल्म करना चाहते हैं. पर यश ने उन्हें ये कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि इस रोल के लुक के हिसाब से वो फ़िट नहीं बैठेंगे. फिर कुछ दिनों बाद अनिल कपूर ने यश चोपड़ा को अपनी फ़ोटो भेजी. इस फ़ोटो में अनिल कपूर की तस्वीरें देखकर यश चोपड़ा दंग रह गए.

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दरअसल, उन्होंने फ़िल्म के रोल के अपनी मूछे मुंडवा दी थी और अपनी तस्वीरें खींच कर यश जी को भेजी थीं. यश को अनिल कपूर की ये डेरिंग पसंद आ गई और उन्होंने लम्हे में अनिल कपूर को कास्ट कर लिया. फ़िल्म की कहानी अपने समय से कहीं आगे थी, जिसमें एक्ट्रेस को अपने से दोगुनी उम्र के शख़्स से प्यार हो जाता है. 

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इस फ़िल्म को बेस्ट मूवी का फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड मिला था और श्रीदेवी को बेस्ट एक्ट्रेस का. मगर अनिल कपूर को बेस्ट एक्टर का रोल मिलते-मिलते रह गया क्योंकि उसी साल अमिताभ की फ़िल्म आई थी हम. इस मूवी के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड दे दिया गया था. 

लम्हे से जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं.


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