Indian Women Cinematographers: बॉलीवुड फ़िल्मों की कहानी को लेकर दिन पर दिन प्रोग्रेसिव हो रहा है. फ़िल्मों में समाज के हर उस मुद्दे को दिखाने की कोशिश की जा रही है, जिसके बारे में लोग बात करने से भी बचते हैं. इन कहानियों को दर्शकों तक लाने के पीछे कई लोग होते हैं, जिनमें महिलाएं और पुरूष दोनों ही होते हैं. पुरुषों के काम की तो सराहना की जाती है, लेकिन महिलाओं को भूल जाते हैं. जैसे, बॉलीवुड में कई महिला सिनेमैटोग्राफ़र हैं, जो बेहतरीन काम कर रही हैं उनके बारे में बात करने वाला कोई नहीं है. ये प्रतिक्रियाएं टीम तक ही सीमित रह जाती हैं. यही वजह है कि भारतीय सिनेमा के 100 साल के इतिहास में कभी भी किसी महिला सिनेमैटोग्राफ़र (Indian Women Cinematographers) को ऑस्कर (Oscar) में नॉमिनेशन नहीं मिला है.
महिला सिनेमैटोग्राफ़र्स को पहचान दिलाने के लिए वरिष्ठ सिनेमैटोग्राफ़र फ़ौज़िया फ़ातिमा (Senior Cinematographer Fowzia Fathima) ने इस साल मार्च में भारतीय महिला सिनेमैटोग्राफ़र्स कलेक्टिव (IWCC) का गठन किया. इस पहल के पीछे की सोच महिला सिनेमैटोग्राफ़रों का समर्थन करना है, विशेष रूप से नए और आगे आने वाले सभी का.
इस कड़ी में बॉलीवुड की कुछ बेस्ट महिला सिनेमैटोग्राफ़र्स के बारे में जानते हैं.
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1. दीप्ती गुप्ता (Deepti Gupta)
दीप्ती ‘हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘Fakir of Venice’ जैसी फ़िल्मों की सिनेमैटोग्राफ़र रही हैं. इसके अलावा, इन्होंने निष्ठा जैन की डॉक्यूमेंट्री ‘City of Photos’ और ‘Lakshmi and Me’ को भी डायरेक्ट किया है.
2. अर्चना बोरहडे (Archana Borhade)
अर्चना 2016 की मराठी Sci-Fi फ़िल्म ‘Phuntroo’ की सिनेमैटोग्राफ़र रही हैं. सिनेमैटोग्राफ़र के तौर पर उनकी दूसरी फ़िल्म ‘Idak’ को मुंबई और गोवा अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल (Mumbai and Goa International Film Festivals) के लिए चुना गया था. इसके साथ ही, अर्चना ‘माई नेम इज़ ख़ान’ और ‘गुलाब गैंग’ सहित कई बॉलीवुड फ़िल्मों के कैमरा डिपार्टमेंट का भी हिस्सा रही हैं.
3. प्रिया सेठ (Priya Seth)
प्रिया ने कई विज्ञापन फ़िल्मों के लिए फ़ोटोग्राफ़ी का निर्देशन किया है. इन्होंने हाल ही में ‘Chef’ और ‘Barah Aana Montage’ जैसी फ़िल्मों के साथ हिंदी सिनेमा में कदम रखा है. प्रिया ने 2015 की पीरियड एक्शन फ़िल्म ‘एयरलिफ़्ट’ को सिर्फ़ 49 दिनों में शूट किया था.
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4. बी. आर. विजयलक्ष्मी (B.R. Vijayalakshmi)
तमिलनाडु की रहने वाली बी. आर. विजयलक्ष्मी एशिया की पहली महिला सिनेमैटोग्राफ़र हैं. प्रसिद्ध निर्देशक-निर्माता बी.आर. पंथालू की बेटी होने की वजह से इन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में आसानी से काम मिल गया था. इन्होंने सिनेमैटोग्राफ़र अशोक कुमार के साथ काम किया और 1980 और 90 के दशक में ‘चिन्ना वीडू’ और ‘पाट्टू पड़वा’ सहित 22 फ़िल्मों की शूटिंग की. विजयलक्ष्मी अब फ़िल्मों से टेलीविजन की ओर रुख़ कर चुकी हैं और धारावाहिकों के लिए लेखक, निर्देशक, फ़ोटोग्राफ़र और निर्माता के रूप में काम कर रही हैं.
5. फ़ौज़िया फ़ातिमा (Fowzia Fathima)
फ़ौज़िया ने 2002 की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फ़िल्म ‘Mitr, My Friend’ के साथ अपनी शुरुआत की, जिसे रेवती द्वारा निर्देशित किया गया था और इसमें टेक्नीशियन डिपार्टमेंट में सभी महिलाएं थीं. रेवती ने ही अपने सहयोगियों को IWCC बनाने के लिए प्रेरित किया था, जो UK में महिला सिनेमैटोग्राफ़र्स के समान संघ, Illuminatrix से प्रेरित था.
6. सविता सिंह (Savita Singh)
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (Film and Television Institute of India) से साल 2007 में सिनेमैटोग्राफ़ी से ग्रेजुएट करने वाली सविता सिंह कई फ़िल्मों में फ़ोटोग्राफ़ी की निदेशक रही हैं, जिनमें पीरियड फ़ैंटेसी फ़िल्म ‘हवाईज़ादा’ से लेकर समीक्षकों द्वारा प्रशंसित मराठी कॉमेडी-ड्रामा ‘वेंटीलेटर’ तक शामिल हैं.
7. अंजुली शुक्ला (Anjuli Shukla)
2010 में, अंजुली शुक्ला अपनी पहली फ़िल्म ‘कुट्टी श्रंक’ (Kutty Srank) के लिए Best Cinematography का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला सिनेमैटोग्राफ़र हैं. अंजुली ने अपने करियर की शुरुआत में सिनेमैटोग्राफ़र संतोष सिवन को कई प्रोजेक्टस में असिस्ट किया था, जिसमें ‘Mistress of Spices’ और ‘Before the Rains’ जैसे इंटरनेशनल प्रोजेक्ट शामिल हैं. 2015 में, उन्होंने ख़ुद ‘हैप्पी मदर्स डे’ का निर्देशन किया, जो 19वें अंतर्राष्ट्रीय बाल फ़िल्म महोत्सव भारत (ICFFI) की शुरुआती फ़िल्म थी.
सभी महिला सिनेमैटोग्राफ़र अपने काम में माहीर हैं.