मालिश… तेल मालिश
गुरुदत्त की फ़िल्म ‘प्यासा’ में मालिश, तेल मालिश करते हुए एक आदमी आता है, नाम है जॉनी वॉकर. फिर वो गाना शुरू होता है, ‘सर जो तेरा चकराए और दिल डूबा जाए, आज प्यारे पास हमारे, काहे घबराये, काहे घबराये’…
ये गाना इंडियन सिनेमा में जॉनी वॉकर के योगदान को बड़ी खूबसूरती से कह देता है.
इस फिल्म में ये गाना तब आता है, जब फिल्म काफ़ी भारी और Intense हो चुकी होती है. इस गाने के साथ जॉनी वॉकर की एंट्री इतनी सुकून देनी वाली है, कि फ़िल्म का बाकी सफ़र सुहाना लगने लगता है.
कॉमेडी उस गुदगुदी की तरह होनी चाहिए, जो हलके से बदन को छूती है और पूरे शरीर को खिलखिलाकर छोड़ती है. जॉनी वॉकर भारतीय सिनेमा की कॉमेडी में वो नाम था, जिसने अपनी अदाकारी को कॉमेडी में ऐसे तब्दील किया, कि सिनेमा पसंद करने वाली हर पीढ़ी उनकी कायल हो गयी. ये पहला वो नाम था, जिसने फिल्मों में बोझिल होती स्क्रिप्ट को अपने टैलेंट से थोड़ा खुशनुमा बनाने की कोशिश थी.
भारतीय सिनेमा के 100 साल होने के बाद भी शायद ही कोई और एक्टर हो, जो कॉमेडी करने के बावजूद भी एक्टर कहलाया गया हो. इस फनकार के जीवन से जुड़ी कुछ मज़ेदार बातें, जिन्हें ज़्यादा लोग नहीं जानते:
1. BEST बस ड्राइवर से फिल्मों के सेट पर
मुम्बई की BEST बस के इस ड्राइवर को सबसे पहले देखा था बलराज साहनी ने, जो उस वक़्त गुरुदत्त के लिए एक फ़िल्म लिख रहे थे. बलराज ने जॉनी का नाम गुरुदत्त को सुझाया और अगले ही दिन जॉनी को उनसे मिलने के लिए कहा.
अगले दिन जॉनी फ़िल्म के सेट पर शराबी की एक्टिंग करते हुए पहुंचे, बहुत से लोगों को इसकी ज़रा भी भनक नहीं लगी कि वो सच में पिए हुए नहीं थे. गुरुदत्त को उनका ये अंदाज़ इतना पसंद आया कि उन्होंने फ़ौरन अपनी फ़िल्म ‘बाज़ी’ में उनके लिए एक सीन लिखवा दिया. फिर ये जोड़ी लगभग हर फिल्म में दिखी.
Mr. & Mrs. 55 में उनकी मज़ेदार एक्टिंग की क्लिप:
Source: Ultra Hindi
2. असली नाम था…
जॉनी वॉकर का असली नाम था बदरुद्दीन जलाउद्दीन काज़ी. उनका स्क्रीन नाम उन्हें मिला था व्हिस्की ब्रैंड Johnny Walker से. इसका कारण था उनका शराबी का रोल करना. लेकिन सच्चाई ये थी कि जॉनी ने कभी शराब को हाथ नहीं लगाया था. हालांकि फ़िल्म में उनकी एक्टिंग देख कर कोई भी यकीन नहीं कर पाता था.
3. गुरु दत्त के साथ रिश्ता
वो इतने बेहतरीन कलाकार थे कि गुरुदत्त शूट से पहले उन्हें डायलॉग बता देते थे. उनसे कहा जाता था कि ये आपके डायलॉग हैं, कल शूट के वक़्त आप कुछ इसमें अपनी तरफ़ से Add करना चाहें, तो ज़रूर करें. अगले दिन शूट के वक़्त जॉनी अपने रोल में कुछ न कुछ नयापन ले आते थे. वो हर रोल के साथ कुछ एक्सपेरिमेंट करते थे. गुरुदत्त को उनका ये अंदाज़ बहुत पसंद आता था. जॉनी का सीन ख़त्म हो जाने के बाद गुरुदत्त देखते कि बाकि क्रू उनकी एक्टिंग पर ताली बजा रहा है या हंस रहा है, तो वो इसे फ़िल्म का हिस्सा बना लेते.
4. कॉमेडियन जो एक एक्टर था
आज शायद ही कोई ऐसा कॉमेडियन हो, जिसे कभी फ़िल्म के हीरो जितनी पॉपुलैरिटी भी मिली हो. जॉनी वॉकर के लिए फ़िल्म में हमेशा एक गाना रखा जाता था. ‘ये है बम्बई मेरी जान…’, गाने के बाद से उनकी डिमांड इतनी बढ़ गयी थी कि प्रोड्यूसर ख़ासकर उनके लिए एक गाना रखवाने की मांग करता था.
5. फूहड़ नहीं मज़ाकिया
300 फिल्मों में काम करने के बावजूद जॉनी वॉकर के किसी भी डायलॉग पर सेंसर बोर्ड ने कभी कैंची नहीं चलाई. आप उनकी सारी फिल्में देख लें, उनकी एक्टिंग में हर बार कुछ नया देखने को मिलेगा. ऐसे बहुत कम एक्टर्स, ख़ासकर कॉमेडियन हैं, जो अपने काम में नयापन रखते हैं.
Youtube पर सर्च करेंगे, तो हमेशा एक कॉमेडियन की फिल्मों के बेस्ट सीन्स मिलेंगे, जॉनी वॉकर वो इंसान थे, जिनके सुपरहिट गानों का Jukebox आपको आराम से Youtube पर मिल जाएगा.
सर जो तेरा चकराए
Source: Ultra Hindi
ये है बम्बई मेरी जान
Source: Ultra Hindi
जाने कहां मेरा जिगर गया जी
Source: Ultra Hindi
जॉनी वॉकर के बेटे नसीर खान ने कहा था कि उनके पिता लोगों को वो हंसी दे गए हैं, जो आंखों में चमक बन कर सामने आती है. एक कॉमेडियन के लिए ये सबसे बड़ी श्रधांजलि है.
Featured Image Source: The Quint