बॉलीवुड की वो फ़िल्म जिसने सिनेमाघरों को बना दिया था मंदिर, जूते-चप्पल उतारकर जाते थे लोग अंदर

Nripendra

बॉलीवुड शुरु से हर तरह की फ़िल्में बनाता आया है, जैसे एक्शन, सस्पेंस, रोमांस व कॉमेडी. वहीं, इनके अलावा बॉलीवुड में धार्मिक फ़िल्में भी बनती आई हैं. आस्था के बल पर धार्मिक फ़िल्मों ने दर्शकों को गहराई से जोड़ने का काम किया. हालांकि, धर्म-आस्था से जुड़ी फ़िल्मों को लेकर दर्शकों का जो क्रेज शुरुआती वक़्त में दिखा वो आज लगभग ग़ायब हो चुका है. जानकर हैरानी होगी कि उस दौरान जब कोई धार्मिक फ़िल्म सिनेमाघरों में लगती थी, तो लोगों के लिए सिनेमाघर मंदिर समान हो जाते थे. वहीं, बॉलीवुड में एक धार्मिक फ़िल्म ऐसी बनी जिसे देखने के लिए लोग जूते-चप्पल सिनेमाघरों के बाहर उतार दिया करते थे. आइये, आपको विस्तार से बताते हैं उस फ़िल्म के बारे में.  

‘जय संतोषी मां’  

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1975 में आई ‘जय संतोषी मां’ कम बजट की एक हिंदी फ़िल्म थी, जो उस समय एक्शन और कॉमेडी फ़िल्मों के बीच खूब चली. इस फ़िल्म के निर्माता सतराम रोहरा थे और इसे डायरेक्ट किया था विजय वर्मा ने. वहीं, इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे अनीता गुहा, भारत भूषण भल्ला, कानन कौशल और आशीष कुमार. 

लता मंगेशकर की बहन ने गाया था गाना  

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‘जय संतोषी मां’ फ़िल्म में स्वर कोकिला लता मंगेशकर की बहन उषा मंगेशकर ने गाना गाया था. उनका गाना “मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की” आज भी लोगों की आस्था से जुड़ा है. माता के अनुष्ठानों में ये गाना आज भी सुना जा सकता है.  

अनिता गुहा  

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इस फ़िल्म में सबसे मुख्य रोल यानी संतोषी माता का रोल एक्ट्रेस अनिता गुहा ने किया था. अनिता गुहा ज़्यादातर धार्मिक फ़िल्मों में ही दिखाई देती थीं. लेकिन, ‘जय संतोषी मां’ फ़िल्म के बाद उन्हें न सिर्फ़ लोकप्रियता मिली बल्कि बहुत सम्मान भी मिला. IMDb के अनुसार, इस फ़िल्म के बाद जब भी अनिता गुहा बाहर निकलती थी, तो लोग उनके पैर छूकर उनका आशिर्वाद लिया करते थे.  

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सिनेमाघर मंदिर समान हो गए थे

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उन दिनों सिनेमाघर बहुत कम हुआ करते थे, इसलिए गांव के लोग बैलगाड़ी से ही लंबी दूरी तक का सफ़र तय कर सिनेमाघरों तक पहुंचते थे. उस दौरान सिनेमाघर मंदिर समान हो गए थे. लोग सिनेमाघरों के बाहर प्रसाद बांटा करते थे और सिनेमाघरों के अंदर जाने से पहले अपने जूते चप्पल उतार दिया करते थे. अमर उजाला के सहयोग से आयोजित हुए एक कार्यक्रम में भी उषा मंगेशकर ने इस बात का ज़िक्र किया था कि इस फ़िल्म के गीतों को लोगों द्वारा इस कदर पसंद किया गया कि लोग अपने जूते-चप्पल उतारकर सिनेमाघरों में प्रवेश किया करते थे.   

फ़िल्म ‘शोले’   

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बहुतों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि ‘जय संतोषी मां’ और बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ‘शोले’ एक ही दिन रिलीज़ हुई थी यानी 15 अगस्त 1975. 

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