Bollywood Romantic Movies: ‘प्यार’ एक वक़्त था जब आंखों-आंखों में प्यार हो जाता था. प्यार का इज़हार करना भी बहुत बड़ी बात थी. फ़िल्मों में तो प्यार पेड़ के इर्द-गिर्द और दूर-दूर से निहारने तक सीमित था. लड़के ही प्यार के लिए पहल करते थे, इसे संस्कार माना जाता था. कहीं लड़की ने अपनी पसंद भी बता दी तो समझो सैलाब आ गया. मगर जैसेे-जैसे वक़्त बदला प्यार करने का नज़रिया और तरीक़ा दोनों बदल गए. प्यार वो नहीं है कि जो इज़हार का इंतज़ार करे प्यार तो बस प्यार है वो जिसे भी हो वो सामने वाले को बता दे. ऐसा ही कुछ हमारी आज की बॉलीवुड फ़िल्में भी सिखाती हैं, जिनमें प्यार में दोस्ती भी है तो तकरार भी, प्यार इंतज़ार भी है तो प्यार इक़रार भी.
आइए जानते हैं कौन-सी हैं वो फ़िल्में जो हमारी पीढ़ी वाले प्यार को पूरी तरह से दिखाती भी हैं और महसूस भी कराती हैं.
Bollywood Romantic Movies
ये भी पढ़ें: बॉलीवुड की वो 10 फ़िल्में जो सिनेमाघरों में हुई थीं फ़्लॉप, लेकिन OTT पर बिखेरा था जलवा
1. कॉकटेल (Cocktail)
गौतम, मीरा और वेरोनिका का लव ट्रायंगल सबको ख़ूब पसंद आया था. ऐसा कई बार होता है कि हम किसी को प्यार करते हैं और वो किसी और को. शुरुआत में बुरा लगता है, लेकिन प्यार तो उसी की तरफ़ जाता है जिधर दोनों तरफ़ एहसास एक से होंं.
2. तमाशा (Tamasha)
कभी-कभी वक़्त के साथ इंसान बदल जाते हैं. इस फ़िल्म में भी कुछ ऐसा ही होता है कॉर्सिका में वेकेशन के दौरान दीपिका के किरदार को रणबीर के किरदार से प्यार हो जाता है, जिसे वो बाद में मिलती है तो वो किरदार पूरी तरह से बदल चुका होता है. ऐसा असल ज़िंदगी में कई बार कई लोगों के साथ हुआ होगा.
3. रॉकस्टार (Rockstar)
प्यार किसी के लिए ज़िंदगी हो सकता है तो रॉकस्टार फ़िल्म उन्हीं के लिए है. इसमें जॉर्डन का प्यार और अपनापन हीर के लिए उसकी ज़िंदगी था, जिससे उसे सांसें मिलती थीं.
4. तनु वेड्स मनु (Tanu Weds Manu)
ये फ़िल्म छोटे शहर की लड़की की स्टीरियोटाइप इमेज को पूरी तरह से तोड़ती है, जिस इमेज में लड़की को संस्कारी होना ज़रूरी है. इसमें कंगना ने जो किरदार निभाया है वो कानपुर शहर की लड़की होने के हिसाब से बहुत फ़ास्ट और स्मार्ट था. इसे प्यार हो या सिगरेट और शराब पीना सब करना अच्छा लगता है और वो करती भी है. माधवन के किरदार मनु को वो लड़की पसंद भी आती है.
5. लव आज कल (Love Aaj Kal)
इस फ़िल्म में दो अलग-अलग पीढ़ियों की प्रेम कहानियों को ख़ूबसूरती से बयां किया गया है. इसने हमें ये बेहतर ढंग से समझने में मदद की कि कैसे समय के साथ केवल अपने सोलमेट को महसूस करने का नज़रिया बदला है, प्यार की भावना नहीं.
6. सलाम नमस्ते (Salaam Namaste)
लिव-इन में रहना सब कपल चाहते हैं इस फ़िल्म ने दिखाया कि लिव-इन में रहना हमेशा हैप्पी नहीं होता है. साथ ही ये भी बताया कि ‘Happy Ever After’ के बाद क्या होता है?
7. बरेली की बर्फ़ी (Bareilly Ki Barfi)
राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना और कृति सेनन की लव स्टोरी ने सबका दिल जीता और लव ट्रांयगल से भी ऊपर एक प्यार को महसूस किया जो अपने प्यार के लिए कुछ भी करता है.
8. शुद्ध देसी रोमांस (Shuddh Desi Romance)
इस फ़िल्म में बताया गया कि प्यार का इज़हार करने के लिए या लिव-इन में रहने के लिए शादी की ज़रूरत नहीं है.
9. ब्रेक के बाद (Break Ke Baad)
प्यार की एक साधारण कहानी, जो दूर होते हुए भी अपने प्यार को निभाते हैं उसे दूरियों के बीच पीसने नहीं देते हैं.
10. 2 स्टेट्स (2 States)
दो अलग-अलग राज्यों की एक प्रेम कहानी जो चेतन भगत के नॉवेल 2 स्टेट्स पर आधारित है. कमाल की लव स्टोरी है.
11. बैंड बाजा बारात (Band Baja Baaraat)
एक साथ काम करते-करते कब एक-दूसरे को प्यार करने लगते हैं फिर प्यार का इज़हार करने से डरते हैं, लेकिन अपने प्यार को किसी और का होता देख उसे अपना बनाने के लिए एक-दूसरे के पास आ जाते हैं.
12. आकाश वाणी (Akaash Vani)
‘दुनिया क्या कहेगी’ और पैरेंट्स के प्रेशर ने कई रिश्तों को ख़त्म कर दिया है. इस फ़िल्म और इसके किरदार, आकाश और वाणी से इस बात को बख़ूबी समझ सकते हैं. दोनों को प्यार को समाज के चलते अलग होना पड़ता है लेकिन कहते हैं न प्यार अपना रास्ता बना ही लेता है. इनका प्यार भी रास्ता बनाता है और दोनों देर से ही सही मिल जाते हैं.
13. ऐ दिल है मुश्किल है (Ae Dil Hai Mushkil)
एकतरफ़ा प्यार की ताक़त देखनी है तो ऐ दिल है मुश्किल देख लेना. हो सकता है ये फ़िल्म थोड़ी अजीब लगे लेकिन जो ठीक हो वो प्यार कहां. प्यार यही तो होता है कि हम जैसा चाहते हैं वो बिल्कुल उसका उल्टा चाहता है.
ये भी पढ़ें: बॉलीवुड की वो 8 अपकमिंग बायोपिक मूवीज़, जिनकी रिलीज़ के लिए दर्शक सुपर एक्साइटेड हैं
14. ये जवानी है दीवानी (Yeh Jawaani Hai Deewani)
दोस्ती और प्यार दोनों को बेहतर समझना है तो ये जवानी है दीवानी से बेहतर कोई फ़िल्म हो ही नहीं सकती. ये फ़िल्म शायद ही किसी को नहीं पसंद होगी. नैना, बनी, अवी और अदिति की कहानी आपको अपनी सी लगती है. बनी जिस नज़रिये से लाइफ़ को देखता है आजकल के सभी लड़के वैसे ही देखते और सोचते हैं. साथ ही, नैना का प्यार किसी आम लड़के के प्यार से ही मिलता-जुलता है.
15. जाने तू … या जाने न (Jaane Tu… Ya Jaane Na)
कॉलेज बेस्टीज़, जय और अदिति का कहानी जाने तू….या जाने न कॉलेज के दिनों की और प्यार की याद दिला देती है.
16. जब वी मेट (Jab We Met)
इम्तियाज़ अली की बेस्ट फ़िल्मों में से एक, जब वी मेट ने हमें प्यार करना, हंसना और जीना सिखाया. करीना के गीत के किरदार से लड़की ख़ुद को जुड़ा हुआ महसूस करती है. प्यार के प्रति उसके नज़रिये को बेहतर समझ सकती है. मगर जब प्यार में धोखा मिलता है तो गीत जैसी ज़िंदादिल लड़की भी शांत और ख़ामोश हो जाती है, जिसे आदित्य का प्यार दोबारा ज़िंदगी जीना सिखाता है.
17. सोचा न था (Socha Na Tha)
इम्तियाज अली की पहली फ़िल्म सोचा न था बॉक्स ऑफ़िस पर कमाल नहीं दिखा पाई थी. मगर दर्शकों के दिलों पर छा गई थी.
18. मसान (Masaan)
प्यार की बात हो मसान का ज़िक्र न हो भला कैसे हो सकता है. मसान एक ऐसी कहानी थी, जिससे देसी लोगों के साथ-साथ हर क्लास के लोगों ने ख़ुद को जोड़ा. इसमें जात-पात से लेकर रूढ़िवादी सोच तक को दिखाया गया और उनका खंडन या बहिष्कार कैसे किया जा सकता है वो भी दिखाया गया. मसान एक बहुत संवेदनशील फ़िल्म थी.
19. हनीमून ट्रैवल्स प्रा. लि. (Honeymoon Travels Pvt. Ltd.)
6 नवविवाहित जोड़े और गोवा की चार दिन की ट्रिप की कहानी बड़ी ही कमाल थी. इस फ़िल्म में 6 अलग-अलग रिश्तों के अलग-अलग नज़रिये को दिखाया गया. इनमें से किसी न किसी से आप ख़ुद को या अपने किसी जानने वाले को ज़रूर रिलेट करोगे.
20. वेक अप सिड (Wake Up Sid)
प्यारी और ख़ूबसूरत सी लव स्टोरी जो दो ऐसे लोगों की बात करती है जो एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं फिर भी एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं.
21. रहना है तेरे दिल में (Rehna Hai Tere Dil Mein)
एवरग्रीन लव स्टोरी जो दशक कोई भी मैडी और रीना का प्यार कभी पुराना हो ही नहीं सकता.
22. दम लगा के हईशा (Dum Laga Ke Haisha)
इस फिल्म ने हमें सिखाया कि कैसे दो लोगों को जबरन अरेंज्ड मैरिज करने पर भी प्यार हो सकता है. आयुष्मान खुराना का किरदार, प्रेम प्रकाश तिवारी, माता-पिता के दबाव में एक ऐसी लड़की से शादी करता है, जो उससे ज़्यादा पढ़ी लिखी है और मोटी भी है. संध्या से पहले तो प्रकाश प्यार नहीं करता लेकिन शादी का बंधन प्यार करा ही देता है.
23. बर्फ़ी! (Barfi!)
यह फिल्म एक मूक-बधिर लड़के और एक ऑटिस्टिक लड़की के बीच के रिश्ते की कहानी है. दोनों के प्यार को देखकर किसी की भी आंखें नम हो जाएंगी.
प्यार तो प्यार है!