बॉलीवुड में अब तक की सबसे बड़ी हिट फ़िल्म बाहुबली तो हम सब ने देखी होगी. उसके ग्राफ़िक्स ने हर किसी को मोहित कर दिया था. लेकिन इस चकाचौंध में आपने गौर किया कि इस फ़िल्म की कहानी रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों से इतनी मेल क्यों खाती है? ध्यान नहीं दिया तो हम आपको बताते हैं कैसे?
शुरू करते हैं फ़िल्म के पहले प्लॉट से, जहां बड़ा भाई शारीरिक रूप से अक्षम था, तो सत्ता छोटे भाई को सौंप दी गई. यानि धृतराष्ट्र और पांडु की कहानी, महाराज विक्रम देव और बिज्जल देव में दिखाई देती है, जहां बड़े भाई की अपंगता के कारण छोटे भाई को सत्ता सौंप दी जाती है.
फ़िल्म का सबसे चर्चित कैरेक्टर, कटप्पा महाभारत के भीष्म पितामाह की तरह काम करता है. उसे पता होता है कि भल्लाल देव गलत है, लेकिन वो किसी शख़्स का नहीं, बल्कि सिंहासन का गुलाम होता है और इसी कारण उसे बाहुबली को मारना पड़ता है.
सत्ता बाहुबली को मिली थी, क्योंकि भल्लाल देव बड़ा भाई होने के बावजूद दुर्योधन की तरह क्रूर शासन करता. उसे आम जनता से ज़्यादा अपनी ताकत से प्रेम होता है, इसलिए पहले बाहुबली को सिंहासन का उत्तराधिकारी बनाया जाता है. ठीक युधिष्ठिर की तरह.
इस फ़िल्म में बात महाभारत तक ही सीमित नहीं है, फ़िल्म में कई हिस्से रामायण से भी लिए गए हैं. विश्वास नहीं हो रहा तो गौर फ़रमाइए.
बाहुबली और देवसेना को देश निकाला दिया जाना, राम और सीता के वनवास की याद दिलाता है.
रामायण में भगवान राम अपनी पत्नी को रावण से बचाने जाते हैं, वहीं इस फ़िल्म में उनका बेटा महेंद्र बाहुबली अपनी मां देवसेना को भल्लाल देव के चुंगल से निकालता है.
जैसे रामायण में दूसरे देश का राजा सुग्रीव भगवान राम की मदद सीता को छुड़ाने में करता है, ठीक उसी तरह इस फ़िल्म में देवसेना का भाई महेंद्र बाहुबली की मदद करता है.
फ़िल्म को अगर ध्यान से देखा जाए, तो ये फ़िल्म महाभारत और रामायण के अंशों से प्रभावित लगती है. फ़िल्म में ग्राफ़िक्स इतने शानदार हैं कि लोगों की नज़र ऐसी बारीकियों पर गई नहीं, यही तो एक अच्छी और सफ़ल फ़िल्म की पहचान होती है.