Film Rambaan Based On Ramayan: फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ 16 जून को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है. फ़िल्म की रिलीज़ के बाद ही फ़िल्म कहानी, पात्र और संवाद को लेकर आलोचनाओं के घेरे में आ गई. इसके बाद, बड़े-बड़े स्टार्स से लेकर रामानंद सागर की ‘रामायाण’ के किरदारों ने भी कहानी को लेकर आपत्ति जताई. काफ़ी विरोध के चलते फ़िल्म के डायलॉग्स को बदल दिया गया है, जो अभी भी सिर्फ़ खानपूर्ति ही लग रही है. ख़ैर, पिछले 1 हफ़्ते से हम लोग ‘आदिपुरुष’ के विरोध का प्रभाव मानसिक रूप से झेल रहे हैं जबकि, ‘रामायण’ पर बनी ‘आदिपुरुष’ पहली फ़िल्म नहीं है जिसका विरोध हो रहा है इससे पहले भी एक फ़िल्म थी जिसका विरोध हो चुका है. इस फ़िल्म को भी क्रिटिक्स और दर्शकों की आलोचना झेलनी पड़ी थी.
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आइए जानते हैं कौन-सी है वो फ़िल्म जिसे Adipurush से पहले आलोचना का शिकार होना पड़ा था? दरअसल, इस फ़िल्म की जानकारी ‘The Paperclip’ नाम के Twitter थ्रेड ने दी है. इस थ्रेड में 75 साल पहली आई इस फ़िल्म का काफ़ी हो हल्ला मच रहा था. चलिए इसका नाम और बाकी चीज़ें जानते हैं.
1948 में आई इस फ़िल्म का नाम ‘रामबाण’ है, जिसे डायरेक्टर विजय भट्ट ने बनाया था. इसमें दिग्गज अभिनेत्री शोभना समर्थ ने सीता की भूमिका निभाई थी, जो अभिनेत्री नूतन और तनुजा की मां और काजोल की नानी थीं. 02 दिसम्बर, 1948 को फ़िल्म थियेटर में लगी लेकिन ये वो दौर था जब एक क्लिक पर कुछ भी पता नहीं चलता था. फ़िल्म चली नहीं चली, विरोध हुआ नहीं हुआ ये सब पता लगने में समय लगता था. ऐसा ही कुछ ‘रामबाण’ के साथ हुआ. फ़िल्म दिसंबर में आई और इसका रिव्यू आया फरवरी में, जिसे भारत की शुरुआती फ़िल्म मैगज़ीन्स में से एक Film India में छापा गया. इसे रिव्यू किया था उस दौर के फ़ेमस रिव्यू राइटर बाबूराव पटेल ने. रिव्यू का टाइटल था, Ram Baan, An Unpardonable Slander on Hindus.
बाबूराव पटेल ने इस फ़िल्म की बहुत आलोचना की जबकि ‘आदिपुरुष’ और ‘रामबाण’ में फ़र्क समझा जाए तो ‘आदिपुरुष’ ने धर्म वाला पक्ष भुनाने की कोशिश की और वो असफल रहे लेकिन ‘रामबाण’ में तो ऐसा कुछ था भी नहीं फिर वो फ़िल्म आलोचना का शिकार हुई. बाबूराव पटेल ने अपने रिव्यू को किरदारों के आधार पर दिया. उन्होंने सबसे पहले राम पर निशाना साधा,
‘रामबाण’ के 5 पन्ने के रिव्यू में एक भी अच्छी बात नहीं लिखी गई थी. फ़िल्म में राम किरदार प्रेम अदीब ने निभाया था. उन्होंने प्रेम के कद-काठी और ख़ूबसूरती पर निशाना साधा. लिखा कि, राम के किरदार के लिए प्रेम को कास्ट करना ग़लत है उनकी नाक देखो उनका छोटा कद कुछ भी राम बनने जैसा नहीं है.
राम के बाद उन्होंने सीता बनी शोभना समर्थ को आड़े हाथों लिया, जो उस दौरान 8 महीने प्रेगनेंट थीं और फ़िल्म में उनका बेबी बंप दिख रहा था,
शोभना की प्रेगनेंसी और उम्र दोनों पर आलोचना की कि आज का युवा क्या सीखेगा कि माता सीता नववास के दौरान गर्भवती थीं. साथ ही लिखा कि शोभना सीता के किरदार के लिए ज़्यादा बुज़ुर्ग लग रही हैं, उनके गाल देखो जो उम्र के चलते अंदर घुस गए हैं आंखों में चमक नहीं है शरीर बेडौल हो चुका है ऐसे में सीता का किरदार निभाना बिल्कुल ग़लत है. बाबूराव ने रावण को भी नहीं छोड़ा जो उस वक़्त के सबसे जाने-माने विलेन चंद्रमोहन बने थे. विजू यानि विजय भट्ट की रामबाण का रावण शारब पिये हुए व्यक्ति की भांति लग रहा है ये तो वाल्मीकि के रावण का मज़ाक बनाया गया है.
बाबूराव पटेल ने ‘रामबाण’ की इतनी बुरी तरह से आलोचना करने के बाद बैन की भी मांग कर ली. साथ ही आरोप लगाए कि, ये फ़िल्म हिंदू भावनाओं का अपमान करती है. इनके रिव्यू की आख़िरी कुछ लाइंस ऐसी थी कि,‘जो हिंदू अपने भगवानों को मानता है उसे ये फ़िल्म कतई नहीं देखनी चाहिए’.
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आपको बता दें, विजय भट्ट ने ‘रामायण’ पर अपनी Trilogy बनाई थी, जिसमें पहली फ़िल्म ‘भरत मिलाप, दूसरी ‘राम राज्य’ और तीसरी थी ‘रामबाण’. तीनों के ही राम, सीता और रावण एक थे. राम के किरदार में प्रेम अदीब, सीता के किरदार में शोभना समर्थ और रावण के किरदार में चंद्रमोहन थे. कहते हैं कि, राम और सीता के तौर पर प्रेम और शोभना को इतना पसंद किया गया कि लोग घरों में जो कैलेंडर लगाते थे उसमें सिया-राम के रूप में इन्हीं की फ़ोटो लेकर आते थे.